कानपुर(ब्युरो)। रेलवे अपने पैसेंजर्स की जर्नी को सेफ एंड सिक्योर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में सभी ट्रेनों को फायर स्मोक डिटेक्शन सिस्टम से लैस किया जा रहा है। एनसीआर रीजन इसमें सबसे आगे चल रहा है। दिसंबर में एनसीआर देश का पहला रीजन बन जाएगा जिसके सभी एसी एलएचबी कोच व पॉवर कार फायर स्मोक डिटेक्शन व सेप्रेशन सिस्टम से लैस होंगे। अब तक रीजन के 475 एलएचबी एसी कोच व 50 पॉवर कार को इस सिस्टम से लैस कर किया जा चुका है। जिसमें कानपुर की शताब्दी समेत अमृतसर एक्सप्रेस भी शामिल हैं। रीजन के शेष 29 कोच दिसंबर तक इस सिस्टम से लैस कर दिए जाएंगे।

एक्टिव हो जाएंगे सेंसर्स
एनसीआर रीजन के सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि रीजन ने अपनी ट्रेनों में फायर स्मोक डिटेक्शन व सेप्रेशन सिस्टम लगाए हैं, जो काफी एडवांस है। कोच में आग लगने या धुंआ निकलने पर कोच के अंदर अपने आप पानी की बौछार होने लगेगी। जिससे समय रहते आग पर काबू पाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि फायर स्मोक डिटेक्शन एंड सेप्रेशन सिस्टम के तहत स्मोक डिटेक्शन सेंसर्स, सेप्रेशन आउटलेट, पीएलसी पैसेंजर अलार्म बजर आदि इक्विपमेंट लगाए जा रहे हैं।

रिवर्स शताब्दी समेत कई ट्रेनों में
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक एडवांस सिस्टम कोच में सफर करने वाले पैसेंजर्स को आग लगने पर अलर्ट करने के साथ आग बुझाने का कार्य भी करेगा। यह सिस्टम प्रयागराज डिवीजन के संगम एक्सप्रेस, प्रयागराज-नई दिल्ली, हमसफर, एक्सप्रेस, सूबेदारगंज-देहरादून, प्रयागराज-बीकानेर, शताब्दी, कानपुर-अमृतसर, कानपुर-जम्मूतवी एक्सप्रेस समेत 475 ट्रेनों में लगाया जा चुके हैं।

दिसंबर तक सभी ट्रेनों में
सीपीआरओ के मुताबिक एनसीआर रीजन की कुल 29 कोचों में ये सिस्टम लगाना बाकी है। दिसंबर में इन कोचों में भी फायर स्मोक डिटेक्शन एंड सेप्रेशन सिस्टम लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि दिसंबर में एनसीआर रीजन देश का पहला ऐसा रीजन होगा जिसकी सभी ट्रेनों के एसी कोच इस सिस्टम से लैस होंगे। उन्होंने बताया कि एडवांस सिस्टम से ट्रेनों में होने वाली आग की घटनाओं में काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकेगा।

एनसीआर रीजन के 90 परसेंट से अधिक एलएचबी एसी कोच व पॉवर कोच में फायर स्मोक डिटेक्शन व सेप्रेशन सिस्टम लग चुके है। दिसंबर तक रीजन की सभी ट्रेनें इस एडवांस सिस्टम से लैस हो जाएंगी। इससे ट्रेनों में आग की बड़ी दुर्घटनाओं पर रोका जा सकेगा।
हिमांशु शेखर उपाध्याय, सीपीआरओ, एनसीआर