- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की कैंपेन एक्सक्यूज मी को शहर में महिलाओं से जुड़े प्रमुख संगठनों और एनजीओ ने भी सराहा

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KANPUR : दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की मुहिम एक्सक्यूज मी के जरिए शहर में पिंक टॉयलेट की मांग ने जोर पकड़ा है। यही वजह है कि नगर निगम की ओर से शहर में महिलाओं के लिए डेडीकेटेड 20 टॉयलेट के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन महिलाओं के टॉयलेट से जुड़ी समस्या सिर्फ सरकारी प्रयासों से ही दूर नहीं होगी बल्कि इसके लिए जागरुकता और सम्मिलित प्रयासों की जरूरत होगी। जिससे हर कोई इसे लेकर जागरुक रहे। इसी को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से शहर में महिलाओं से जुड़े प्रमुख संगठनों और एनजीओ से भी बातचीत कर उनके प्रयास और उपलब्धियों पर भी बातचीत की गई। हमने उनसे पूछा कि आखिर उनकी संस्थाएं महिलाओं के टॉयलेट की समस्या के लिए किस तरह से काम करेंगी। जिसका इन संगठनों ने भी सकारात्मक जवाब दिया।

हेल्थ से भी जुड़ा है ये मसला

महिलाओं की हेल्थ से जुड़ी समस्याओं पर कॉग्स की ओर से हमेशा से ही अवेयरनेस पर काम किया है। हाईजीन से जुड़े मसलों पर महिलाओं में अवेयरनेस बढ़ाने के लिए कई प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। महिलाओं के लिए टॉयलेट का जो मसला है। वह उनकी हेल्थ से भी जुड़ा हुआ है। अक्सर महिलाएं यूटीआई की प्रॉब्लम के साथ आती हैं। इसकी एक बड़ी वजह टॉयलेट काफी देर रोकना भी होता है। कॉग्स के जरिए कानपुर में महिलाओं को लगातार पर्सनल हाईजीन के लिए जागरूक कर रहे हैं।

- डॉ। नीलम मिश्रा, अध्यक्ष, कानपुर ऑब्स एंड गायनी एसोसिएशन

100 टॉयलेट का निमर्ाण कराया

फिक्की फ्लो कानपुर ने महिलाओं में हाईजीन और सेफ्टी दोनों को अहम मानते हुए बीते दिनों 'स्वच्छता सबका हक' मुहिम शुरू की थी। इस मुहिम के जरिए फिक्की फ्लो ने दैनिक जागरण के सहयोग से कानपुर में 20 लाख रुपए की लागत से 100 टॉयलेट का निर्माण कराया। फिक्की फ्लो कानपुर की चेयरपर्सन डॉ.आरती गुप्ता का इसमें विशेष सहयोग रहा। इसका सीधा फायदा महिलाओं को मिला। इसमें से काफी सिंगल शीट टॉॅयलेट सिटी के रुरल एरियाज में भी लगाए गए हैं। इसके साथ ही हम ग‌र्ल्स कॉलेजों में भी इसे लेकर काम कर रहे हैं। जिसके जरिए महिलाओं और लड़कियों को बाहर सेफ और स्वच्छ वातावरण मिले। वह बेहिचक टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकें।

- रितु लार्ड, मीडिया हेड, फिक्की फ्ल कानपुर

पुलिस लाइन में बने पिंक टॉयलेट

मैं पुलिस लाइन में बतौर काउंसर भी जाती हूं। वहां महिला पुलिस कर्मियों के साथ काफी और महिलाएं भी आती हैं। हमारी संस्था पहले ही महिलाओं की हाइजीन से संबंधित समस्याओं पर काम कर रही है। हम लगातार सेनेटरी पैड वितरण करते हैं, लेकिन टॉयलेट की समस्या भी काफी बड़ी है। महिलाओं को इस वजह से काफी परेशानी होती है। हम प्रयास कर रहे हैं कि पुलिस लाइन में महिलाओं के लिए अलग पिंक टॉयलेट बने। इसके लिए सीनियर ऑफिसर्स से बातचीत भी हुई है।

- मनीषा बाजपेई,पुनर्नवा फांडेशन

महिलाओं में टॉयलेट रोकने का हेल्थ पर प्रभाव

- एक से दो घंटे तक यूरिन रोकने पर यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन का खतरा

- यूरिन के रास्ते में दर्द होना, डिस्चार्ज के वक्त ज्यादा दर्द होना

- ब्लैडर की क्षमता प्रभावित होना, उसमें सूजन आना

- ब्लैडर में सूजन बढने से किडनी पर दुष्प्रभाव

- ज्यादा टायलेट रोकने पर किडनी स्टोन की प्रॉब्लम होना

डॉक्टर्स ने क्या कहा

महिलाओं को ज्यादा देर यूरिन रोकने से कई तरह की समस्याए सामने आती है। सबसे पहली समस्या तो यूटीआई की होती है। अक्सर ऐसा करने से किडनी पर भी प्रभाव पड़ता है। किडनी में इंफेक्शन के साथ स्टोन डेवलप होते हैं।

- डॉ। नीना गुप्ता, प्रोफेसर, ऑब्स एंड गायनी डिपार्टमेंट जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

महिलाओं के साथ अक्सर ऐसा होता है कि उन्हें मजबूरी में टॉयलेट रोकनी पड़ती है, लेकिन यह उनके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। इससे यूटीआई के साथ ब्लेडर में सूजन की समस्या तो होती ही है साथ ही दर्द भी बढ़ता है।

- डॉ.उरुजजहां, असिस्टेंट प्रोफेसर, ऑब्स एंड गायनी डिपाटर्1मेंट

पब्लिक के भी सुनिए

महिलाओं के संबंधित इस मुद्दे को उठा कर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सराहनीय काम किया है। महिलाओं के टॉयलेट से संबंधित समस्या पर कम बात होती है। महिलाएं भी इस पर खुल कर बात नहीं कर पाती हैं।

- सुनीता श्रीवास्तव

कानपुर में महिलाओं के लिए साफ सुधरे डेडीकेटेड टॉयलेट बेहद कम हैं। कई सार्वजनिक जगहों पर जो टॉयलेट हैं उनमें महिलाओं के लिए सिक्योरिटी और हाईजीन की बड़ी समस्या होती है।

- सुषमा सिंह

पिंक टॉयलेट का कॉसेप्ट कानपुर जैसे शहर के लिए अभी नया है। इसे लेकर महिलाओं में भी ज्यादा जागरुकता नहीं है। पहले तो पब्लिक प्लेसेस में अभी जो टॉयलेट हैं। उनकी साफ सफाई और सुरक्षा ही हो जाए तो बेहतर होगा।

- साक्षी वर्मा

इस मसले पर महिलाएं ज्यादा खुल कर नहीं बोलती। जबकि यह उनकी सेहत और एक बेसिक जरूरत से जुड़ा मुद्दा होता है। हालांकि अगर सिविक बॉडीज इसे लेकर संवेदनशील हो तब भी समस्या काफी सुलझ सकती है।

- मोहित कुमार

सिटी में इतने ग‌र्ल्स कॉलेज, महिलाओं से जुड़े इंस्टीटयूशंस हैं, लेकिन महिलाओं की बेसिक जरूरत के प्रति कोई संवेदनशील नहीं है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस मुद्दे को उठा कर एक बहुत अच्छी पहल की है।

- पूजा अवस्थी

आधी आबादी के लिए अलग टॉयलेट की मांग बिल्कुल जायज है। साथ ही जिन जगहों पर पुरुष खुले में टॉयलेट करते मिले उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। जिससे वह भी इसे लेकर अवेयर रहे।

- दीपेंद्र सिंह

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की इस मुहिम के बाद महिलाएं भी टॉयलेट की समस्या को लेकर मुखर हुई हैं। यही वजह है कि महापौर ने भी 20 पिंक टॉयलेट बनवाने की घोषणा की है। यह इस मुहिम की बड़ी सफलता है।

- रागिनी पांडेय