कानपुर (ब्यूरो) जेल अधीक्षक डॉ। बी.डी पांडेय ने बताया कि जेल में बंदियों के रहने के दौरान अभी तक जो मेहनताना होता था वह परिजनों या एडवोकेट के माध्यम से चेक द्वारा दिया जाता था। बैंक खाते खुल जाने के बाद अब कोषागार से बंदियों के बैंक खाते में सीधे पारिश्रमिक की धनराशि क्रेडिट हो जाया करेगी। बुधवार को 53 बंदियों के आधार कार्ड बनाये गये और 15 बंदियों के स्टेट बैंक में सेविंग एकाउंट खोले गये। ये अभियान अभी एक सप्ताह तक चलता रहेगा। बंदियों के आधार कार्ड बनाने व बचत खाता खोले जाने की प्रक्रिया से बंदियों में काफी उत्साह देखा गया।

जेल के रिकॉर्ड में रहेगा डाटा
सात दिन के अभियान में जेल में उन बंदियों के आधार कार्ड तो बनाए जाएंगे जिनके पास नहीं हैैं। साथ ही जिनके आधार कार्ड पुुराने हो गए हैैं। तस्वीर पहचान में नहीं आ रही है, उनका भी नया आधार कार्ड बनाया जाएगा। जिन बंदियों का आधार कार्ड बनेगा, उनका रिकॉर्ड जेल के रिकॉर्ड में रहेगा।