-बागों की रखवाली कर पाने से अमरूद की फसल को नुकसान पहुंचा रहे जानवर

- कॉम्बिंग जारी, लेकिन बाघ का नहीं लगा लगा कोई सुराग

-कटरी के आसपास के स्कूल खुले पर दहशत के कारण क्लास खाली

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KANPUR : गंगा बैराज की कटरी में बाघ के गुम होने से जहां उसकी तलाश में लगीं वन विभाग टीम परेशान है तो दूसरी तरफ फसल की निगरानी न कर पाने से ग्रामीणों को भी तगड़ा नुकसान सहना पड़ रहा है। बाघ को पकड़ने में हो रही देरी से ग्रामीणों में नाराजगी है। अब वे घरों से निकलकर चोरी-छिपे कटरी स्थित खेतों में जाने लगे हैं। जिससे कोई भी अनहोनी होने का खतरा बढ़ गया है। बाघ के कटरी में घुसने के बाद से ग्रामीणों को खेतों में जाने से रोक दिया गया था।

आठ घंटे चली कॉम्बिंग

वन विभाग, डब्ल्यूटीआई समेत डेढ़ दर्जन टीमों ने सोमवार को सुबह साढ़े छह बजे से कॉम्बिंग शुरू कर दी। टीमों ने फिर से कटरी के जंगल को खंगाला, लेकिन उनको न तो बाघ मिला और ना ही उसके पग मा‌र्क्स। टीमों ने दोपहर क्ख् बजे एक घंटे आराम करने के बाद दोबारा कॉम्बिंग कर पसीना बहाया, लेकिन कोई नतीजा हाथ नहीं लगा। टीम लीडर डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि बाघ काफी चालाक है। वो टीमों को बार-बार गच्चा दे रहा है। वो न तो चारा खा रहा है और न ही बाहर निकल रहा है। इससे उसको ढूढ़ने में काफी दिक्कत आ रही है।

उन्नाव, महाराजपुर और घाटमपुर को भी खंगाला

डब्ल्यूटीआई की एक-एक टीम उन्नाव, महाराजपुर और घाटमपुर के जंगल में भी गई, लेकिन टीमों को वहां पर भी मायूस हाथ लगी। सुबह उन्नाव के चकलवंशी में बाघ और बाघिन के देखे जाने की अफवाह उड़ी तो एक टीम ने वहां पर भी जाकर हकीकत जानी।

हर दिन हजारों का नुकसान

यूपी में सबसे ज्यादा अमरूद के बाग गंगा कटरी में है। इस सीजन में ग्रामीण सालभर की कमाई कर लेते हैं, लेकिन कटरी में बाघ की दहशत से ग्रामीण बाग में नहीं जा पा रहे है। जिससे उनको तगड़ा नुकसान सहना पड़ रहा है। पहाड़पुर के बुलाकी का कहना है कि बाग की रखवाली नहीं करेंगे तो नीलगाय समेत अन्य जंगली जानवर बाग को बर्बाद कर देंगे। वे दहशत में बाग नहीं जा पा रहे है। ऐसे में उनको तगड़ा नुकसान हो सकता है। वहीं, कुछ लोगों ने खतरे की परवाह न कर नुकसान होने के डर से बागों में जाना शुरू कर दिया है।

स्कूल खुले, बच्चे गायब

गंगा कटरी तक बाघ के पहुंचने पर डीएम ने सुरक्षा के लिहाज से स्कूलों को बन्द कर दिया था। पिछले पांच दिन से बाघ का कोई सुराग नहीं मिलने पर मंडे को कटरी से जुड़े गांवों के स्कूल तो खोल दिए गए, लेकिन परिजनों ने बाघ की दहशत में बच्चों को स्कूल नहीं भेजा। स्कूलों में ख्0 से फ्0 प्रतिशत उपस्थिति रही। स्कूल के टीचर्स ने ग्रामीणों से बच्चों को स्कूल भेजने की अपील की है, लेकिन लोगों का कहना है कि जानबूझकर बच्चों को जान जोखिम में नहीं डाल सकते हैं।