इसका अर्थ हुआ कि पुरुष चाहें तो स्कर्ट घाघरे पहन कर और महिलाएं पतलून-टाई पहन कर ऑक्सफ़ोर्ड के औपचारिक कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं।

ऑक्सफ़ोर्ड में लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल ट्रांस और क्वीएर सोसायटी के आग्रह पर ऑक्सफ़ोर्ड छात्र संघ ने यह प्रस्ताव पास किया है.  विश्वविद्यालय के मानने के बाद यह बदलाव इसी साल चार अगस्त से लागू हो जाएंगें। सोसायटी के पदाधिकारी जेस पम्फ्रे का कहना है कि यह निर्णय परीक्षा देते समय छात्रों के मन से बोझ को कम करेगा।

ऑक्सफ़ोर्ड के पुराने क़ायदे के अनुसार विश्वविद्यालय के पुरुष छात्रों को औपचारिक कार्यक्रमों में गहरे रंग का सूट, काले जूते, सफ़ेद बो टाई और सादी सफ़ेद शर्ट के ऊपर काले गाउन पहनना अनिवार्य होता था।

महिला छात्रों के लिए ज़रूरी होता था कि वो गहरे रंग के स्कर्ट या पतलून पहनें उसके ऊपर सफ़ेद ब्लाउज, काले स्टॉकिंगज़, काले जूते के साथ गले में ख़ास ढंग के बो के अंदाज़ में पहनें।

अगर कोई ट्रांसजेंडर छात्र किसी दूसरे लिंग के लिए निर्धारित कपड़े पहनना चाहे तो उसे इसके लिए विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर से ख़ास अनुमति लेनी होती था। प्रॉक्टरों के पास यह विशेषाधिकार होता था कि वो नियम भंग करने छात्रों को दंडित कर सकें।

विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा कि यह नियमों में बदलाव लिंग भेद को दूर करने के लिए किए गए हैं। प्रवक्ता के अनुसार छात्र संघ ने यह कहा था कि मौजूदा नियम ट्रांसजेंडर छात्रों के हितों की अनदेखी कर रहे थे।

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