कानपुर(ब्यूरो)। टमाटर इन दिनों से किचन से लेकर सरकार तक चर्चा का विषय बना हुआ है। डेढ़ सौ रुपए प्रति किलो बिक रहा टमाटर वीवीआईपी हो गया है। आम घरों से लेकर छोटे मोटे होटल्स और रेस्टोरेंट से टमाटर गायब हो गया है। टमाटर की महंगाई को लेकर सोशल मीडिया पर तरह के मीम बनाए जा रहे हैं। लेकिन, अगर आपको ये पता चले कि देश में टमाटर का प्रोडक्शन डिमांड से कहीं ज्यादा है तो शॉक तो लगेगा ही। ऐसे में सोचना लाजिमी है कि फिर टमाटर इतना &लाल&य क्यों हो रहा है।

22 मिलियन टन प्रोडक्शन
एग्रीकल्चर फील्ड में रिसर्च के लिए जाने पहचाने नाम सीएसए के वीसी डॉ। आनंद कुमार सिंह ने बताया कि देश में टमाटर की डिमांड 18 मिलियन टन सालाना है। इस साल अगर हम प्रोडक्शन की बात करें तो 22 मिलियन टन प्रोडक्शन हुआ है। ऐसे में डिमांड से 4 मिलियन टन ज्यादा प्रोडक्शन के बाद टमाटर में बढ़े दामों के पीछे मिडिल मैन और टमाटर में लगने वाली बीमारियों का हाथ है। खेत से कंज्यूमर तक पहुंचने के बीच में पडऩे वाले मिडिल मैन दाम बढऩे वाले प्रमुख कारणों में से एक हैं। अगर देश में बड़े स्तर पर टमाटर का बिजनेस करने वालों की बात करें तो वह मात्र 38 हैं।

सप्लाई चेन पर करना होगा काम
डॉ। सिंह ने बताया कि बारिश में टमाटर के दाम बढऩा कोई नई बात नहीं है। इस महंगाई से पब्लिक को सेफ करने के लिए सप्लाई चेन को बेहतर बनाना होगा। कुछ ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, जिससे किसान के खेत से बाजार और कंज्यूमर तक टमाटर आसानी से पहुंचे। बताया कि टमाटर फटने के बाद सड़ता बहुत जल्दी है। इस वजह से उसको यूज में नहीं लिया जा सकता है। इस वजह से खरीफ की फसल में किसान टमाटर को कम बोता है। क्योकि तोड़ाई के समय गर्मी और बारिश दोनों होती है। सप्लाई चेन बनाते समय इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि टमाटर कंज्यूमर तक पहुंचने के समय तक सही दशा में रहे।

सालाना 2200 करोड़ की प्यूरी
टमाटर के वैल्यू एडिशन कर एक्सपोर्ट की बात करें तो इंडिया से सालाना 2200 करोड़ की प्यूरी हम एक्सपोर्ट करते हैं। इसमें देखने वाली बात यह है कि हर वैरायटी के टमाटर से प्यूरी नहीं बनती है। ज्यादा गूदा और कम पानी वाले टमाटर से ही प्यूरी बनती है। इसके अलावा बोतल और पैकेट्स में मिलने वाला टोमैटो कैचअप भी टमाटर से ही बनता है। ये कैचअप आम दिनों के टमाटर के रेट के हिसाब से काफी महंगा होता है। कैचअप को लंबे समय तक यूज किया जा सकता है।

टोमेटो फैक्ट्स
18 मिलियन टन सालाना डिमांड देश में टमाटर की
22 मिलियन टन टमाटर का प्रोडक्शन हुआ इस साल
4 मिलियन टन ज्यादा प्रोडक्शन हुआ टमाटर का
38 लोग हैं देश में बड़े स्तर पर टमाटर का बिजनेस करने वाले
2200 करोड़ की प्यूरी हर साल एक्सपोर्ट होती है
150 रुपए प्रति किलो बिक रहा टमाटर वर्तमान में

क्यों हो जाता है इतना महंगा
-बढ़े दामों के पीछे मिडिल मैन और फसल में लगने वाली बीमारियां हैं
-अक्सर खेत से कंज्यूमर तक पहुंचते पहुंचते टमाटर सड़ जाता है
-बारिश के कारण खेतों में पानी भरने से फसल डूब जाती है
-बड़ी मात्रा में टमाटर दूसरे देशों को एक्सपोर्ट कर दिया जाता है
-प्रोडक्शन का बड़ा हिस्सा प्यूरी और कैचअप बनाने में इस्तेमाल


क्या करना होगा हालात काबू में रखने के लिए
-टमाटर की सप्लाई चेन को और बेहतर बनाना होगा
-ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, खेत से बाजार और कंज्यूमर तक टमाटर आसानी से पहुंचे
- टमाटर फटने के बाद सड़ता बहुत जल्दी है, इस वजह से उसको यूज में नहीं लिया जा सकता
- खरीफ की फसल में किसान टमाटर कम बोता है, क्योकि तोड़ाई के समय गर्मी, बारिश दोनों होती है।
- खेत से कंज्यूमर के घर तक पहुंचने में टमाटर सही दशा में रहे, इस पर काम करना होगा
- भंडारण व्यवस्था को आसान और सस्ता बनाना होगा