फ़ाउंडेशन ने अपने नए विज्ञापन में पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी और हाल के अभिनेता विनी जोन्स के ज़रिए लोगों को यही बात समझाने की कोशिश की है।

दरअसल फ़ाउंडेशन की इस नई सलाह के पीछे एक सर्वे है जिसके बाद यह पता चला था कि लोग हृदयाघात से पीड़ित व्यक्ति को सीपीआर देते वक़्त मुँह से मुँह लगाकर फूँक मारने या "किस ऑफ़ लाइफ़" के बारे में चिंतित रहते हैं।

फ़ाउंडेशन की नई आधिकारिक सलाह के अनुसार वो व्यक्ति जिसने बाक़ायदा सीपीआर देने का प्रशिक्षण नहीं लिया है वो अपना पूरा ध्यान हृदयाघात से पीड़ित व्यक्ति की छाती के बीचो-बीच लगातार दोनों हाथों से दबाने पर बनाए रखें।

फ़ाउंडेशन के सर्वेक्षण के दौरान यह पता लगा था कि लोग ज़रूरतमंदों को सीपीआर देने से इसलिए झिझकते हैं क्योंकि उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं होती।

सर्वेक्षण में जिन लोगों से बात की गई उनमें से क़रीब 20 फ़ीसदी लोगों को इस बात का भय था कि मुँह से मुँह लगा कर साँस देते वक़्त उन्हें कई तरह की बीमारियाँ लग सकतीं हैं।

क़रीब 40 फ़ीसदी लोगों को इस बात का भय था कि अगर उनसे पीड़ित व्यक्ति की मदद करते वक़्त किसी तरह की गलती हो गई तो वो किसी कानूनी पचड़े में फँस सकते हैं।

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