कानपुर (ब्यूरो)। शुक्रवार देर शाम कॉर्डियोलॉजी में आग लगने से वार्डों में भर्ती मरीजों की जान पर बन आई। सेंट्रल एसी के पैनल में शार्ट सर्किट से आग लगने की वजह से वार्डों में धुआं भर गया। ग्राउंड फ्लोर पर स्थित एचडीयू में अफरा तफरी मच गई। किसी बड़ी घटना की आशंका पर डॉक्टर और स्टाफ निकल कर बाहर आ गया। तीमारदार अपने मरीजों को भी बाहर ले आए। 20 मिनट तक अफरा तफरी की स्थिति बनी रही, जिसके बाद एचडीयू के 17 मरीजों को दूसरे वार्डों में शिफ्ट किया गया। एचडीयू के शीशे तोड़कर पंखे लगाए गए, जिससे धुआं बाहर निकला।

17 मरीज भर्ती थे
एचडीयू में महाराजपुर के बलराम, जौनपुर निवासी राम अवतार प्रजापति, नौबस्ता निवासी दिनेश त्रिवेदी, बर्रा निवासी राम कुमार, फतेहपुर निवासी बाबूराम और सुबोध त्रिवेदी के परिवार का व्यक्ति समेत 17 लोग भर्ती थे। अचानक एसी के डक्ट से हवा की जगह धुआं निकलने लगा। चंद सेकेंडों में पूरे एचडीयू में धुआं ही धुआं भर गया। इसी दौरान प्लग शार्ट होने लगे। जिसकी आवाज से तीमारदारों और मरीजों में दहशत फैल गई। अब तक ड्यूटी डॉक्टर और स्टॉफ बिना मरीजों का ख्याल किए बाहर निकल चुके थे। तीमारदार खांसते हुए अपने मरीजों को लेकर बाहर आ गए। मच गई। इसी बीच मीडिया के पहुंचने पर अस्पताल स्टॉफ अंदर पहुंचा और मरीजों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट कर दिया।

चंद मिनटों में याद आ गए भगवान
फतेहपुर निवासी सुधा ने बताया कि वे गुरुवार को अपने पापा को लेकर आई थीं। अचानक धुआं भरने की वजह से पिता खांसने लगे, सांस लेने में परेशानी होने लगी, चंद मिनटों में ये लगा कि अब क्या होगा? अंदर कोई नहीं था, किसी तरह से पिता को भाई की मदद से बाहर लाईं और उन्हें सेफ प्लेस पर रखा। वहीं बर्रा निवासी अमित ने बताया कि उन्होंने अपने ताऊ रामकुमार को भर्ती कराया था, अचानक आग लगी तो समझ में ही नहीं आया कि क्या हो गया है? कुछ समझते उससे पहले ही एचडीयू में भगदड़ मच गई लेकिन शुक्र रहा जल्द ही स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया।

न चले स्प्रिंकलर और न बजा अलार्म
एचडीयू, आईसीयू और तमाम वार्डों में स्मोक डिटेक्टर लगे है। जिनका सिस्टम एक्टिव बताया जाता था। शुक्रवार शाम जब एसी की डक्ट से धुआं निकला तो सारे सिस्टम की असलियत सामने आ गई। पूरे वार्ड में अंधेरा छा गया। न तो स्प्रिंकलर चले और न ही अलार्म बजा। बताते चलें कि एक घंटे तक हॉस्पिटल का इलेक्ट्रीशियन भी नहीं दिखाई दिया। सात बजे इलेक्ट्रीशियन अस्पताल पहुंचा तब तक धुआं आना बंद हो चुका था।

अंदर जाने पर लगा दी रोक
जब स्थिति सामान्य हुई तो लोगों को अपने सामान की याद आई और वो अपने बेड की तरफ भागे। लेकिन अस्पताल स्टॉफ ने लोगों के अंदर जाने पर रोक लगा दी। किसी भी आम आदमी को अंदर नहीं जाने दिया। तीमारदारों से अस्पताल के सुरक्षा कर्मियों ने अभद्रता की, जिसकी वजह से वे इमरजेंसी के बाहर खड़े हो गए।