- मिनहाज और मसरुद्धीन की गिरफ्तारी के 18 दिन बाद होम मिनिस्ट्री के आदेश पर मामले की जांच एनआईए को ट्रांसफर

- बम धमाकों से शहर को दहलाने की साजिश में एटीएस ने लखनऊ से दबोचा था दोनों को, नहीं उगलवा पाई अहम राज

- आदेश के बाद 350 पन्नों की चार्जशीट एनआईए को सौंपी, अब एनआईए कोर्ट से मांगेगी दोनों की रिमांड

KANPUR: अातंकी संगठन गजावत-उल-हिंद के माड्यूल के कानपुर कनेक्शन की जांच अब एनआईए(नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी) करेगी। लखनऊ से पकड़े गए मिनहाज और मसरुद्दीन की अरेस्टिंग के 18 दिन बाद गृह मंत्रालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एटीएस से लेकर एनआईए को ट्रांसफर कर दी है। होम मिनिस्ट्री के आदेश के बाद एसटीएफ ने अपनी 18 दिनों की मेहनत यानी 350 पन्ने की चार्जशीट एनआईए को सौंप दी है। अब आगे की जांच और कार्रवाई एनआईए करेगी।

हलमंडी है टारगेट पर

बताते चलें कि मिनहाज और मसरुद्दीन को एटीएस ने 14 दिन की रिमांड पर लिया था। जिनसे सूत्र मिले, सूत्रधार मिले लेकिन नहीं मिल सके तो इनके करीबी, जो आतंक फैलाने की तैयारी कर रहे थे। 14 दिन एटीएस के रिमांड रूम में रहने के बाद अब मिनहाज और मसरुद्दीन को एनआईए रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। चूंकि गजावत-उल-हिंद का कमांडर इन चीफ उमर हलमंडी अभी भी आतंक का ताना-बाना बुन रहा है, लिहाजा अनुमान लगाया जा रहा है कि मंडे को एनआईए कोर्ट में रिमांड एप्लीकेशन दाखिल करेगी।

सवाल वही, अंदाज होगा नया

एनआईए के पास दो दिन का समय है कि वो चार्जशीट को पढ़कर भलीभांति जानकारी कर ले कि मुस्तकीम और मसीरुद्दीन से क्या पूछताछ की जा चुकी है। सूत्रों की मानें तो 6 कनपुरिया मेहमान अभी भी एटीएस के शिकंजे में हैं, जिनसे कुछ आउटपुट निकल सकता है। एनआईए का पूछताछ का तरीका एटीएस से बिल्कुल जुदा है। माना जा रहा है कि हार्डकोर मिनहाज से उमर हलमंडी को लेकर पूछताछ की जाएगी। चूंकि मिनहाज के घर में मिले गनपाउडर का कानपुर और उन्नाव कनेक्शन रहा है। कंट्रीमेड पिस्टल के संबंध में भी कानपुर चर्चा में रहा है। इसके अलावा कानपुर स्थित रक्षा प्रतिष्ठानों के नक्शे भी इनके पास से बरामद हुए थे। कुकर बम के अलावा कुछ मानव बम भी मिनहाज के संपर्क में थे। आतंक का ताना बाना कानपुर में बुना जा चुका था। केवल कमांडर इन चीफ के इशारे का इंतजार था।

सिर्फ इशारे का था इंतजार

एटीएस सूत्रों की माने तो कमांडर इन चीफ के इशारे का इंतजार किया जा रहा था। कमांडर इन चीफ यानी उमर हलमंडी को देश में छिपे गद्दारों ने मिनहाज और मसरुद्दीन के राडार पर आने की जानकारी दे दी थी। इस वजह से उमर हलमंडी ने दोनों से संपर्क करना खत्म कर दिया था। यही वजह है कि एटीएस को हलमंडी की जानकारी तो मिली लेकिन हलमंडी नहीं मिला। अब एनआईए उन मूक बधिर मानव बमों की तलाश भी करेगी, जिनकी नसों में खून की जगह बारूद भर दिया गया है। दिमाग में देश के प्रति नफरत पैदा कर दी गई है। तिरंगे को देखते ही उसके टुकड़े करने के मंसूबे दिमाग में भर ि1दए गए हैं।

एटीएस के प्लान पर एनआईए

हालांकि एनआईए के काम करने का तरीक बिल्कुल अलग है। इसके बाद भी एनआईए शुरुआती पूछताछ में एटीएस के प्लान को फॉलो करेगी। यानी आतंक से जुड़े कानपुर के जो संदिग्ध लोग पूछताछ के बाद खुद को सेफ महसूस कर रहे थे, वे एक बार फिर राडार पर हैं। चाहे वो प्रोफेसर हों या प्रापर्टी डीलर, फंडिंग करने वाले हों या सुविधा मुहैया कराने वाले। एसटीएफ से मिली लिस्ट के बाद एनआईए उसी लिस्ट पर संदिग्धों की तलाश करेगी।

खुलेंगे तमाम कनेक्शन

अभी तक तमाम कनेक्शन एसटीएफ समय की कमी या किसी और मजबूरी की वजह से सामने नहीं ला पाई थी, लेकिन अब एनआईए इन सभी कनेक्शन को न सिर्फ ब्रेक करेगी बल्कि इन कनेक्शन को दोबारा जुड़ने लायक नहीं छोड़ेगी। शहर की घनी आबादी वाले इलाकों में फिर आतंक के तार हिलने डुलने लगेंगे। एनआईए सूत्रों की मानें तो एटीएस के पास उमर हलमंडी की तलाश बड़ा काम था। इसी वजह से मिनहाज और मसरुद्दीन से उस तरह से इंटेरोगेट नहीं कर पाई, जैसे होनी चाहिए थी। इसी वजह से होम मिनिस्ट्री ने इस मामले की जांच ट्रांसफर की है।