कानपुर (ब्यूरो)। सिटी के कई आरओबी के ज्वाइंटर कानपुराइट्स को हड्डीतोड़ दर्द दे रहे हैं। स्पाइन पेशेंट बना रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो डिपार्टमेंट के आंकड़े भी बता रहे हैं कि स्पाइन के हर साल 15 से 20 परसेंट केस बढ़ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह खराब सडक़ें और आरओबी के ज्वॉइंटर हैं। चिंता वाली बात यह है कि कानपुराइट्स इस प्रॉब्लम को सालों से फेस कर रहे हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इसकी अनदेखी कर रहे हैं।

हर आरओबी दे रहा दर्द
शहर का हर आरओबी और गड्ढे वाली सडक़े लोगों को हर रोज दर्द दे रही हैं। झकरकटी पुराने पुल का मेंटीनेंस कुछ महीने पहले ही हुआ है। सेतु निगम ने अपने हिस्से के पुल के ज्वाइंटर को लेवल कर दिए है। वहीं रेलवे के अंडर में आने वाला पुल का हिस्सा अभी भी जस का तस पड़ा हुआ है। यही हाल सीओडी, गोविंदपुरी समेत अन्य आरओबी का भी है।

बैक पेन, स्लीप डिस्क समेत अन्य समस्या
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो डिपार्टमेंट के प्रो। मनीष सिंह ने बताया कि खराब सडक़ों व आरओबी के ज्वाइंटर में बाइक सवार को सबसे अधिक झटके लगते हैं। इसके अलावा कार सवार को भी यह समस्या होती है। लगातार यह समस्या फेस करने की वजह से बैक पेन, स्लीप डिस्क, गर्दन में दर्द, कलाई में दर्द समेत आर्थो से जुड़़ी कई बीमारियां हो सकती है। रीढ़ की हड्डी प्रभावित होने से पूरा स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

हर साल 15 से 20 परसेंट बढ़ रहे पेशेंट
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो डिपार्टमेंट के आंकड़ों की माने तो सिटी में स्पाइन के पेशेंट की संख्या हर साल 10 से 15 परसेंट बढ़ रही है। बीते साल डेली ओपीडी में कमर दर्द, गर्दन में दर्द बना रहना समेत स्पाइन समस्या लेकर 30 से 40 पेशेंट आते थे। जबकि वर्तमान में डेली ओपीडी में 50 से अधिक पेशेंट आ रहे हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि यह समस्या अनियमित दिनचर्या, खराब सडक़ और आरओबी के ज्वाइंटर की वजह से हो रही है।


ब्लॉक लेना बड़ी समस्या
रेलवे आफिसर्स के मुताबिक, सिटी में बने आरओबी के ज्वाइंटर को दुरुस्त करने के लिए प्लानिंग चल रही है। बीते दिनों झकरकटी पुराने पुल के ज्वाइंटर को दुरुस्त करने के लिए टेंडर जारी किए गए थे। आरओबी में रेलवे के हिस्से में आने वाले हिस्से का मेंटीनेंस करने में सबसे बड़ी समस्या ब्लॉक लेने में होती है। ट्रेनों के संचालन को देखते हुए कुछ घंटों का ब्लॉक लेकर मेंटीनेंस किया जाता है। जिससे काम के दौरान कोई घटना न घटित हो।

पूरे शरीर को संभालती है स्पाइन
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ऑर्थो डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। फहीम अंसारी ने बताया कि शरीर रीढ़ की हड्डी पर टिका होता है। बाइक ड्राइव के दौरान शरीर का पूरा वेट कमर और गर्दन से जुड़ी रीढ़ की हड्डी पर टिका होता है। सडक़ों पर अधिक गड््ढे होने या फिर आरओबी के ज्वाइंटर में रीढ़ की हड्डी में दबाव पड़ता है। इसके अलावा कंधों की जोड़ व कलाई पर भी जोर पड़ता है।