- आई एक्सक्लूसिव

- स्वास्थ्य विभाग के डर से नर्सिग होम संचालकों ने डेंगू की सरकारी जांच कराना किया बंद

- मरीजों से भरे पड़े प्राइवेट अस्पताल, स्ट्रेचरों पर भर्ती कर हो रहा इलाज और स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल रहे मरीज

KANPUR: डेंगू के प्रकोप पर काबू पाने में नाकाम रहे स्वास्थ्य विभाग ने प्राइवेट अस्पतालों के ऐसे पेंच टाइट किए कि उन्होंने अपने यहां भर्ती होने वाले मरीजों की डेंगू की जांच ही कराना बंद कर दिया। हालांकि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में अभी भी हालात नहीं बदले हैं और कई बड़े अस्पतालों में तो पेशेंट्स को स्ट्रेचर पर भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। जबकि स्वास्थ्य विभाग को शहर में डेंगू के पेशेंट्स ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।

लक्षणों के आध्ार पर इलाज

स्वरूप नगर स्थित एक बड़े अस्पताल के मालिक बताते हैं कि उनके यहां पिछले डेढ़ महीने से सारे बेड फुल हैं और मरीजों का वेटिंग एरिया में स्ट्रेचर डाल कर इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने नई गाइड लाइन दी है, जिसमें डेंगू का मरीज अगर अस्पताल में आता है। तो उसका रोज रिकॉर्ड देना होगा। हम यहां इलाज करें या पेपर बाजी करें। इसलिए हम अब लक्षणों के आधार पर इलाज कर रहे हैं। डॉक्टर को पता है कि किसे डेंगू है किसे नहीं। कुछ यही हाल कई दूसरे बड़े प्राइवेट अस्पतालों का भी है।

माइक्रोबायोलॉजी लैब में भी अब ज्यादातर सैंपल अोपीडी के

मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में पिछले 10 दिनों में आए सैंपलों में 50 फीसदी से ज्यादा सरकारी और प्राइवेट ओपीडी के मरीज हैं। इनमें प्राइवेट अस्पतालों से आने वाले सैंपलों की संख्या 10 फीसदी भी नहीं रह गई है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के पास डेंगू के मरीजों का आंकड़ा अभी भी 52 पर ही अटका है। जबकि रोज माइक्रोबायोलॉजी लैब में तकरीबन 100 टेस्ट हो रहे हैं।

'मौसम के साथ ही डेंगू का प्रकोप कम होता जाएगा। अभी स्थिति नियंत्रण में है। जो मरीज मिल भी रहे हैं उनके घरों में एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जा रहा है। प्राइवेट अस्पताल भी इन सबमें सहयोग कर रहे हैं.'

- डॉ। आरपी यादव, सीएमओ, कानपुर नगर