कानपुर (ब्यूरो)। कानपुराइट्स के लिए एक बहुत राहत भरी खबर है। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पुलिस कमिश्नर ने थाना और चौकी पुलिस से धारा 151 और शांति भंग(107/16) करने की कार्रवाई करने का अधिकार छीन लिया है। ये अधिकार अब एडिशनल सीपी, जेसीपी और डीसीपी स्तर तक के अधिकारियों को होगा। ये अधिकारी भी पहले एसीपी को मामला सौंपेंगे। एसीपी जांच के बाद संस्तुति करेंगे कि मामले में कार्रवाई करनी है या नहीं। अभी तक छोटी छोटी मामूली बातों में चौकी इंचार्ज या थानेदार शांतिभंग में चालान कर हवालात के पीछे पहुंचा देता था। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कमिश्नरेट में रोजाना तीन से चार लोगों पर शांति भंग की कार्रवाई होती है।
क्यों पड़ी बदलाव की जरूरत
दरअसल कुछ दिनों बाद ही लोकसभा चुनाव को लेकर आर्दश आचार संहिता लगने वाली है। इस दौरान आपसी मारपीट में 151 और शांति भंग में 107/16 की कार्रवाई बड़ी संख्या में होती है। चौकी और थाना पुलिस पुरानी लिस्ट निकालकर आंख बंद कर यह कार्रवाई करती है। कमिश्नरेट के आंकड़ों की माने तो कार्रवाई तो बड़ी संख्या में हो जाती है लेकिन निस्तारण नहीं हो पाता है। इसकी वजह से पेंडेंसी लगातार बढ़ती जा रही है। दोनों धाराओं का इस्तेमाल थाना पुलिस टूल के रूप में इस्तेमाल करती है, जिसकी वजह से कभी कभी सीनियर सिटीजन, संभ्रांत नागरिक, नाबालिग और कई बार तो दुनिया से अलविदा हो चुके लोगों पर भी कार्रवाई हो जाती है। इससे अधिकारियों को भी नीचा देखना पड़ता है.
&एटीएम&य की तरह इस्तेमाल
शांति भंग की कार्रवाई होने के बाद इन मामलों को खत्म करने के लिए और तारीख पर आकर साइन करने के लिए पीडि़त को सुविधा शुल्क देना पड़ता है। कभी कभी राजनीतिक दबाव में या संबंधों में भी इस तरह के मामले पुलिस एफआर लगाकर खत्म कर देती है। जिसके बाद पुलिस पर तमाम वसूली के आरोप लगते हैैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इन मामलों में पारदर्शिता लाई जाए और पुलिस पर लगने वाले आरोप कम हों, इस वजह से इस व्यवस्था में बदलाव लाया गया है। अगर ये व्यवस्था चुनाव के बाद तक ठीक चलती रही और लॉ एंड ऑर्डर में कोई परेशानी न हुई तो ये व्यवस्था परमानेंट लागू कर दी जाएगी.
कभी फंसाने में कभी बचाने में
पारिवारिक विवाद, मोहल्ले में किसी तरह का पड़ोसी से विवाद, रात के समय शराब के नशे में मिलने पर, किसी से गाली गलौज करने, दबंगई की वजह से, मामूली हादसे के मामले में पुलिस अपनी जान बचाने के लिए इन धाराओं की कार्रवाई करती है। एक बार थाने लाने के बाद अगर व्यक्ति को छोड़ दिया जाता है तो वह बाहर निकलकर पुलिस पर कई तरह के आरोप लगाता है और कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों के दफ्तर तक पहुंच जाता है। थाना पुलिस इस बदनामी से बचने से लिए इस टूल का इस्तेमाल करती है। किसी भी बड़े क्राइम में सेटिंग गेटिंग करने के लिए पुलिस इन छोटी धाराओं में कार्रवाई कर पीडि़त को राहत दे देती हैं। सीनियर ऑफिसर्स के पास ये अधिकार आने के बाद सोच समझ कर कार्रवाई होगी.
कार्रवाई में सबसे आगे साउथ जोन
पुलिस आंकड़ों को देखा जाए तो साउथ जोन में शांति भंग में सबसे ज्यादा कार्रवाई की गईं है, जबकि निस्तारण की संख्या इस अनुपात में बहुत कम है। साउथ जोन में शांति भंग में 622 और 151 में 810 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। वहीं पुलिस कमिश्नर का कहना है कि पेेंडेंसी बढऩे और आगे मामले गलत न दर्ज किए जाएं, इसे देखते हुए ये डिसीजन लिया गया है। ट्रायल में सफल हुआ तो ये व्यवस्था परमानेंट की जाएगी.