क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सन् 2002 में सुन्दर भाई अम्बा लाल देसाई बनाम स्टेट ऑफ गुजरात और 2012 को जनरल इंश्योरेन्स काउंसिल बनाम स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश केस के फैसले में कहा है कि किसी भी केस प्रापर्टी को थाने में नहीं रखा जाएगा। नियम के तहत गाड़ी पंचायतनामा कराया जाएगा। इसके बाद उसे सशर्त मालिक के सुपुर्द किया जाएगा। मालिक को कोर्ट में ट्रायल के दौरान जरूरत पडऩे पर उसे पेश करना होगा। अगर वह प्रापर्टी नष्ट होने वाली है, तो फोटो लेकर उसको बेच दिया जाए ओर रकम कोष में जमा कर दी जाए। भविष्य में कभी मालिक गाड़ी पर क्लेम करता है तो वो रकम मालिक को दे दी जाए। लेकिन सिटी पुलिस सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं कर रही है।

एक्सीडेंट में हुई सीज
सिटी में रोजाना कई एक्सीडेंट होते रहते हैं। जिसमें कई केस में तो ड्राइवर पब्लिक से गुस्से से बचने के लिए गाड़ी छोडक़र भाग जाते हैं। पुलिस के लफड़े से बचने के लिए ज्यादातर गाड़ी मालिक गाड़ी के लिए क्लेम नहीं करते हैं। सालों से थानों में खड़ी ऐसी गाडिय़ों की भरमार है। हालत ये हो चुकी है कि थानों में गाड़ी खड़ी करने के लिए जगह तक नहीं बची है.पुलिस गुडवर्क में एक साथ कई गाडिय़ां बरामद करती है। लेकिन उनके लिए बहुत कम लोग क्लेम करते हैं। इसकी वजह कि गाड़ी चोरी होने पर गाड़ी मालिक इंश्योरेन्स कम्पनी से क्लेम ले लेता है। जिसके बाद गाड़ी मिलने पर थाने में क्लेम नहीं करता है। उसके लिए इंश्योरेन्स कम्पनी क्लेम करती है, लेकिन कोर्ट ज्यादातर केस में असली मालिक के सामने नहीं आने पर उनकी अर्जी खारिज कर देती है।

ये तो कार्ट की अवमानना है
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी पुलिस केस प्रापर्टी को बेच नहीं रही है। जिससे गाडिय़ां कबाड़ हो रही हैं। कई दूसरे सामान तो नष्ट हो गए हैं.  इस मामले में सीनियर एडवोकेट कौशल किशोर शर्मा का कहना है कि पुलिस सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रही है। इसमें पुलिस फंस सकती है।

पुलिस को तो फायदा ही फायदा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने से थाने से लावारिश गाडिय़ों समेत अन्य केस प्रापर्टी को हटाया जा सकता है। इससे थाने का परिसर साफ-सुथरा रहेगा। साथ ही वे केस प्रापर्टी की सुरक्षा करने से भी बच सकते हैं। इससे सरकारी कोष भी बढ़ेगा। वे केस प्रापर्टी को कोर्ट ले जाने से भी बच सकते हैं। उनको सिर्फ केस प्रापर्टी की फोटो कोर्ट में ले जानी होगी। इसके अलावा पुलिस गाडिय़ों के पाट्र्स चोरी होने के आरोप से भी बच सकती है। तत्कालीन डीआईजी प्रेम प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का सर्कुलर जारी कर सभी थानेदारों को इसका अनुपालन करने को कहा था।

थाने में खड़ी है कार
जाजमऊ में रहने वाले कारोबारी मो। असलम के बेटे जीशान की गाड़ी से रामादेवी चौराहे पर एक्सीडेंट हो गया था। हादसे में एक युवक की मौत हो गई। पुलिस ने जीशान को गिरफ्तार कर कार को केस प्रापर्टी के रूप में थाने में खड़ा कर दिया। कोर्ट से बेल पर जीशान तो छूट गया, लेकिन कार कई सालों तक थाने में खड़ी रही और कबाड़ में बदल गई।

कंडम हो गई बाइक
सिटी के चर्चित करण महेश्वरी हत्याकांड में आरोपी की निशानदेही पर बरामद बाइक किदवईनगर थाने में खड़ी है। उसके लिए किसी ने क्लेम नहीं किया। थान में सालों खड़े रहने से उसका इंजन सीज हो गया है। वह भी कंडम हो गई है।

बॉडी के अलावा सब कुछ गायब
स्वरूपनगर में एक हॉस्पिटल के लग्जरी कार की टक्कर से फुटपाथ पर सो रहे किशोर की मौत हो गई थी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और गाड़ी को जब्त कर थाने में खड़ा कर दिया था। एक साल बाद भी गाड़ी को रिलीज नहीं हो पाई है। लेकिन गाड़ी में बॉडी के अलावा सब कुछ गायब हो चुका है।

कोई नहीं गया ट्रक लेने
शिवराजपुर में चार साल पहले एक्सीडेंट में एक युवक की मौत हो गई थी। ड्राइवर ट्रक छोडक़र भाग गया था। पुलिस ने ट्रक को सीज कर थाने में खड़ा कर दिया था। ट्रक का इंश्योरेन्स न होने पर किसी ने ट्रक के लिए क्लेम नहीं किया। कुछ दिनों पहले फाइनेंस कम्पनी ने ट्रक को छुड़ाने के लिए कोर्ट में अर्जी दी, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह ट्रक के मालिक नहीं हैं।