कानपुर (ब्यूरो) गोरखपुर से होकर निकलने वाली राप्ती और घाघरा डी कैटेगरी में हैं। इसका पानी वाइल्ड लाइफ और मछली पालन के साथ उसकी आबादी बढ़ाने के लायक है।

सी और डी में गंगा
प्रदेश के ज्यादातर शहरों से होकर गुजरने वाली गंगा नदी का पानी प्रयागराज में सी कैटेगरी में है। इसे कंवेंशनल ट्रीटमेंट और डिसइंफेक्शन के बाद पी सकते हैं। वहीं, वाराणसी और कानपुर में यह डी में है जिसे वाइल्ड लाइफ और मछली पालन में इस्तेमाल कर सकते हैं।

कहां की नदी किस कैटेगरी में
सिटी--नदी-- कैटेगरी
कानपुर-- गंगा--- डी
प्रयागराज--गंगा--सी
वाराणसी--गंगा (अपस्ट्रीम)--सी
वाराणसी--गंगा (डाउनटी्रम)--डी
गोरखपुर --राप्ती -- डी
गोरखपुर --घाघरा-- डी
प्रयागराज--यमुना-- सी
लखनऊ--गोमती (अपस्ट्रीम)- सी
लखनऊ -गोमती (डाउनटी्रम)- ई
आगरा--यमुना-- डी
मेरठ --हिंडन-- ई
मेरठ--काली (पूर्व)--ई
इस साल का थीम
इस साल इंटरनेशनल डे ऑफ एक्शन फॉर रिवर्स&य का थीम है नदियों का अधिकार&य। पूरी दुनिया में 3 मिलियन से अधिक नदियां है। वहीं यदि हम केवल भारत की बात करें तो भारत में अकेले 400 से अधिक नदियां हैं। इन सभी के महत्व को समझाने के लिए इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है।
पांच कैटेगरी में नदियों को बांटा
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने सभी नदियों को पांच कैटेगरी में बांटा है। यह कैटेगेरी अलग-अलग शहरों में अलग है। जैसे गंगा नदी का पानी वाराणसी में &डी&य कैटेगरी में है तो वहीं हापुड़ में &बी&य है।
ये हैैं पांचों कैटेगरी

कैटेगरी ए - ड्रिंकिंग वॉटर सोर्स बिना कंवेंशनल ट्रीटमेंट और डिसइंफेक्शन के बाद
कैटेगरी बी - आउटडोर बाथिंग (संगठित)
कैटेगरी सी&य - ड्रिंकिंग वॉटर सोर्स, कंवेंशनल ट्रीटमेंट और डिसइंफेक्शन के बाद
कैटेगरी डी&य - वाइल्ड लाइफ और मछली पालन का प्रचार
कैटेगरी ई&य - इरीगेशन, इंडस्ट्रियल कूलिंग, कंट्रोल्ड वेस्ट डिसपोजल