कानपुर (ब्यूरो) कठारा गांव निवासी किसान मेवालाल कुशवाह गुरुवार सुबह दरवाजे मवेशियों को चारा दे रहे थे। तभी एक कबूतर उनके कंधे पर आकर बैठ गया। कबूतर के गले में सफेद धागे में एक कागज का टुकड़ा देख बेटे धर्मेंद्र ने पड़ोसियों की मदद से कबूतर को पकड़ लिया। गले से धागे से बंधे कागज के टुकड़े को उतारकर खोला तो वह उर्दू भाषा में लिखी चि_ी थी। जिसमे बने वर्गाकार भाग के बीच सात पंक्तियों में कुछ लिखा था। चि_ी के दूसरी ओर खून भी लगा था। ये देखकर किसान समेत ग्रामीण दहशत में आकर तरह-तरह के अनुमान लगाकर चर्चा करने लगे। कई इसे दुश्मन देश पाकिस्तान की साजिश बताने लगे।
मौलाना से पढ़ाई चिट्ठियां
वहीं ग्रामीणों ने कबूतर को एक पिजड़े में कैद कर पुलिस को जानकारी दी। सूचना पर थाना प्रभारी योगेश कुमार वहां पहुंचे। उन्होंने उर्दू भाषा के जानकार एक मौलाना को चि_ी दिखाई। चि_ी को पढक़र मौलाना ने बताया कि ङ्क्षचता की बात नहीं है। ये ताबीज है। उन्होंने बताया कि मुस्लिम समुदाय के अधिकांश लोग ताबीज खराब होने पर उसे किसी पक्षी के गले में टांगकर उड़ा देते हैं। इसके बाद पुलिस ने राहत की सांस ली।