पुलिस फोर्स किसी भी स्पॉट पर पहुंची नहीं। फायर स्टेशन पर फोन रिसीव ही नहीं हुआ। एंबुलेंस बुलाने के लिए तो फोन नंबर ही नहीं मिला। एक ही समय पर कंट्रोल रूम नंबर के साथ रिपोर्टर ने पिज्जा भी ऑर्डर किया। ठीक 24 मिनट बाद पिज्जा तो डिलीवर हो गया लेकिन इमरेजेंसी नंबर रिसीव तक नहीं हुआ।
इमरजेंसी में 24 घंटे हेल्प के लिए शहर में बाकायदा पुलिस कंट्रोल रूम बनाया गया है। मगर, ये कंट्रोल रूम आपकी कितनी मदद कर पाएगा, ये जानने के लिए आई नेक्स्ट रिपोटर्र ने संडे को सिटी के अलग-अलग एरियाज से फोनकर कंट्रोल रूम का रियलिटी चेक किया। देखिए क्या स्थिति मिली।
टाइम: शाम 4:57
स्पॉट: आई नेक्स्ट ऑफिस
सर, योर पिज्जा
इमरजेंसी सर्विसेज के रिएलिटी चेक के बाद बारी थी आखिरी स्टेप की। शाम को 4 बजकर 57 मिनट पर आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने फोन पर पिज्जा ऑर्डर किया। ठीक इसी वक्त दूसरे रिपोर्टर ने अपने मोबाइल नंबर (9336577855) से पुुलिस कंट्रोल रूम फोन किया। नंबर बिजी था। रिपोर्टर ने फोन को रीडायलिंग पर लगा रखा था। मोबाइल स्क्रीन पर नंबर बिजी डिस्प्ले होता रहा। कुछ देर बाद दूसरे रिपोर्टर ने ऑफिस के फोन (0512-3910212) से कॉल किया तो दूसरी ओर से कोई रेस्पॉन्स ही नहीं मिला। हमारी यह कवायद चल ही रही थी कि शाम 5 बजकर 21 मिनट पर यानि ऑर्डर के ठीक 24 मिनट बाद डिलीवरी ब्वॉय पिज्जा लेकर हमारे ऑफिस पहुंच गया।
केस-1
समय: दोपहर 11.30 बजे
स्पॉट: चकेरी
कॉलर : हैलो, मैं चकेरी से रंजना बोल रहीं हूं, मेरे घर के बाहर कुछ आवारा लडक़े उत्पात मचा रहे है। प्लीज जल्दी फोर्स भेज दिए।
कंट्रोल रूम : परेशान मत हो, फोर्स भेज रहे हैं।
(आधा घंटा वेट करने के बाद भी पुलिस नहीं पहुंची तो रिपोर्टर ने फिर कॉल किया.)
कॉलर : हैलो, मैं रंजना, कुछ देर पहले मैंने फोन किया था, अब तक कोई पहुंचा नहीं।
कंट्रोल रूम: अंकुश भेजी गई थी, पहुंची नहीं क्या? आप थाने का पीएनटी और सीयूजी नंबर नोट कर लो, फोन कर अपनी समस्या बता दें।
(रिपोर्टर ने दिए गए नंबर पर डायल किया)
कॉलर : मेरे घर पर कुछ लोग तोडफ़ोड़ कर रहे हैं, आप जल्दी किसी को भेज दीजिए।
थाना पुलिस: ये एरिया हमारे अंडर में नहीं आता है। (फोन काट दिया गया)
केस-2
समय: दोपहर 12
स्पॉट: नौबस्ता, बाईपास
रिपोर्टर : हैलो सर, नौबस्ता से विजय बोल रहा हूं। हाईवे पर एक एक्सीडेंट हो गया है, रोड जाम है, जल्दी फोर्स भेज दीजिए।
कंट्रोल रूम : ठीक है, थोड़ी देर में फोर्स पहुंच जाएगी।
(15 मिनट तक स्पॉट पर किसी के न पहुंचने पर रिपोर्टर ने फिर कॉल किया)
रिपोर्टर: हां, सर यहां एक्सीडेंट स्पॉट पर कोई पहुंचा नहीं
कंट्रोल रूम: अंकुश के दो सिपाही भेजे गए हैं, उन्हें वहां कुछ नहीं मिला।
रिपोर्टर: मैं तो यहीं खड़ा हुआ हूं, कोई नहीं आया सर। मैं, हैलोहैलोहैलो सर (फोन कट गया)
रिपोर्टर ने फिर कॉल किया तो फोन उठाकर फिर रख दिया।
केस-3
दोपहर 12.30 बजे
जगह: गंगा पुल, शुक्लागंज
रिपोर्टर: हैलो सर, शुक्लागंज पुल से बोल रहा हूं, यहां एक्सीडेंट हो गया है। दो गाडिय़ां भिड़ गई हैं, टै्रफिक जाम हो गया है।
कंट्रोल रूम : ये बताइये कि एक्सीडेंट पुल से किस तरफ हुआ है। सिटी तरफ है तो फोर्स भेजता हूं, वरना वो दूसरा जिला है।
रिपोर्टर: सर, शुक्लागंज का ही नंबर बता दो, मुझे नहीं मालूम, एरिया किस किस थाने में आता है।
कंट्रोल रूम : सीयूजी और पीएनटी नंबर नोट कर लो (नंबर नोट कराकर फोन काट दिया)
केस-4
दोपहर 1 बजे
स्पॉट: घाटमपुर चौराहा
रिपोर्टर: हैलो सर, घाटमपुर बस अड्डे के बाहर दो गुटों के बीच मारपीट हो गई है। फोर्स भेज दीजिए।
कंट्रोल रूम : कौन सी चौकी पड़ती है, पुलिस गश्त पर है, परेशान मत हो, वायरलेस किया जा रहा है, फोर्स पहुंच रही है।
(आधे घंटे तक स्पॉट पर कोई पुलिस वाला नहीं पहुंचा तो रिपोर्टर ने फिर कॉल की)
रिपोर्टर : पुलिस नहीं पहुंची सर, पिटाई कर हमलावार भाग रहे हैं।
कंट्रोल रूम : जरा तसल्ली करो फोर्स हवा में उडक़र नहीं आ सकती है।
(इसके बाद भी फोर्स नहीं पहुंची तो रिपोर्टर ने फिर से कई बार फोन ट्राई किया लेकिन रेस्पॉन्स नहीं मिला। काफी देर बार फोन रिसीव हुआ तो थाने का पीएनटी व सीयूजी नंबर बताकर फोन काट दिया)
केस-5
समय- दोपहर 1.30 बजे
स्पॉट: मैनावती मार्ग, कल्याणपुर
रिपोर्टर: सर, मैनावती रोड पर शोहदे एक लडक़ी को परेशान कर रहे हैं।
कंट्रोल रूम : कौन सा थाना पड़ता है, नवाबगंज पड़ता है। वायरलेस किया जा रहा है।
रिपोर्टर : सर, मुझे नहीं मालूम कौन सा थाना पड़ता है बस आप फोर्स भेज दीजिए।
(आधे घंटे तक पुलिस के न पहुंचने पर फिर कंट्रोल रूम फोन किया गया.)
रिपोर्टर: सर, पुलिस पहुंची नहीं यहां पर अभी।
कंट्रोल रूम: नवाबगंज थाने को मैसेज फ्लैश किया गया था, मगर वो एरिया नवाबगंज में नहीं बल्कि कल्याणपुर और बिठूर के बार्डर पर आता है। इंतजार करो पुलिस आ रही है।
(10 मिनट बाद पुलिस नहीं पहुंची तो फिर कंट्रोल रूम कॉल किया)
रिपोर्टर : लडक़े तो भाग गए हैं अब तक कोई नहीं आया ।
कंट्रोल रूम : ऐसो करो, थाने के सीयूजी और पीएनटी नंबर नोट कर लो, वहां फोन कर बता दो।
हेल्थ इमरजेंसी की हकीकत
सिटी में हेल्थ इमरजेंसी नंबरों की हकीकत डराने वाली है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब इमरजेंसी नंबर 102 पर फोन करके मदद मांगने की कोशिश की तो सिर्फ निराशा ही हाथ लगी।
दोपहर 12:30 बजे : फोन बिजी था
दोपहर 3 बजे : फोन बिजी था
शाम 6:30 बजे : फोन उठा
इमरजेंसी : नमस्कार, पुलिस कंट्रोल रूम
रिपोर्टर : भाई साहब ये नंबर तो मेडिकल इमरजेंसी का है
इमरजेंसी : नहीं, ये पुलिस कंट्रोल रूम का नंबर है
रिपोर्टर : मुझे एंबुलेंस चाहिए। मेरी बहन
(बात पूरी हुए बिना फोन काट दिया)
आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने हैलट हॉस्पिटल के सीएमएस का नंबर अरेंज किया और वहां के इमरजेंसी नंबर के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि हैलट की इमरजेंसी में पब्लिक के लिए कोई भी इमरजेंसी नंबर नहीं है। ऑफिस का पीएनटी नंबर (0512-2535018)क्र भी पिछले कई दिनों से खराब पड़ा हुआ है। इस नंबर पर बेल लगातार होती है, लोगों को लगता है कि फोन उठाया नहीं जा रहा है। अगर किसी को अर्जेंट में एंबुलेंस की जरूरत हो तो प्राइवेट हॉस्पिटल्स या फिर एनजीओ की ओर से प्रोवाइड की जा रही एंबुलेंस सर्विस पर फोन कर सकते है।