कानपुर (ब्यूरो)। ब्लड शुगर लेबल बढऩे के डर से अब मिठास से दूरी नहीं बनानी होगी। नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई) ने लो (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) जीआई शुगर को तैयार किया है। शुरुआती टेस्टिंग में इस शुगर को सभी स्टेज पर सही पाया गया है। बीते 9 महीने पहले डेवलप हुईव लो जीआई शुगर की स्टेबिलिटी भी ठीक है। जल्द ही इसकी जीआई वैल्यू का पता लगाकर किसी कंपनी के जरिए मार्केट में लांच किया जाएगा। इस शुगर को बनाने मेें गन्ने के जूस का क्लीयरिफिकेशन करके कंसंट्रेट प्रोसेस के जरिए तैयार किया गया है। इसको तैयार करने में वाली टीम में अनुष्का कनोडिया, स्वेच्छा सिंह और श्रुति शुक्ला हैैं। एनएसआई की दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस में एनएसआई के स्टॉल मेें लो जीआई शुगर को लगाया गया है। यहां पर बनी लो जीआई शुगर लिक्विड में हैै।

शुगर में ही मिलेंगे तुलसी के गुण
तुलसी में मौजूद मेडिटेशनल प्रापर्टीज के चलते इसका यूज चाय आदि में किया जाता है। शाम के बाद पेड़ से सीधा तुलसी के पौधे से पत्ती को तोडऩा वर्जित माना जाता है। इसके अलावा जिन स्थानों पर तुलसी अवेलेबल नहीं हैैं वहां पर इसका यूज करने में प्राब्लम होती है। ऐसे में एनएसआई ने स्पाइरोलिना फोर्टिफाइड शुगर को बनाया है। इस शुगर की खासियत है कि इसको बनाते समय तुलसी की पत्तियों का यूज किया गया है, जिस वजह से इसका यूज करने से तुलसी की मेडिटेशनल प्रापर्टीज का भी बेनीफिट मिलता है।

फिजी और श्रीलंका वाले बोले एनएसआई करे हेल्प
इंटरनेशनल कांफ्रेंस के सेकेंड और लास्ट डे थर्सडे को विदेशी डेलीगेट्स और देश के स्पेशलिस्टों ने शुगर मिल्स के वेस्ट से रेवन्यू पाने और ग्रीन एनर्जी के प्रोडक्शन समेत कई टॉपिक्स पर डिस्कशन किया। श्रीलंका के हर्बी डिक्कुंबरा और फिजी के एरामी एस लेवारावु ने अपने देश की शुगर मिल्स के कर्मचारियों की ट्रेनिंग और मिल्स को माडर्न करने के लिए एनएसआई से हेल्प मांगी है। कहा कि हमारी मिलों की कैपिसिटी इंडिया की तुलना में काफी कम है। एनएसआई डायरेक्टर प्रो। नरेंद्र मोहन ने कहा कि शीरा, शुगर इंडस्ट्री का च्यवनप्राश हो सकता है। शुगर रिसर्च इंस्टीट्यूट आस्ट्रेलिया के ज्योफ केंट ने शुगर प्रोडक्शन प्रोसेस में नवीनतन जूस एक्सट्रैक्शन प्रोसेस का यूज करके शुगर रिकवरी पाने पर डिस्कशन किया। प्रोग्राम के लास्ट में कल्चरल इवेंट हुए, जिसमें कलर्स आफ इंडिया के पार्टिसिपेट्स के साथ विदेशी भी इंडियन संगीत पर थिरके।