यहां दलालों का पूरा नेक्सेस काम कर रहा है। दलालों के इस ‘खेल’ का पर्दाफाश किया आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने। आइए आपको बताते हैं। ये दलाल कैसे करते हैं काम और कितने पैसे लेते हैं काम के।

‘दलालों के चक्कर में न पडऩा’

यूनिवर्सिटी में सक्रिय बड़े दलाल दूर-दराज के इलाकों से आए स्टूडेंट्स को खुद सलाह देते हैं कि यहां बहुत दलाल घूम रहे हैं। दलालों के चक्कर में नहीं पडऩा। वरना पैसे भी चले जाएंगे और काम भी नहीं बनेगा। हम ऑफिस के ही आदमी हैं। भरोसे से काम करा देंगे. 

आसानी से नहीं मिलता है इनरोलमेंट नंबर

स्टूडेंट को यूनिवर्सिटी से इनरोलमेंट नंबर लेने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बाबू स्टूडेंट्स को दो-दो महीने तक दौड़ाते हैं। पर कोई सुनने वाला नहीं होता। इसी वजह से परेशान होकर स्टूडेंट्स को दलालों के पास जाना पड़ता है। दलाल काम को चंद घंटों में करा देते हैं। जो इस बात का सुबूत है कि इन दलालों को यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक भवन में काम करने वाले कुछ बाबुओं और अधिकारियों से सांठगांठ है। दोनों लोगों की सांठ गाठ से ही ये पूरा नेक्सेस चल रहा है।

बाबू को भी खुश करना पड़ता है

जब रिपोर्टर ने दलाल से पैसे कम करने की बात कही तो उसने बताया कि इन एक्स्ट्रा पैसों को यूनिवर्सिटी के दफ्तर में बैठे बाबू को देना पड़ेगा। उनकी मुठ्ठी गर्म किए बिना काम नहीं हो पाता है। आखिर साइन तो उन्हीं को करने हैं। इसलिए मोल-भाव मत करो।

स्टाफ भी जुड़ा है इस धंधे से

स्टूडेंट्स की मजबूरी का फायदा उठाकर भ्रष्टाचार को बढ़ाने में यूनिवर्सिटी स्टाफ भी शामिल है। आपको जानकर हैरानी होगी यूनिवर्सिटी के एक डिपार्टमेंट के एचओडी का असिस्टेंट भी इस काम को ऑर्गनाइज्ड तौर पर कर रहा है। यूनिवर्सिटी से जुड़े होने की वजह से सभी अधिकारियों से उसका मिलना-जुलना है, जिससे वो असंभव से दिखने वाले काम को भी कुछ घंटों में आसानी से करा देता है।

ये तो काट रहे हैं चांदी

यूनिवर्सिटी में सक्रिय दलालों का सीजन एडमिशन टाइम पर आता है। इस दौरान ये दलाल जमकर चांदी काटते हैं। इस दौरान बड़े पैमाने पर स्टूडेंट्स माइग्रेशन सर्टिफिकेट लेने पहुंचते हैं। किसी को जॉब के लिए तो किसी को दूसरी यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए माइग्रेशन सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। इसका फायदा उठाकर दलाल जमकर पैसे पैदा करते हैं।

एक दलाल से हुई बातचीत

रिपोर्टर : भाई साहब मुझे माइग्रेशन सर्टिफिकेट बनवाना है।

दलाल : बन जाएगा।

रिपोर्टर : कितना वक्त लगेगा?

दलाल : आपको कितनी देर में चाहिए?

रिपोर्टर : जल्द से जल्द चाहिए।

दलाल : 700 रुपए एक्स्ट्रा लगेंगे। टोटल 1100 रुपए देने होंगे।

रिपोर्टर : कितनी देर में मिल जाएगा?

दलाल : बस, दो घंटे में, लाओ मार्कशीट लाओ।

रिपोर्टर : मार्कशीट नहीं है

दलाल : तो इनरोलमेंट नंबर बता दो

रिपोर्टर : इनरोलमेंट नंबर भी नहीं है

दलाल : तो फिर बीए की मार्कशीट भी निकलवानी पड़ेगी, उसके लिए 600 रुपए और लगेंगे।

रिपोर्टर : काम तो हो जाएगा न।

दलाल : गारंटी के साथ हो जाएगा।

रिपोर्टर : अभी 200 रुपए ले लो, बाकी बाद में देंगे।

दलाल : फॉर्म लेने की सरकारी फीस ही 400 रुपए है, 200 रुपए में कुछ नहीं होगा।

रिपोर्टर : अच्छा मैं एटीएम से पैसे निकाल कर लाता हूं

दलाल: आराम से पैसे निकाल कर लाओ, ऑफिस बंद होने के बाद भी काम हो जाएगा, मैं यहीं पर मिलूंगा।

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दूसरे दलाल से हुई बातचीत

रिपोर्टर : माइग्रेशन सर्टिफिकेट बनवाना है।

दलाल : मार्कशीट और इनरोलमेंट नंबर है।

रिपोर्टर : नहीं, मार्कशीट खो गई है।

दलाल : मार्कशीट भी बनवानी पड़ेगी।

रिपोर्टर : आज रात में दिल्ली की ट्रेन है भाई, बहुत जरूरी है, दिल्ली में एडमिशन लेना है।

दलाल : काम तो सिर्फ दो घंटे में ही करवा देंगे लेकिन एक्स्ट्रा चार्ज लगेगा।

रिपोर्टर : चार्ज कितना लगेगा?

दलाल : ये समझ लो कि सबकुछ मिलाकर 1500 रुपए के आसपास खर्च करने पड़ेंगे।

रिपोर्टर : भाई अभी तो इतने पैसे नहीं हैं।

दलाल : पैसे पहले देने पड़ेंगे।

रिपोर्टर : बहुत अर्जेंट है, प्लीज करा दो

दलाल : बिना पैसे के कुछ नहीं हो पाएगा, कल पैसे और रोल नंबर लेकर टाइम से आओ, सबसे पहले मार्कशीट निकलवा लेंगे, फिर आगे का प्रोसेस करेंगे।