रेमन मैगसेसे पुरस्कार को एशिया में नोबेल पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है। फ़िलीपींस की राजधानी मनीला में बुधवार को रेमन मैगसेसे फ़ाउंडेशन ने इसकी घोषणा की।

भारत की ओर से चुने गए नीलिमा मिश्रा और हरीश हांडे के बारे में फाउंडेशन की अध्यक्ष कारमेनसीटा टी एबेलिया ने कहा, “इन दोनों लोगों ने तकनीक के बेहतर इस्तेमाल के ज़रिए अपने देश के लोगों की सामर्थ्य बढ़ाने में मदद की और एशिया में प्रगतिशील बदलाव की लहर लाए.”

फाउंडेशन के मुताबिक अमरीका से प्रशिक्षित हांडे को सौर ऊर्जा से रोशनी के स्रोत जलाने की तकनीक के लिए चुना गया है। 44 वर्षीय हांडे, एक सौर ऊर्जा कंपनी चलाते हैं जिसने क़रीब 12,000 घरों में रोशनी पहुंचाने में मदद की है। नीलिमा मिश्रा को महाराष्ट्र में महिलाओं और किसानों के साथ काम करने और उन्हें वित्तीय मदद देने के लिए चुना गया।

अन्य पुरस्कृत लोग

वर्ष 2011 में एशिया से कुल छह लोगों को रेमन मैगसेसे पुरस्कार कि लिए चुना गया है। इनमें फिलीपींस का परोपकारी संगठन, ऑलटरनेट इंडीजनस डेवलपमेंट फाउंडेशन, इंडोनेशिया में लड़कियों के लिए लिए इस्लामी स्कूल शुरू करने वाले हसनैन जुऐनी, इंडोनेशिया में ही पानी से बिजली बनाने की तकनीक को बढ़ावा देने वाली त्री मुमपनी और कम्बोडिया में लोकतंत्र बहाली के लिए काम कर रही कोउल पनह शामिल हैं। इन सभी लोगों को 31 अगस्त को मनीला में एक सर्टिफ़िकेट, मेडल और इनामी राशि से पुरस्कृत किया जाएगा।

इससे पहले भारत से आचार्य विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण, मदर टेरेसा, अरुण शौरी, टी एन शेषन, किरण बेदी और पी साईनाथ भी इस पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं।

मैगसेसे पुरस्कार हर वर्ष छह श्रेणियों में दिया जाता है। ये पुरस्कार फ़िलीपींस के तीसरे राष्ट्रपति रेमन मैगसेसे की याद में दिया जाता है जिनकी विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी। रेमन मैगसेसे फ़ाउंडेशन की शुरुआत 1957 में की गई थी।

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