इसे लगभग 350 करोड़ रुपए की लागत से 12 साल से अधिक समय में तैयार किया गया है। इसका डिज़ाइन बनाने वाले इसराइल के वास्तुशिल्पी मोशी सैफ़दाई हैं जिन्होंने यूरोशलम में यहूदियों पर हुए नाज़ी अत्याचारों की याद में होलोकॉस्ट मैमोरियल म्यूज़ियम भी बनाया था।

इस संग्रहालय में सिखों के इतिहास को प्रदर्शित करने वाली कई फ़िल्में दिखाई जा सकेंगी। इन फ़िल्मों का निर्माण 'बैंडिट क्वीन' और 'फ़ायर' जैसी चर्चित फिल्में बनाने वाले फिल्मकार बॉबी बेदी ने किया है।

बॉबी बेदी ने बीबीसी को बताया, ''इस केंद्र को कुछ इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि सिक्खों के धर्म या उनके गुरुओं के बारे में दिलचस्पी रखने वाले या फिर सिर्फ़ जानकारी की इच्छा रखने वाले लोग अपनी जिज्ञासा को शांत कर सकें.'' बेदी ने कहा, ''ख़ास बात यह है कि यहां हमने चीज़ें एकत्रित नहीं हैं बल्कि ख़ुद बनाई हैं.''

सिखों का इतिहास

विरासत-ए-खालसा सिखों के पहले गुरु नानक देव से लेकर ग्रंथ साहिब की स्थापना तक सिख धर्म के विकास को दर्शाता है। कुल मिलाकर इस केंद्र में 25 गैलरियां हैं लेकिन इनमें से फ़िलहाल 15 ही खोली जा रही हैं। ये 15 गैलरियां 650,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैली हैं।

उदघाटन में पहुंचे कुछ लोगों का कहना था कि इस संग्राहलय में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करने की खूबियां हैं। पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार ने 1999 में खालसा के तीन सौ साल पूरे होने पर हुए समारोह के दौरान इस विरासत केंद्र को बनाए जाने की घोषणा की थी।

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