लखीमपुर खीरी से पिछले फ्8 दिनों से बाघ का पीछा कर रही कई टीमें उसको फॉलो करते हुए गंगा बैराज के जंगलों में पहुंच गई हैं। हाल ये है कि बाघ पर हर पल कैमरों से नजर रखी जा रही है। वन विभाग के कई इम्प्लाइज उसके पीछे लगे हैं? लेकिन उसकी ऐसी लोकेशन नहीं मिल रही है जिससे की वो ट्रंकुलाइजर या दूसरी टेक्निक से उसको अपने कब्जे में कर सके. 

बाघ को पकड़ने के लिए आई आधुनिक वैन

बाघ को पकड़ने में डेढ़ दर्जन से ज्यादा टीमें लगी हैं। इनमें नॉर्मल इम्प्लाइज से लेकर डीएफओ तक शामिल हैं। डब्ल्यूटीआई, लखनऊ, उन्नाव, रिटायर्ड रेंजर्स, दो ट्रैकर्स और कानपुर की वन विभाग की टीमें हैं। टीम के मेंबर्स में हाथी, हथिनी और महावत भी शामिल हैं। इतना ही नहीं कई गाडि़यां इस ऑपरेशन में लगी हैं उनका ईधन भी इसमें शामिल है। वाइल्ड लाइफ संस्था की एक स्पेशल रेस्क्यू वैन भी इस ऑपरेशन में लगी है। ये वैन अत्याधुनिक चीजों से लैस है। इसमें एक स्पेशल जाल के अलावा कई दूसरे महंगे हथियार भी हैं।

फिलहाल नहीं किया कोई शिकार

जगह-कनिकामऊ से करीब डेढ़ किमी। दूर

टाइम-सुबह

मंद-मंद ठंडी हवा और कोहरे के बीच बाघ ने जंगलों में चहल-कदमी की। क्योंकि वो पूरे एरिया में कई घंटे बिता चुका है इसलिए अब दो-चार किलोमीटर चहल-कदमी करने के बाद वो दोबारा अपने ठिकाने पर आ जाता है। फ्राइडे को भी सुबह कुछ ऐसा ही हुआ। जैसा कि फॉरेस्ट ऑफिसर्स का कहना है कि अभी बाघ आदमखोर नहीं हुआ है। इस वजह से वो अपनी नई टैरेटेरी में अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहा है। गंगा बैराज के आसपास के कुछ किलोमीटर के एरिया में ही फिलहाल उसके भ्रमण करने की सूचना है। फ्राइडे को उसने कोई नया शिकार नहीं किया। इससे साफ है कि बाघ फिलहाल नए ठिकाने पर आराम करने की फिराक में है। लेकिन कब तक?

'पकड़े जाने का इंतजार'

लखनऊ जू से आए वरिष्ठ पशु चिकित्सक उत्कर्ष शुक्ला से जब ये सवाल पूछा गया कि आखिर बाघ यहां कब तक रहेगा? लोगों को कब तक उसकी दहशत में अपनी रातें गुजारनी पड़ेंगी? तो उनका कहना था कि जब तक वो पकड़ा नहीं जाता तब तक लोगों को थोड़ा कष्ट उठाना पड़ेगा। क्योंकि अगर जल्दबाजी की तो फिर मुश्किल हो जाएगी। अगर उसको मनुष्य की हलचल की भनक लग गई तो फिर वो इधर-उधर भागने लगेगा और जिसके बाद उसको पकड़ना ही मुश्किल नहीं होगा बल्कि लोगों की भी जान को खतरा होगा।

ऐसा मुश्किल है

ग्रामीण बुलाकी ने बताया कि सुबह करीब सात बजे के आसपास उसने बाघ को देखा जिसके बाद बेसुध होकर होकर वो गांव की ओर भागा। कई किलोमीटर दौड़ने के बाद उसकी सांस में सांस आई। जबकि डब्ल्यूटीआई के डॉक्टर सौरभ और डीएफओ रामकुमार कहना है कि बाघ पास से कोई व्यक्ति देख ही नहीं सकता है। क्योंकि उसके खौफ को आम आदमी बर्दाश्त नहीं कर सकता है। इसलिए ऐसा मुश्किल है।

फिर कई जगह पंजे के निशान मिले

लखनऊ से आए डॉक्टर उत्कर्ष शुक्ला का कहना है कि फ्राइडे को कई जगह बाघ के दर्जनों नए पदचिन्ह मिले हैं। उनके हिसाब से बाघ एक निर्धारित एरिया में ही मूव कर रहा है। उनके मुताबिक लगातार बाघ के विचरण के निशान मिल रहे हैं। ऐसे में ये साफ है कि बाघ बड़े आराम से यहां मूवमेंट कर रहा है। फ्राइडे को कई टीमों ने बाघ प्रभावित कई इलाकों का जायजा लिया। टीम में प्रमुख रूप से डीएफओ राम कुमार, वरिष्ठ चिकित्सक उत्कर्ष शुक्ला, डब्ल्यूटीआई के डॉक्टर सौरभ सिंघई समेत कई आला अधिकारी शामिल रहे।

रात में खूब दहाड़ा बाघ

रात करीब नौ बजे के आसपास बड़ा मंगलपुर, नत्थापुरवा और लक्ष्मीखेड़ा के जंगलों में बाघ के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी। गांव वालों का कहना है कि बाघ की दहाड़ से आसपास रहने वाले लोग सहम गए। दहाड़ जब काफी देर सुनाई दी तो पुलिस फोर्स को बुला लिया गया। जिसके बाद कुछ इलाकों में पुलिस की गश्त भी शुरू कर दी गई।

फॉर योर हेल्प

गंगा बैराज के जिस एरिया में बाघ है वहां के आसपास के गांवों में वन विभाग की ओर से एक पर्चा बांटा जा रहा है। इसमें कुछ निर्देश लिखे हैं जोकि आम जनमानस के लिए हैं। ये निर्देश निम्नलिखित हैं

-सुबह, शाम और रात्रि में किसी भी कीमत में अकेले न घूमें।

-बाघ से प्रभावित गांवों में अपने पशुओं को चराने के लिए न छोड़ें। अगर बहुत जरूरी हो तो झुंड बनाकर दिन में चलें।

-छोटे बच्चों को तो किसी भी सूरत में जंगल की ओर न जाने दें।

-पालतू पशुओं को जंगल की बजाए घर के पास बांधें और हो सके तो आग या अलाव जरूर जलाएं। जिन लोगों की झोपड़ी मुख्य बस्ती से अलग एकांत में है तो हर पल सतर्क रहें।

-बाघ ने अभी तक किसी इंसान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है ऐसे में गांव वालों को एहतियात बरतने की जरूरत है। जिससे की उसके बिहेवियर में कोई चेंज न आए।

Report by manoj.khare@inext.co.in and kushagra.pandey@inext.co.in