बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखी टिप्पणी करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोदी का बचाव किया है। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने नीतीश कुमार के बयान पर कहा कि इतने दिनों बाद उन्हें अब गुजरात की याद क्यों आई है?

भागवत ने कहा कि नीतीश कुमार अपने वोट बैंक के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। भागवत ने नरेंद्र मोदी को एनडीए के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होने को भी समर्थन दिया। भागवत ने कहा, "हिंदुत्व विचारधारा को जिंदा रखने के लिए हिंदू समाज को साथ आना होगा और देश को वैसा प्रधानमंत्री चाहिए जो इस विचारधारा को मानता हो."

'कोई समझौता नहीं'

आरएसएस के बयान के बाद जनता दल यूनाइटेड ने भी अपने सुर और कड़े कर दिए हैं। जेडीयू ने भाजपा से कहा है कि वो अपना रूख साफ करे और जेडीयू कोई समझौता करने वाला नहीं है।

जेडीयू के नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि गुजरात दंगो की वजह से ही केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार वर्ष 2004 का चुनाव हार गई थी। तिवारी ने कहा, "हम ये मानते है कि आज के दिन भी हिंदुस्तान की मानसिकता नहीं बदली है। जो कट्टर धारा है उसे आम हिंदू मानने को तैयार नहीं है। गुजरात की घटना को हम लोग भूले नहीं है." तिवारी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता के मामले पर पार्टी कोई समझौता नहीं करेगी।

"हम धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय पर कोई समझौता करने वाले नहीं है, चाहे हम एनडीए में रहे या न रहे, चाहे बिहार में हमारी सरकार रहे या न रहे." नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा था कि जेडीयू चाहती है कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कोई धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाला नेता ही हो।

जेडीय अध्यक्ष शरद यादव ने इस मामले में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार का ये बयान नरेंद्र मोदी के उस बयान की प्रतिक्रिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि जातिवाद ने उत्तर प्रदेश और बिहार को बर्बाद कर दिया।

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