- कोयला मंत्री के ट्रेनें चलवाने के दावे खोखले, मंत्री के प्रभाव से ज्यादा रेवेन्यू को तरजीह देती है रेलवे

-इतने सालों बाद भी कानपुर से मुंबई के लिए एक भी सीधी ट्रेन नहीं

-15 साल में सिर्फ चार आरओबी बने

- सीओडी आरओबी का 7 साल में कई बार किया गया शिलान्यास, लेकिन 50 फीसदी काम भी नहीं हुआ पूरा

- बिठूर स्टेशन हुआ रेलवे के नक्शे से गायब,अनवरगंज-कल्याणपुर लाइन बनी ट्रैफिक की दुश्मन

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KANPUR : कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल शहर में जनसमर्थन पाने के लिए विकास कार्यो की लंबी लिस्ट का हवाला देते नहीं थक रहे हैं। सबसे ज्यादा जोर शहर को नई ट्रेनें और कई रेलवे ओवरब्रिज के तोहफे दिलवाने पर दिया जा रहा है। मंत्री जी रह-रहकर अपनी पीठ थपथपाने में लगे हुए हैं लेकिन हकीकत इन दावों से कोसों दूर है। सच्चाई तो ये है कि इतने सालों के बाद भी कानपुर सेंट्रल से मुंबई के लिए एक भी सीधी ट्रेन नहीं चलाई जा सकी है। वाहवाही लूटने के लिए सिर्फ कानपुर सेंट्रल को व‌र्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशनों की लिस्ट में नाम तो दर्ज कर लिया गया है लेकिन सेंट्रल की हालत दोयम दर्जे की है। जहां तक सवाल कानपुर को नई ट्रेनें दिलवाने का है तो रेलवे किसी भी स्टेशन से पैसेंजर्स के लोड और उस रूट पर मिलने वाले रेवेन्यू के आधार पर नई ट्रेनें शुरू की जाती हैं।

यात्रियों के बढ़े लोड से मिली ये ट्रेनें

शताब्दी एक्सप्रेस हो या इलाहाबाद इंटरसिटी या फिर श्रमशक्ति एक्सप्रेस इन ट्रेनों को शुरू करने का श्रेय कोयला मंत्री लेते हैं, लेकिन इन ट्रेनों के शुरू होने की मूल वजह इन रूटों पर कानपुर के पैसेंजर्स का लोड है। नाम ना छापने की शर्त पर रेलवे के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि लखनऊ स्वर्ण शताब्दी पर सेंट्रल स्टेशन से चढ़ने वाले पैसेंजर्स का लोड काफी ज्यादा था। इस लोड को कम करने और ट्रेन चलाने से मिलने वाले रेवेन्यू का कैल्कुलेशन होने के बाद ही तत्कालीन रेलवे मिनिस्टर ममता बनर्जी ने बजट में कानपुर से शताब्दी एक्सप्रेस चलाने का फैसला किया था। यही बात श्रमशक्ति समेत अन्य ट्रेनों के चलने में भी लागू होती है।

आरओबी बनवाने का काम फिफ्टी-फिफ्टी

श्री प्रकाश भले ही अपने कार्यकाल में क्फ् ओवरब्रिज बनवाने का दावा करते हैं, जो गलत है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जो ओवरब्रिज बने हैं, उसमें रेलवे और प्रदेश सरकार शामिल थी। जहां पूरी तरीके से केंद्र सरकार के स्तर पर काम होना था वहां तो 7 साल से निर्माण जारी है, लेकिन ब्रिज बनकर तैयार नहीं हो पाया है। जी हां सीओडी ओवरब्रिज के निर्माण में पूरी तरह से केंद्रीय एजेंसियां जुड़ी थी लेकिन केंद्रीय मंत्री इस पुल का कई बार शिलान्यास करने के बाद भी इसे पूरा नहीं करा सके।

अनवरगंज-कल्याणपुर ट्रैक बना सिटी के ट्रैफिक का नासूर

श्रीप्रकाश जायसवाल के ही संसदीय कार्यकाल में अनवरगंज से फर्रूखाबाद लाइन को ब्राड गेज किया गया। इस दौरान बिठूर रेलवे के नक्शे से गायब भी हुआ और शहर के बीच से जाने वाली यह लाइन ट्रैफिक का नासूर भी बन गई। इस टै्रक को मंधना से भौंती जोड़ने की काफी लंबे समय से मांग हुई लेकिन मंत्री जी ने कुछ नहीं किया।

प्लेन तो उड़ते-उड़ते 'उड़' ही गया

मंत्रीजी अपने संसदीय कार्यकाल में सिटी को हवाई सेवा से जोड़ने का दम तो बहुत भरते थे, लेकिन हवाई सेवा कुछ ही समय बाद हवा-हवाई हो गई। सिटी से कलकत्ता के लिए शुरू हुई हवाई सेवा फ्लाप होने के बाद बंद हो गई। दिल्ली से कानपुर आने वाले जहाज को भी इलाहाबाद तक कर दिया गया। एयरपोर्ट पर आईसीएफ यानी इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम जैसी बुनियादी चीजें नहीं होने से कई बार प्लेन लखनऊ उतारा जाता रहा। कुछ दिन पहले ही यह सिस्टम एयरपोर्ट पर लगाया गया है, लेकिन यह बेहद कम क्षमता का है और इसे अपग्रेड करने की मांग की जा रही है। साथ ही मंत्रीजी मुंबई के लिए भी फ्लाइट शुरू करवाने का वादा कर चुके हैं लेकिन यह कब पूरा होगा यह कह पाना मुश्किल है।

मंत्री जी इन वादों का क्या हुआ?

-कानपुर को मुंबई के लिए एक भी सीधी ट्रेन नहीं मिल पाई, कुछ समय पहले उद्योगनगरी एक्सप्रेस शुरू हुई थी लेकिन इसे भी लखनऊ स्टेशन ने छीन लिया था।

-कानपुर सेंट्रल को व‌र्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने का दावा किया गया था लेकिन स्टेशन पर सही तरह से बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। गंदगी का भंडार लगा हुआ है।

-केंद्र सरकार के स्तर से बनाए जा रहे सीओडी ओवरब्रिज को बनाने का काम पिछले सात साल से चल रहा है, लेकिन अभी तक भ्0 परसेंट काम ही पूरा हो पाया है।

-शहर से कलकत्ता और दिल्ली से शहर के लिए शुरू हुई हवाई यात्रा भी बंद कर दी गई। ऐसे में मंत्री जी मुंबई के लिए हवाई यात्रा कैसे शुरू करा पाएंगे?