-गंगा बैराज के जंगलों में पहुंचा बाघ अब मुड़ गया है, दबी जुबान में अधिकारी भी स्वीकार कर रहे

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गंगा बैराज के जंगल पहुंचा आवारा बाघ अब अपने 'घर' की ओर चल पड़ा है। पिछले भ्8 दिनों तक घर से बाहर रहने के बाद अब शायद उसको 'घर' वापसी का रास्ता मालूम चल गया है। पिछले करीब दो हफ्ते से गंगा बैराज और आसपास के जंगल में घूम रहे बाघ को ढूंढने के लिए वन विभाग, डब्ल्यूटीआई और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की दो दर्जन से ज्यादा टीमें खाक छानती रहीं। लेकिन अब दबी जुबान में ऑफिसर्स भी कह रहे हैं कि बाघ 'घर' की ओर लौट चला है।

वापस उसी रास्ते से

रिटायर्ड रेंजर विक्रम सिंह बताते हैं बाघ टेरेटरी बनाकर रहता है। वो बाघ भी लखीमपुरखीरी से अपना नया 'साम्राज्य' बनाने के लिए वहां से बढ़ा था। वो कई दिनों तक इधर-उधर भटका लेकिन वो जहां गया वहां उसे कॉम्बिंग करते हुए हाथी, वन विभाग, डब्ल्यूटीआई, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीमों की आहट सुनाई दी। चूंकि वो बाघ आदमखोर नहीं था, इस वजह से वो मनुष्य की आहट भर से भाग जाता था। विक्रम सिंह बताते हैं कि इस वजह से वो इस बात को समझ चुका था कि कोई उसके पीछे पड़ा है। कई दिनों तक तो उसने टीमों को छकाया फिर जब वो इस बात को समझ गया कि ये पीछा नहीं छूटने वाला तो फिर 'घर' की ओर चलने में ही अपनी भलाई समझी। रेंजर का कहना है कि बाघ काफी चालक और चतुर होता है ऐसे में वो जिस ओर से आया है उसको वो रास्ता याद है। ऐसे में पूरे चांसेज हैं कि वो वापस हाे गया है।

टीमें फिर खाली हाथ लौटीं

वेडनेसडे को करीब दो दर्जन टीमों ने उन्नाव और गंगा बैराज के जंगलों में घंटों कॉम्बिंग की लेकिन बाघ की कोई खोज-खबर नहीं मिली। डब्ल्यूटीआई के सीनियर चिकित्सक डॉ। सौरभ सिंघ‌ई्र ने बताया कि बाघ की तलाश में लगातार कई दिनों से कॉम्बिंग की जा रही है लेकिन पिछले एक हफ्ते से उसका न तो कोई पग मार्क मिल रहा है और न ही किसी शिकार का कोई पता चल रहा है।