तेरह जनवरी को इटली के एक द्वीप जिजलियो के क़रीब एक चट्टान से टकराकर कोस्टा कॉनकोर्डिया नाम का लग्ज़री समुद्री जहाज़ दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में अब तक 11 लोग मारे जा चुके हैं और अब भी 24 लोग लापता हैं.जहाज़ पर वेटर की नौकरी करने वाले भारतीय युवक रसेल के भाई केविन इटली में दुर्घटनास्थल पर अपने भाई के सुरक्षित निकलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

केविन रेबेलो ने बीबीसी संवादाता मैथ्यू प्राइस को बताया कि उनके भाई पांच साल से कोस्टा कॉनकोर्डिया पर वेटर की नौकरी कर रहे हैं। और उन्होंने अपने भाई से पिछली बार अक्तूबर में बात की थी।

केविन रेबेलो ने कहा, “मेरे दिमाग में जो कुछ चल रहा है मैं बयान नहीं कर सकता। मैं सोच रहा हूं कि ऐसा हो कैसा गया। इस जहाज़ में अब भी 28 लोग फंसे हुए हैं। ये सिर्फ़ मेरे भाई की ही बात नहीं है.” उधर मुंबई में रसेल रेबेलो के माता-पिता और बहन भी उनके बारे में चिंतित हैं।

बीबीसी से बातचीत में रसेल रेबेलो की मां ने कहा, “मुझे अपने बेटे की बहुत याद आ रही है। मैं उससे अंतिम बार 15 अक्तूबर को मिली थी। मुझे उसने छह जनवरी को फ़ोन कर नए साल और क्रिसमस की मुबारकबाद दी थी। मेरे बड़ा बेटा केविन इटली में उसे खोजने गया है। मैं भगवान से प्रार्थना कर रही हूं कि वो हमारे लिए जल्द ही कोई अच्छी ख़बर लेकर आए। मैं उन सब के लिए भी प्रार्थना करती हूं जो अब तक फंसे हुए हैं.”

रेबेलो की बहन ने बताया कि उनका भाई हफ़्ते में एक बार सैटेलाइट फ़ोन के ज़रिए परिवार से संपर्क करता था। इस जहाज़ पर क़रीब तीन सौ भारतीय नागरिक काम करते थे। उनमें से अधिकतर गुरुवार को भारत लौट रहे हैं।

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