कानपुर (ब्यूरो)। सेवन हार्ट और किडनी टांसप्लांट के लिए अब लोगों को मुंबई और दिल्ली के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। क्योंकि सेवन एयरफोर्स हॉस्पिटल में जल्द ही आर्गन रिट्रीवल सेंटर ओपन होगा। यहां बे्रन डेड पेशेंट्स के ऑर्गन को रखा जाएगा। इससे फायदा ये मिलेगा कि कार्डियोलॉजी में हार्ट ट्रांसप्लांट और हैलट में किडनी ट्रांसप्लांट का रास्ता खुल जाएगा। सेवन एयरफोर्स हॉस्पिटल में आर्गन रिट्रीवल सेंटर के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने हरी झंडी दे दी है, जल्द ही इस पर काम भी शुरू हो जाएगा।

जीएसवीएम के प्रिंसिपल टीम में
रिट्रीवल सेंटर के लाइसेंस को लेकर में तीन दिन पहले ही डीजी चिकित्सा शिक्षा की ओर से गठित छह सदस्यीय टीम ने एयर फोर्स हॉस्पिटल का इंस्पेक्शन किया था। टीम में कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ। राकेश कुमार वर्मा व केजीएमयू के डॉ। राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान लखनऊ और झांसी के एक्सपर्ट थे। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। संजय काला की अगुवाई में टीम ने हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू, आई डिपार्टमेंट, हाई डिपेंडेंसी यूनिट और वार्डों को देखा। इसके बाद उन्होंने शासन को रिपोर्ट भेजी। केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिल गई ्रहै। ऐसे में हैलट और कॉर्डियोलॉजी में टांसप्लांट शुरू किया जा सकेगा।

दिल्ली व मुम्बई के लगाने पड़ते चक्कर
हार्ट व किडनी के ट्रांसप्लाट में सबसे बड़ी समस्या ऑर्गन को रखने की आती है। शहर में रिट्रीवल सेंटर न होने की वजह से फैमिली मेंबर चाह कर भी ऑर्गन डोनेट नहीं कर पाते हैं। वहीं किडनी ट्रांसप्लांट में फैमिली मेंबर किडनी डोनेट करने से बचते हैं। इस स्थिति में हाई प्रोफाइल मामले में लोग किडनी व हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली व मुम्बई जैसी सिटी के चक्कर लगाते हैं। इसका मुख्य कारण वहां पर आर्गन रिट्रीवल सेंटर मौजूद है। जहां ब्रेन डेड पेशेंट के आर्गन को फैमिली की मंजूरी से उनके आर्गन निकाल कर सुरक्षित रख लिया जाता है। जिसके बाद जरूरतमंद पेशेंट को यह आर्गन लगा दिए जाते हैं।

सेंटर से कार्निया भी मिल सकेंगी
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो। संजय काला ने बताया कि हॉस्पिटल को लाइसेंस देने के संबंध में टीम अपनी रिपोर्ट देगी। लाइसेंस मिल जाता है तो हैलट और कार्डियोलॉजी में आर्गन ट्रांसप्लांट शुरु किया जा सकेगा। सेंटर में कैडबर और ब्रेन डेड दोनों दिए जा सकेंगे। किडनी ट्रांसप्लांट के संबंध में प्रस्ताव तैयार करने पर विचार किया जाएगा। सेंटर से कार्निया भी मेडिकल कॉलेज के आई डिपार्टमेंट को मिल सकेगा। कॉलेज के यूरो सर्जन और नेफ्रोलॉजिस्ट उपलबध है।