-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के खुलासे के बाद पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की नींद टूटी

- बोर्ड के अफसरों ने भैरवघाट और गंगा बैराज से पानी 5 सैंपल भरे, तीन दिन में आएगी रिपोर्ट

- कीड़ों की रिपोर्ट में लगेंगे 10-15 दिन, इसके बाद भी लिया जाएगा एक्शन का फैसला

KANPUR : दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने थर्सडे को गंगा नदी से कीड़े वाला पानी जलकल को सप्लाई किए जाने खुलासा किया। जिसके बाद पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम में अफरातफरी मच गई। आनन फानन में विभाग नींद से जागा और पानी का सैम्पल लेकर जांच शुरू कर दी गई है। ये बात और है कि गंगा नदी में कीड़े कैसे खत्म किए जाएं, इस पर विभाग के पास कोई एक्शन प्लान नहीं है।

बैराज से तीन, भैरवघाट से दो सैम्पल

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और जलकल की संयुक्त टीम ने कुल पांच जगह के गंगा जल का सैम्पल लिया है। इनमें गंगा बैराज के किनारे का पानी, बीच धार में जाकर और दूसरी तरफ के किनारे के पानी का सैम्पल लिया गया। तीनों सैम्पल्स में कीड़े तैरते हुए साफ दिख रहे हैं। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एएसओ डॉ। अरुणिमा बाजपेई का कहना है कि लाल रंग के कीड़े गंगा के किनारे लोगों के शौच करने से डेवलप हुए हैं। सफेद रंग वाले कीड़ों के बारे में अभी आईडेन्टिफाई करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। हालांकि एएसओ इस बात का जवाब नहीं दे सकीं कि इन कीड़ों को खत्म कैसे किया जाएगा। वहीं भैरवघाट में जिस जगह ड्रेजर लगा है, वहां के पानी और बीच धार में जाकर सैम्पल लिया गया। यहां के भी दोनों सैम्पल में कीड़े दिख रहे हैं।

तीन दिन में पानी की रिपोर्ट

फिलहाल दोनों ही विभाग अभी पानी की जांच करेंगे। इसके बाद इन कीड़ों की प्रजाति के बारे में पता किया जाएगा, साथ ही यह भी जांच होगी कि गंगा के जल में इन कीड़ों के पनपने का कारण क्या है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एएसओ डॉ। अरुणिमा बाजपेई के मुताबिक पानी की रिपोर्ट तीन दिन में आ जाएगी, जबकि कीड़ों की रिपोर्ट बनने में करीब 10-12 दिन लग सकते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि विभाग इस मामले में क्या रिपोर्ट तैयार करता है, क्योंकि इसी रिपोर्ट के आधार पर ऊपरी स्तर पर समस्या का समाधान करने के लिए एक्शन प्लान तैयार किए जाएंगे। अगर विभाग कीड़े होने की सही वजह आइडेंटिफाई नहीं कर सका तो प्राब्लम जस की तस बनी रहेगी।

13 फरवरी को पहली बार दिखे

बैराज पर बने वाटर व‌र्क्स के फिल्टर हाउस में 13 फरवरी को पहली बार गंगा से मिल रहे पानी में लाल रंग के कीड़े दिखाई दिए थे। फिल्टर हाउस की केमिस्ट अल्का सिंह ने इसकी जानकारी जलकल की चीफ केमिस्ट अमिता बाजपेई को दी। जीएम आरएस सलूजा तक इसकी खबर दी गई। गंगा जल में कीड़े मिलने का मामला गंभीर था। अगले दो दिनों तक पानी को फिर चेक किया गया। कीड़े आना जारी था। इस पर 18 फरवरी को जलकल जीएम ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को लेटर के जरिए इसकी जानकारी दी।

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने हल्के में लिया

18 फरवरी को भेजे गए लेटर को पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने बेहद हल्के से लिया। यहां तक कि पानी की जांच तक नहीं की गई। दस दिन बाद जलकल जीएम ने रिमाइन्डर के तौर पर एक और लेटर भेजा। इसकी कॉपी डीएम को भी भेजी गई। अब कीड़ों का मामला जब समाचारपत्रों की सुर्खियां बना तो हड़कम्प मच गया।

जलकुंभी तक नहीं साफ हो रही

गंगा बैराज के गेट के पास भारी मात्रा में जलकुंभी हो गई है। इसकी भी सफाई नहीं हो रही। कीड़ों के पनपने का एक कारण यह भी माना जा रहा है। आपको बता दें कि जलकुंभी गंगा जल के लिए घातक होती है क्योंकि ये पानी की ऑक्सीजन भी खींचती है। दो साल पहले भारी मात्रा में जलकुंभी से गंगा बैराज पर जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से हजारों मछलियां भी मर गईं थी।

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गंगा के जल का कलर ब्राउन

गंगा जल में प्रदूषण बहुत बढ़ गया है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एएसओ डॉ। अरुणिमा बाजपेई और जलकल की चीफ केमिस्ट डॉ। अमिता बाजपेई भी इसको मान रही है। इनका कहना है कि इस वक्त धार में जो जल है उसका रंग ब्राउन टाइप का है। गंगा में कानपुर के पहले जो फैक्ट्रियों का पानी सीधे गंगा में गिर रहा है, यह उसका नतीजा है।

'आईआईटी खुद सैम्पलिंग करे'

गंगा जल में आए कीड़ों की जांच के लिए आईआईटी से मदद लेने के सवाल पर पॉल्यूशन कंट्रोल और जलकल की टीम का कहना है कि आईआईटी चाहे तो जांच कर सकती है। इसके लिए उसकी टीम को खुद गंगा जल का सैम्पल लेना पड़ेगा। जलकल की चीफ केमिस्ट अमिता बाजपेई ने कहाकि इस संबंध में उन्होंने आईआईटी के प्रोफेसर तारे को फोन किया था, लेकिन बात नहीं हो सकी।

पीने का पानी साफ है

पीने के लिए जो पानी सप्लाई किया जा रहा है, वह पूरी तरह से फिल्टर किया गया है। सप्लाई करने के पहले क्लियर वाटर की दिन में दो बार जांच की जा रही है। जलकल की चीफ केमिस्ट ने बताया कि कच्चे पानी में जब फिटकरी (एलम) डाली जाती है तो सभी प्रकार के कीड़े खतम हो जाते है। इसके अलावा अन्य प्रक्रिया से गुजर कर पीने के पानी का फिल्ट्रेशन होता है।

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'गंगा के जल में कीड़ों को खत्म करने के तात्कालिक उपाय करने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और जलकल विभाग को कहा है। कीड़े होने का एक कारण जलस्तर का लगातार गिरना भी हो सकता है। जलकुंभी की सफाई तुरंत कराने की व्यवस्था की जा रही है'

- कौशलराज शर्मा, डीएम कानपुर नगर

'गंगा के जल में कीड़े कैसे डेवलप हो रहे हैं, यह पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ही बता सकता है। पानी का सैम्पल लिया गया है, अब इसकी रिपोर्ट आने के बाद पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ही कीड़ों को खत्म करने का उपाय करेगा'

- आरएस सलूजा, जीएम जलकल