-रावण रूपी शहर की दस समस्याओं से छुटकारा नहीं मिल रहा कानपुराइट्स को

- इन समस्याओं के हल के बिना स्मार्ट सिटी बनना होगा मुश्किल

KANPUR : भविष्य में कानपुर भले ही स्मार्ट सिटी बनने जा रहा हो, लेकिन अभी शहर की समस्याएं रावण के दस सिर की तरह हैं। अब जरूरत है समस्याओं की 'नाभि के अमृत' को सुखाने की यानी अधिकारियों पर नकेल डाली जाए तभी वे अपनी जवाबदेही की जिम्मेदारी समझेंगे। आज असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक विजयदशमी पर्व पर आई नेक्स्ट आपको शहर की समस्याओं के बारे में बताएगा और साथ ही यह भी बताएगा कि किस 'बाण' का प्रयोग करने से इनका अंत होगा।

महाजाम : अगर आप इस शहर में रहते हैं तो यह शब्द सुनते ही आपको एहसास होने लगेगा कि सड़क पर किस तरह जूझ कर निकलना पड़ता है। किसी भी सड़क पर जाइए मानो जाम आपका इंतजार कर रहा हो।

बाण

जाम के अंत के लिए कानपुराइटस को भी सिविक सेंस का इस्तेमाल करना पड़ेगा। साथ ही ट्रैफिक पुलिस को उन प्वाइंट्स पर विशेष नजर रखनी पड़ेगी जहां आए दिन जाम लगता है।

अतिक्रमण

इस शहर को कैंसर रोग की तरह अतिक्रमण ने जकड़ रखा है। कालपी रोड या जीटी रोड या फिर एक्सप्रेस रोड, घंटाघर रोड, जरीबचौकी, मालरोड सहित कोई भी सड़क हो अथवा नवीन मार्केट, पीपीएन मार्केट, बिरहाना रोड, लालबंगला कोई मार्केट ऐसी नहीं है कि जहां अतिक्रमणकारियों का राज न हो। सड़क और गलियां ही नहीं फुटपाथ भी कब्जे करके किराए पर उठाए जा रहे हैं।

बाण

अतिक्रमण को खत्म करने के लिए पब्लिक को जिम्मेदारी उठाने के साथ ही पुलिस की जवाबदेही तय करने की जरुरत है।

कटियाबाजी

यह शब्द विशुद्ध कनपुरिया है। कटियाबाजी का अर्थ है बिजली चोरी। शहर की इस समस्या ने केस्को को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 30 परसेंट बिजली केवल चोरी में चली जाती है। शायद इसी वजह से कानपुर की कटियाबाजी पर एक फिल्म तक बनाई जा चुकी है।

बाण

अगर नियमित क्षेत्रवाइज इलेक्ट्रिक लाइन की पेट्रोलिंग की जाए तो इसमें सुधार हो सकता है और कटियाबाजों के भी हौसले पस्त होंगे। फिलहाल कटियाबाजी इलाकों में अंडरग्राउंड बिछाकर पावर सप्लाई के 200 करोड़ के प्रोजेक्ट पास हो चुके है।

एयर पॉल्यूशन

कानपुराइट्स को लंबे समय से एयर पॉल्यूशन की समस्या से छुटकारा नहीं मिल रहा है। एसपीएम और आरएसपीएम मानक से 2 गुना से अधिक हैं। 10 और 2.5 माइक्रॉन साइज से कम पार्टिकुलर्स मैटर्स यानि कि पीएम10 व पीएम 2.5 भी मानक से 2.5 गुना तक है।

बाण

इस समस्या के हल के डीजल की सीएनजी पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू किया है। इससे कुछ हद तक खतरनाक गैसेज में कमी आई है। वहीं प्राइवेट हाथों में डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन की जिम्मेदारी देने से एयरपॉल्यूशन से कानपुराइट्स को राहत मिलने की उम्मीद है।

जलभराव

इस समस्या का इलाज जेएनएनयूआरएम की सैकड़ों करोड़ रुपए की योजना भी नहीं कर सकी। बारिश के दिनों में यह समस्या इस कदर विकराल रूप धारण कर लेती है कि साउथ सिटी के कई मोहल्लों में लोग अपने ही घरों में कैद हो जाते हैं।

बाण

इस समस्या के लिए नगर निगम सीधे-सीधे जिम्मेदार है। हर साल लाखों रुपए का ठेका नाला सफाई का उठता है, लेकिन नालों से निकली सिल्ट नहीं उठाई जाती है। इनकी जिम्मेदारी तय करनी होगी

अराजक ट्रैफिक

इस शहर के ट्रैफिक सिस्टम का कोई पुरसाहाल नहीं है। इससे कानपुराइट्स भी आजाद नहीं है। उन्हें नियम-कानून तोड़ने की आदत सी हो गई है। यहां तक कि रेड सिग्नल पर भी न रुकना लोग अपनी शान समझते है, ट्रैफिक पुलिस वसूली में व्यस्त होने की वजह से उनको यह देखने की फुरसत ही नहीं मिलती है।

बाण

ट्रैफिक पुलिस में स्टाफ बढ़ाने की जरुरत है। साथ ही पब्लिक को भी ट्रैफिक रूल्स को फॉलो करना होगा।

ड्रिंकिंग वाटर क्राइसिस

ड्रिंकिंग वाटर क्राइसिस भी सिटी के लिए एक बड़ी समस्या है। जिसका निदान दशकों से अफसर नहीं कर पा रहे है। स्मार्ट सिटी बनने की कगार पर पहुंच चुके हैं शहर में वाटर सप्लाई नेटवर्क केवल 30 लाख की पापुलेशन तक ही है।

बाण

इस समस्या के हल के लिए जेएनयूआरएम में 860 करोड़ के दो प्रोजेक्ट के तहत गंगा बैराज में 200 एमएलडी और गुजैनी में 28.5 एमएलडी के और वाटर व‌र्क्स, 56 ओवरहेड टैंक बनाए गए। क्लियर वाटर रिजरवॉयर, फीडरमेन लाइन आदि काम किए गए। लेकिन अभी तक इन प्रोजेक्टस का लाभ कानपुराइट्स को नहीं मिल रहा है। इन प्रोजेक्ट्स के चालू होने से ही है।

गन्दगी

सिटी में एक और बड़ी समस्या कचरा, गन्दगी है। नगर निगम ने टोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन में सफल नहीं हो पा रहा है। वहीं सॉलिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बन्द होने से हर रोज निकलने वाले 1100 मीट्रिक टन कचरे का निरस्तारण बड़ी समस्या हो चुका है।

बाण

इस समस्या के हल की कोशिश तेज हो चुकी है, एटूजेड की जगह आईएलएफएस कम्पनी को सालिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है। वहीं डोर टू डोर गार्बेज कलेक्शन के लिए प्राइवेट हाथों में दिए जाने के लिए टेंडर भी किये जा चुके हैं।

अपराध

आपराधिक वारदातों के कारण कानपुराइट्स दहशत में हैं। सिटी का क्राइम ग्राफ कम न होना भी एक बड़ी समस्या है। हर साल 150 अधिक मर्डर हो जाते हैं। वहीं चेनस्नेचिंग, लूट की वारदातों से इससे भी कही गुना है।

बाण

इन वारदातों पर रोक लगाने के लिए हाईटेक कन्ट्रोल रूम डायल 100 और इससे कनेक्ट चीता मोबाइल, डायल 100 कार आदि की व्यवस्था को एक्टिव मोड में काम करना होगा।

पाल्यूटेड वाटर सप्लाई

ड्रिंकिंग वाटर क्राइसिस के साथ ही पाल्यूटेड वाटर सप्लाई भी कानपुराइट्स के लिए एक बड़ी समस्या है। दशकों पुराने वाली वाटर सप्लाई होने के कारण हर वर्ष ये 1500 से अधिक स्थानों पर लीकेज हो जाती है। जिसके कारण लोगों को साफ ड्रिंकिंग वाटर नहीं मिल पाता है।

बाण

इस समस्या के हल के लिए जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट्स में फीडरमेन, राइजिंग मेन लाइन के साथ ही नया डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क भी बिछाया गया है। प्रोजेक्ट्स के चालू होने पर ही लोगों को इस समस्या से छुटकारा मिलना संभव है।