कानपुर (ब्यूरो)। मौत कब, कहां और किस तरह से झपट्टा मार दे, कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे ही एक घटना फ्राईडे को शहर में हुई। सिटी के बेस्ट कार्डियक स्पेशलिस्ट व कार्डियोलॉजी के पूर्व डायरेक्टर के ३७ साल के बेटे की सोते सोते ही मौत हो गई। युवक की मौत हार्ट अटैक की वजह से होने की आशंका जताई रही है। हार्ट के एक्सपर्ट डॉक्टर्स का मानना है कि इस तरह की मौतें स्लीप ऐप्निया बीमारी के कारण होती हैं। यह नींद और दिल से जुड़ी घातक बीमारी है। डॉक्टर्स का कहना है कि सिर्फ सीनियर सिटीजन ही नहीं अब यूथ को भी दिल के मामले में गंभीर होने की जरूरत है। बीते दिनों भी चलते फिरते हार्ट अटैक से मौत के दर्जनों केस सामने आ चुके हैं।

स्लीप ऐप्निया के प्रति अवेयरनेस
स्लीपर ऐप्निया से ग्रसित पेशेंट की अचानक सोते समय मौत हो जाती है। कई केस में पहले से लक्षण पेशेंट में दिखाई देते हैं लेकिन अवेयरनेस न होने की वजह से पैरेंट्स व पेशेंट समझ नहीं पाते हैं या फिर लक्षणों को इग्नोर कर देते हंै। जबकि इस कंडीशन में बिना देर किए हुए तत्काल हार्ट स्पेशलिस्ट को दिखाना चाहिए। वहीं डॉक्टर की सलाह पर नियमित दवा का सेवन करना चाहिए।

क्या है स्लीप ऐप्निया
अगर आप भी सोते-साते अचानक से घबरा कर उठकर बैठ जाते है, सोते समय बेचैन होकर करवट बदलते रहते है और यह समस्या कई दिनों से है, सोने के दौरान सांस लेने में समस्या महसूस हो और आंख खुल जाती है तो आपको डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है। क्योंकि यह स्लीप ऐप्निया के लक्षण है। इस बीमारी में अक्सर पेशेंट की सोते-सोते ही सांस रुक जाती है और उसकी मौत भी हो सकती है। पेशेंट समझ ही नहीं पाता कि सोते सोते उसकी सांस क्यों रुक गई। यह कुछ इसी तरह होती है जैसे खर्राटे लेने वाले व्यक्ति को मालूम नहीं होता कि वह सोते समय खर्राटे लेता है।

अधिक वजन वालों में चार गुना खतरा
मोटापे से ग्रस्त लोगों में सामान्य लोगों के मुकाबले स्लीप ऐप्निया का जोखिम चार गुना ज्यादा होता है। ऊपरी वायुमार्ग के आसपास फैट जमा होने के कारण सांस लेने में बाधा उत्पन्न होती है, पर हर मोटा आदमी स्लीप ऐप्निया से ग्रसित हो, ऐसा जरूरी नहीं होता है। ऐसे में न डरने की जरूरत है न घबराने की। बस सही समय पर लक्षणों को पहचानकर डॉक्टर से ट्रीटमेंट लेने की जरूरत है।