-पीडि़तों की शिकायत थाने में ही बेहतर ढंग से सुने जाने और उसके निस्तारण के लिए पुलिस की नई पहल

-पीडि़त को घंटा बजाकर थाने में अपने आने की जानकारी देनी होगी, दोबारा आने पर दो बार बजाएगा घंटा

-घंटा बजते ही फरियादी की परेशानी सुनने पहुंचेगा दारोगा, शासन ने सभी थानों में दिए घंटा लगाने के निर्देश

KANPUR : पीडि़तों को त्वरित राहत देने के लिए पुलिस एक और प्रयोग करने जा रही है। थानों में अब शिकायत करने के लिए पीडि़त को घंटा बजाकर अपने आने की जानकारी देनी होगी। एक बार में निस्तारण न होने पर पीडि़त दोबारा थाने जाएगा तो उसे दो बार घंटा बजाना होगा। घंटा बजाने के तुरंत बाद एक दारोगा पहुंचेगा और पीडि़त की शिकायत सुनेगा। इतना ही नहीं जिस विभाग से संबंधित शिकायत होगी। उस विभाग के अधिकारी का नंबर देकर शिकायतकर्ता को पूरी तरह से संतुष्ट करेगा। यूपी पुलिस से मिलकर आपको कैसा लगा, इस बारे फार्म भरवाकर फीडबैक भी लिया जाएगा। इस फीडबैक को ऑनलाइन भी किया जाएगा। जिससे लखनऊ में बैठे आलाधिकारियों के साथ कानपुर में बैठे अधिकारी भी इसकी मॉनीटरिंग कर सकेंगे।

शिकायती पत्रों का रिकॉर्ड

इस व्यवस्था को लागू होने में भले ही थोड़ा समय लगे, लेकिन इससे फरियादियों के पास शिकायती पत्र का रिकॉर्ड होगा। दरअसल शासन ने निजी कंपनी से सर्वे कराया जिसमें ये पता चला है कि थानों में पीडि़तों की शिकायत नहीं सुनी जाती है। जिसकी वजह से अधिकारियों के दफ्तरों में शिकायतकर्ताओं की भीड़ लगती है। नई व्यवस्था के बाद न सिर्फ थाने में शिकायतें सुनी जाएंगी बल्कि थाने के स्तर पर ही उनका निस्तारण भी किया जाएगा। शासन का मानना है कि अधिकारी शिकायतें सुनने में बिजी रहते हैं और पुलिसिंग सही से नहीं हो पाती है।

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ये फायदे होंगे

-थानास्तर पर ही शिकायतों का निस्तारण कराया जाएगा

-पुलिस के व्यवहार को लेकर फीडबैक भी लिया जाएगा

-इस फीडबैक को लेने के बाद ऑनलाइन किया जाएगा

-जिसे जिले और राजधानी में बैठे अफसर मॉनीटर करेंगे

-अधिकारियों के दफ्तर में कम होगी फरियादियों की भीड़

-पुलिसिंग पर ध्यान दे सकेंगे सीनियर पुलिस अफसर

नहीं करनी होगी दौड़ भाग

शासन का मानना है कि घंटा बजाकर शिकायत करने का मुख्य उद्देश्य निष्क्रिय पुलिसकर्मियों को एक्टिव करना है। पीडि़त की शिकायत की जानकारी न सिर्फ उसे अटेंड करने वाले सब-इंस्पेक्टर को होगी, बल्कि इसकी जानकारी इलाके के चौकी प्रभारी और बीट सिपाही की भी होगी। सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि पीडि़त को चौकी थाने की दौड़ बार-बार नहीं लगानी होगी। अब तक चौकी थानों में शिकायत सुनने के अलावा एसपी, एसएसपी, डीआईजी, आईजी, एडीजी के ऑफिस और समाधान दिवस में समस्याएं सुनी जाती थीं।

हर 15 दिन में मॉनीटरिंग

थानों में लगने वाले घंटे की जानकारी देते हुए एडीजी ने बताया कि घंटे के पास 24 घंटे में 8-8 घंटे की तीन ड्यूटी होंगीं। शिकायत आने के एक सप्ताह बाद इनका निस्तारण होगा। पीडि़त के पास सीनियर ऑफिसर्स के ऑफिस से फोन जाएगा। जिसमें यह पूछा जाएगा कि शिकायत का समाधान हुआ या नहीं। शिकायतकर्ता और सुनने वाले अधिकारी के बीच ट्रांसपेरेंसी बनाने के लिए ये इंतजाम किए गए हैं।

समय की जानकारी भी देगा

24 घंटे इस घंटे के पास एक कांस्टेबल तैनात रहेगा। जो एक बजने पर एक बार घंटा बजाएगा। इसी तरह जितना समय होगा, उतने ही बार घंटा बजाएगा। जाएंगे। जिससे थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों को अपनी ड्यूटी बदलने की जानकारी भी होगी। दरअसल पुलिस मैनुअल में थानों में घंटा लगाने के लिए कई सा पहले आदेश हुए थे। थाने के इंस्पेक्शन में जो चीजें देखी जाती हैं, उनमें इस घंटे का भी जिक्र होता है, लेकिन थानेदार अपने कमरे में लगी घंटी का हवाला देकर जांच की खानापूर्ति कर देते थे।

जवानों को अलर्ट भी करेगा

थाने में घ्ाटे का प्रयोग विषम परिस्थितियों में पुलिस के जवानों को इकट्ठा करने में भी किया जाएगा। दबिश या दंगे के दौरान पुलिसकर्मियों को बैरिक से बुलाने के लिए घंटा बजाया जाएगा। पहला घंटा वेकअप कॉल और दूसरा रिपोर्ट करने के लिए बजाया जाएगा। कितने बार थाने में घंटा बजाया गया, इसकी जानकारी थाने की ऑनलाइन जीडी में भी दर्ज की जाएगी।

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शासन के आदेश के बाद रेंज के सभी थानों में घंटा लगाने के आदेश दिए गए हैं। इससे शिकायतकर्ताओं लाभ मिलेगा। साथ ही पुलिस अधिकारियों के पास भी कम लोग पहुंचेंगे और पुलिसिंग में लाभ मिलेगा।

जय नारायण सिंह, एडीजी जोन कानपुर

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पुलिस रिकार्ड के मुताबिक

1 से 25 जनवरी तक आई शिकायतें

एडीजी ऑफिस - 69

आईजी ऑफिस - 135

डीआईजी ऑफिस - 178

थानों के समाधान दिवस में - 38

(क्राइम, बिजली, पानी और जमीन संबंधी )