कानपुर (ब्यूरो)। अगस्त 2022 में बिहार के बांका जिले में एक गेस्ट हाउस में चल रहे फर्जी पुलिस स्टेशन का भंडाफोड़ हुआ था। अब ऐसा ही एक थाना साइबर ठगों ने बना लिया है। साइबर ठग अपने शिकार को विश्वास में लेने के लिए लोगों की वीडियो कॉङ्क्षलग के जरिए फर्जी थाने में बैठे इंस्पेक्टर से बात करा रहे हैं, ताकि लोग आसानी से अपनी महत्वपूर्ण जानकारियां दे दें। पिछले दिनों शहर निवासी एक बैंक मैनेजर को भी इस तरह से साइबर ठगों ने अपने जाल में फंसाने की कोशिश की। वीडियो कॉङ्क्षलग के जरिए थाने में बैठे इंस्पेक्टर से बात कराई। जैसे ही इंस्पेक्टर ने उनसे आधार कार्ड व अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां लेने की कोशिश की उन्होंने फोन काट दिया। हालांकि बैंक मैनेजर न तो पुलिस को इसकी सूचना दी और न कहीं शिकायत ही दर्ज कराई। जब उनसे बात की तो नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने अपने साथ हुआ पूरा वाक्या बयां किया, जो कि बेहद चौकाने वाला है।

10 दिन पहले आया था फोन
एक नेशनल बैंक में कार्यरत बैंक मैनेजर ने बताया कि करीब दस दिनों पहले उनके मोबाइल नंबर पर एक फोन आया। उसने बताया कि वह कोरियर कंपनी से बोल रहा है और उनका कोरियर आया है। उन्होंने मना किया कि उनका कोई कोरियर नहीं आया है। तब उन्हें जवाब मिला कि उनके नाम से कोरियर है। मोबाइल नंबर भी यही है। पता अस्पष्ट है, इसलिए फोन किया। उनके द्वारा दोबारा मना करने पर उसकी ओर से साइबर ठगी की आशंका व्यक्त की गई।

वीडियो कॉलिंग पर दिखा थाना
फोन करने वाले ने उनसे कहा कि उन्हें पुलिस की मदद की जरूरत है। ये कहते हुए उनसे उन्हें वीडियो कॉङ्क्षलग पर ले लिया। इसके बाद मोबाइल स्क्रीन पर एक पुलिस थाना दिखाई पडऩे लगा। जहां पुलिस वाले अपने-अपने काम में व्यस्त थे। इसके बाद उनकी बातचीत इंस्पेक्टर से शुरू हुई। पुलिसिया अंदाज में उसने उनसे पूछताछ शुरू की। वह भी जवाब देने लगे। मगर, जब इंस्पेक्टर ने आधार कार्ड व अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां मांगनी शुरू की तो उनका माथा ठनका और उन्होंने फोन काट दिया। उसके बाद न तो कोरियर कंपनी से फोन आया और पुलिस थाने से। बैंक मैनेजर के मुताबिक उन्हें नहीं पता कि पुलिस थाना कहां था और उसका नाम क्या था, क्योंकि सब कुछ बड़ी तेजी के साथ हुआ।

ऐसे पहले भी होती रही ठगी
साइबर ठग कोरियर के नाम पर पहले भी ठगी करते रहे हैं। फेसबुक पर पहले अनजान विदेशी दोस्त बनता है। इसके बाद विदेशी दोस्त जबरन उपहार भेजने की जिद करता है। कुछ दिनों बाद मंहगा उपहार आने और उसके टैक्स के नाम साइबर ठग अपने ट्रैप में लोगों को फंसाते हैं। वहीं हनी ट्रैप के मामलों में नकली पुलिस वाला बनकर सैंकड़ों लोगों से साइबर ठगों करोड़ों रुपये ऐंठे हैं।
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साइबर ठग ठगी के तरीके लगातार बदलते रहते हैं। हो सकता है कि यह कोई नया तरीका हो। मामला गंभीर है। जांच कराई जाएगी।
बीपी जोगदण्ड, पुलिस आयुक्त