- करीब चार हजार इंडस्ट्रियल यूनिट्स अपने मौजूदा सेटअप में बदलाव करने की दिशा में बढ़ रही हैं आगे

- एनर्जी एफीशिएंट टेक्नोलॉजी की बदौलत पॉवर सेविंग के अलावा इको-फ्रेंडली प्रोडक्शन में मिल रही मदद

- गवर्नमेंट की इस न्यू स्कीम को ऑप्ट करने वाली इंडस्ट्रीज को 10 लाख रूपए तक का फाइनेंशियल सपोर्ट

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यन्हृक्कक्त्र : अगर आप भी एंटरप्रेन्योरशिप बनकर खुद का बिजनेस सेटअप करने की प्लानिंग कर रहे हैं। या फिर रॉ-मैटीरियल, लेबर और बिजली की कीमतें की वजह से आपके बिजनेस का टर्नओवर बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। ऐसे में 'एनर्जी एफीशिएंट टेक्नोलॉजी' आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकती है। प्रोडक्शन से लेकर एक्सपेंडिचर का खर्चे में 25 परसेंट तक की कमी आएगी ही। पॉल्युशन कम होने के साथ-साथ 10 लाख रूपए तक की गवर्नमेंट हेल्प भी मिलना तय है। शहर की स्मॉल, मीडियम और माइक्रो इंडस्ट्रीज तेज कदमों के साथ इस नई-नवेली तकनीक की मदद से अपने बिजनेस को नई बुलंदियों पर पहुंचा रहे हैं।

चार हजार से ज्यादा यूनिट्स

कानपुर में स्मॉल-मीडियम, माइक्रो मिलाकर 4 हजार से ज्यादा इंडस्ट्रीज हैं। बिजली की जबर्दस्त खपत का असर तैयार प्रोडक्ट्स की कीमतों के रूप में सामने आता है। इससे बचाव के लिए इंडस्ट्रियलिस्ट्स ने अपने एग्जिसिस्टिंग सेट-अप को एनर्जी एफीशिएंट टेक्नोलॉजी में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) कानपुर के अध्यक्ष तरुण खेत्रपाल ने बताया कि सिटी की लगभग 50 परसेंट यूनिट्स कुछ ही समय में इस नई तकनीक को अपना चुकी हैं। इसकी मदद से पॉवर सेविंग तो हो ही रही है। पॉल्युशन लेवल के साथ ही प्रोडक्शन कॉस्ट भी काफी रिड्यूस हुई है।

खुद के पॉवर सेक्टर

मौजूदा इंडस्ट्रीज और यूनिट्स में इंडस्ट्रियलिस्ट्स खुद का पॉवर सेक्टर सेटअप कर रहे हैं। बिजली की कम से कम खपत हो, इसके लिए वोल्टेज स्टेबलाइजर टाइप के सर्वो के अलावा इलेक्ट्रिक पैनल भी लगवाये जा रहे हैं। यही नहीं मशीनों में इन्टनर्ली भी बदलाव किया गया है। इसमें मशीन की स्पीड तेज कर दी जाती है। हाई स्पीड होने से इलेक्ट्रिक का कंजप्शन कम हो जाता है और बिजली बचती है। आईआईए के पदाधिकारियों के अनुसार पहले बिजली की कीमतें कम थीं। इसलिए ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। मगर, जैसे-जैसे बिजली की कीमतें बढ़ रही हैं। प्रोडक्शन भी कॉस्ट एफेक्टिव हो गया है।

25 परसेंट तक सेविंग

देश के न्यू पीएम नरेन्द्र मोदी भी ऊर्जा संरक्षण को लेकर नए प्रोजेक्ट्स लाने की बात कह चुके हैं। ऐसे दौर में एनर्जी एफीशिएंट टेक्नोलॉजी इंडस्ट्रियलिस्ट्स के लिए मददगार साबित हो रही है। आईआईए अध्यक्ष तरुण खेत्रपाल के मुताबिक एडवांस तकनीक की वजह से 20-25 परसेंट तक का मुनाफा हो रहा है। कानपुर में करीब 50 परसेंट यूनिट्स इको-फ्रेंडली हो चुकी हैं। मुनाफा देखकर बाकी इंडस्ट्रियलिस्ट्स ने भी इस नई तकनीक को ऑप्ट करने की दिशा में अपने प्रयास तेज कर दिये हैं।

10 लाख तक की मदद

अब सवाल यह कि आखिर अपने मौजूदा बिजनेस सेटअप को किस तरह एनर्जी एफीशिएंट प्लेटफॉर्म पर ले जाया जाए। माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के असिस्टेंट डायरेक्टर संजीव अग्निहोत्री ने बताया कि एग्जिस्टिंग सेटअप में बदलाव का अलग प्रॉसेस है। जैसे पुराने हीटर के बजाय नये तरह के हीटर और बड़े बल्ब की जगह 5 हजार घंटे पॉवर वाली एलईडी लाइट्स एनर्जी सेविंग के प्रॉमिनेंट सोर्सेज हैं। इस स्कीम को अपनी यूनिट पर लागू करने इंडस्ट्रियलिस्ट्स को कुल खर्चे की 25 परसेंट या मैक्जिमम 10 लाख रूपए तक की रकम री-इम्बर्स कर दी जाती है। इसका असर प्रोडक्ट की कॉस्ट पर भी दिखता है। जिससे उस कम्पनी और प्रोडक्ट की डिमांड भी बढ़ती है।

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बॉक्स

रजिस्टर्ड इंडस्ट्रियल यूनिट्स - 17,444

रजिस्टर्ड मीडियम एंड लार्ज यूनिट्स - 92

स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज में वर्किग लेबर - 74,980

लार्ज एंड मीडियम इंडस्ट्रीज में इम्प्लॉयमेंट - 21,411

इंडस्ट्रियल एरिया - 10

स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज का टर्नओवर - 89671 लाख

मीडियम-लार्ज स्केल इंडस्ट्रीज का टर्नओवर - 251635 लाख

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माइक्रो-स्मॉल स्केल एंटरप्राइजेज -

एग्रो बेस्ड - 994

सोडा वॉटर - 227

कॉटन टेक्सटाइल - 371

वूलेन, सिल्क एंड आर्टीफिशियल थ्रेड बेस्ड कपड़े - 284

जूट व जूट बेस्ड - 191

रेडीमेड गारमेंट-एम्ब्रायडरी - 1970

वुड-वुडेन बेस्ड फर्नीचर - 424

पेपर एंड पेपर प्रोडक्ट्स - 613

लेदर बेस्ड - 2428

कैमिकल-कैमिकल बेस्ड - 657

रबर, प्लास्टिक, पेट्रो बेस्ड - 611

मिनिरल बेस्ड - 141

मेटल बेस्ड (स्टील) - 168

इंजीनियरिंग यूनिट्स - 1215

इलेक्ट्रिक मशीनरी एंड ट्रांसपोर्ट इक्युपमेंट्स - 181

रिपेयरिंग एंड सर्विसिंग - 3189

अदर्स - 2792

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टोटल 16,675

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कानपुर की इंडस्ट्रीज में तैयार होने वाली इन प्रमुख चीजों की विदेशों में खूब डिमांड है

लेदर, लेदर शूज, सूटकेस, लेदर गारमेंट्स, सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट, कैमिकल्स, इंजीनियरिंग ऑटोमोबाइल्स, टेक्सटाइल, हैंडलूम्स, पॉवरलूम, एसेंशियल ऑयल्स एंड परफ्यूम्स, फार्मास्युटिकल्स व मसाले।

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डिफरेंट मैन्युफैक्चरिंग आइटम्स की इंडस्ट्रीज सेटअप करने के लिए यहां क्लस्टर्स भी सेटअप हो चुके हैं -

क्लस्टर टर्नओवर (करोड़)

कॉटन होजरी 256

रेडीमेड गारमेंट 200

सोप एंड डिटर्जेट 600

पेंट एंड एलाइड इंडस्ट्रीज 100

हारनेस एंड सैडलरी 375

सैंडल-चप्पल 375

स्टील फर्नीचर 181

बेकरी-नमकीन क्लस्टर 50

फार्मास्युटिकल्स 220

कोरोगेटेड पेपर व कन्वर्जन प्रोडक्ट्स 105

पॉवरलूम टेक्सटाइल 20

प्लास्टिक 800

पान मसाला 5,000

एग्रीकल्चर बेस्ड इंडस्ट्रीज 10,000

लेदर टेनिंग 420

हाउसहोल्ड इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेस 160

टीवी-रेडिया आदि रिपेयरिंग 150

मोटर वेहिकल रिपेयरिंग 230

साइकिल-रिक्शा मैकेनाइज्ड वेहिकल 250

इलेक्ट्रिक मोटर, ट्रांसफॉर्मर, 350 करोड़

जेनरेटर रिपेयरिंग

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वर्जन-वर्जन

ø बिजनेस में एनर्जी सेक्टर का इम्पॉर्टेट रोल होता है। शहर की लगभग आधी इंडस्ट्रीज अब एनर्जी एफीशिएंट टेक्नोलॉजी में कन्वर्ट हो चुकी हैं। इससे बिजनेस टर्नओवर में करीब 25 परसेंट तक इजाफा देखने को मिला है। इसलिए बिजनेस इंडस्ट्री के मौजूदा प्लेयर्स और एस्पिरेंट्स दोनों ही इस टेक्नोलॉजी का फायदा जरूर उठाएं।

- तरुण खेत्रपाल, आईआईए अध्यक्ष

ø एनर्जी सेक्टर के बगैर इंडस्ट्रीज की कल्पना तक नहीं की जा सकती। कानपुर में एनर्जी एफीशिएंट टेक्नोलॉजी को हाथों-हाथ लिया जा रहा है। इसमें 10 लाख रूपए तक मैक्जिमम पेमेंट का प्रावधान है। शहर की कई छोटी-बड़ी इंडस्ट्रीज नई तकनीक अपनाना चाहती हैं और उन्होंने इसके लिए हमारे पास एप्लाई भी किया हुआ है।

- सुनील अग्निहोत्री, असिस्टेंट डायरेक्टर, एमएसएमई

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