लेकिन पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव में एक और नवजोत सिद्धू का नाम पंजाब की राजनीति से जुड़ गया है। मज़े की बात ये है कि ये नवजोत भी पूर्व क्रिकेटर सांसद नवजोत से जुड़ी हुई हैं। डॉ नवजोत सिद्धू पूर्व क्रिकेटर सिद्धू की पत्नी हैं और अमृतसर (पूर्व) से अकाली दल बीजेपी की उम्मीदवार हैं।

महिलाओं के रोगों की 48 वर्षीय पूर्व सरकारी डॉक्टर नवजोत लगभग दो साल पहले ही पटियाला से अमृतसर आई हैं और यहाँ सिविल अस्पताल में कार्यरत हैं। उम्मीदवार घोषित होते ही बहुत सारी निगाहें उन पर केंद्रित हो गई हैं।

शनिवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के एक कार्यक्रम में वह मौजूद तो नहीं थी फिर भी जेटली ने सिद्धू के साथ मज़ाक करते हुए कहा, “हर कामयाब पुरुष के पीछे किसी महिला का हाथ होता है। अब अहसान चुकाने का वक्त आ गया है.”

शहर भर में कई जगह बड़े ब़डे पोस्टर लगे हैं जिनपर सिद्धू दंपत्ति की तस्वीरें लगी हैं। बीजेपी के काफी लोग तो हर जगह उत्साहित नज़र आ रहे है कि `मैडम’ भी राजनीति में आ गई हैं।

हालांकि काफी लोग नाखुश भी हैं। अकाली दल के लोगों का कहना है कि क्योंकि यह परंपरागत तौर पर अकाली सीट थी, इसलिए बीजेपी को देना गलत था।

उधर बीजेपी के कुछ वर्करों को लगता है कि यह टिकट उसे देना चाहिए था जो पार्टी में पुराना है। हालांकि सिद्धू और उनकी पत्नी इन आरोपों को खारिज़ करते हैं।

कुछ लोग नाखुश

नवजोत सिद्धू का कहना है कि उनकी पत्नी बड़ी मुश्किल से चुनाव लड़ने के लिए मानी हैं। उन्होंने कहा, “नवजोत तन्खवाह नहीं छोड़ना चाहती थी। अपने डॉक्टरी के पेशे से उन्हें बहुत लगाव है। मैंने तो किसी और का नाम सुझाया था। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बार बार कहने पर ही उन्होंने हां की.”

ऐसी अटकलों को खारिज़ करते हुए कि उनकी पत्नी को टिकट उनकी वजह से मिला, सिद्धू कहते हैं कि उनका नाम सर्वेक्षणों में सामने आया जिनमें पाया गया कि वह यहाँ से सीट निकाल सकती हैं।

अकाली दल की सीट होने पर उन्होंने कहा, "कुछ कारण बने कि अकालियों को बटाला सीट चाहिए थी और इसलिए यह सीट बीजेपी को मिल गई." उनकी पत्नी का कहना है शुरु में कहीं कहीं कुछ लोग इससे नाखुश थे पर अब तो अकाली दल के लोग उनके ज्यादा कार्यक्रम करवा रहे हैं।

डॉक्टरी और राजनीति में बहुत फर्क है। सोचा कि देखते हैं कि राजनीति में कैसे काम करती हैं डॉक्टर साहिबा.अमृतसर में मॉल रोड पर स्थित सासंद सिद्धू के सरकारी आवास पर सुबह साढे सात पहुँचे तो पता चला कि मैडम तो प्रचार के लिए निकल चुकी हैं। आम तौर पर पंजाब में प्रचार सुबह जल्दी ही आरंभ हो जाता है।

उनके कार्यालय से मिले दिन के कार्यक्रम से पता चला कि वह पहले गुरुद्वारे जाएंगी और उसके बाद उनके लगातार 14 कार्यक्रम हैं तथा आखिरी प्रोग्राम साढ़े आठ बजे है। उनके पति भी तैयार हो रहे थे। थोड़ी ही देर में उन्हें लुधियाना एक चुनाव से जुड़े कार्यक्रम के लिए जाना है।

क्या वो पत्नी की सभाओं में नहीं जाएंगे ? सिद्धू ने कहा, “मैं स्टार प्रचारक हूँ। पार्टी के कई प्रचारों में जाना होता है। हां, नवजोत कौर के साथ शाम को बैठ कर उनका अगले दिन का प्रोग्राम ज़रूर बनवाता हूँ.” फिर भी वह दिन में अपनी पत्नी के दो-तीन प्रोग्राम में ज़रूर जाते हैं।

अमृतसर के एक नागरिक विकास शर्मा ने कहा, "सिद्धू हंसते हुए एक बात अवश्य कहते हैं। वह कहते हैं उन्हें वोट दें `एक एमएलए के साथ एक एमपी मुफ्त मिल रहा है'।

बहरहाल बडी मुश्किल से नवजोत कौर का पीछा करते हुए उन्हें चील मंडी में पकड़ा जहाँ उनकी एक रैली थी। सिद्धू की पत्नी हैं तो उनसे तुलना होनी भी लाजमी है।

डॉ सिद्धू ने बोलना शुरु किया जो अंदाज़ नवजोत सिद्धू से जुदा था। सिद्धू की तरह उनके भाषण में कोई मुहावरे और लोकोक्तियाँ नहीं थी और न ही भारी-भरकम या हल्की-फुलकी शेर और शायरी।

बिना कोई बड़े वायदे किए पंजाबी भाषा में उनसे वोट की अपील करते हुए कह रही थीं कि कैसे उन्होंने अस्पताल में काम किया और उन्होंने कैसे लोगों की सेवा की है तथा आगे भी करना चाहती हैं।

बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, “जहाँ पीने के पानी, बिजली। सड़क और कई समस्याएं हों वहाँ बड़े प्रोजेक्टों की बात कर के क्या फायदा.”

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “राजनीति में मैं पिछले दो सालों से हूँ और कभी सिद्धू साहिब का दफ्तर संभाला तो कभी सामाजिक कार्यकर्ता की हैसियत से नशा और साफ सफाई जैसे काम करवाती रही। हालांकि यह नहीं सोचा था कि कभी चुनाव भी लडूँगी.“

डॉ नवजोत से पूछा कि उनका और उनके पति दोनों का नाम नवजोत सिद्धू है तो क्या घर पर इसकी वजह से कोई गड़बड़ तो नहीं होती तो उन्होंने कहा, “नहीं, घर पर मैं उन्हें शेरी और वो मुझे नोनी कह कर बुलाते हैं.” गनीमत है कि दोनों के घर के नाम अलग है !

International News inextlive from World News Desk