कानपुर (ब्यूरो)। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर ईटिंग एट ओन रिस्कयह बात हम यूं ही नहीं कह रहे। दरअसल, दो दिन पहले पड़े रेलवे अधिकारियों के छापे के बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने रियलिटी चेक किया तो चौंकाने वाली बात सामने आई। रेलवे अधिकारियों को पता ही नहीं हैं कि स्टेशन के स्टॉल्स पर बिकने वाले फूड आइटम कहां से आ रहे हैं। ऐसे में अगर आप किसी भी फूड स्टॉल से फूड आइटम खरीद कर खा रहे हैं तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि उसकी क्वालिटी अच्छी ही होगी। जबकि स्टेशन के विभिन्न फूड प्लाजा पर समोसा, एग-वेज बिरयानी और पैक्ड भोजन की थाली की खूब बिक्री हो रही है। इसलिए यह खाना खाकर आप बीमार हो सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद अधिकारी अनजान बने हुए हैं।

न रजिस्ट्रेशन, न जीएसटी नंबर

सेंट्रल स्टेशन में बिक्री होने वाले फूड आइटम के गोरखधंधे का खुलासा दो दिन पहले ही रेलवे लोको नार्थ कॉलोनी के सीएचआई जितेंद्र सिंह ने किया। स्वच्छ जन आहार अभियान के तहत उन्होंने अपनी टीम के साथ सेंट्रल स्टेशन के कैंट साइड डिलाइट टाकीज के पास एसबीआई बैंक के सामने वाली गली में बने एक मकान में छापा मारा। जहां पर सैकड़ों की संख्या में समोसे बनाए जा रहे थे। इन समोसों में न सिर्फ सड़े-गले आलू का यूज किया जा रहा था, बल्कि जहां ये बन रहे थे, वहां गंदगी की भरमार थी। जांच में सामने आया कि इसकी सप्लाई स्टेशन के फूड प्लाजा में होती है। हैरानी वाली बात यह है कि इस बेस किचन का रजिस्ट्रेशन न तो रेलवे में है और न ही सिटी के फूड डिपार्टमेंट से, यह पूरी तरह से फर्जी तरीके से चलाया जा रहा था।

100 मीटर अंदर 35 से ज्यादा अवैध बेस किचन

सोर्सेस की माने तो कानपुर सेंट्रल स्टेशन के कैंट साइड 100 मीटर की रेंज में सिविल एरिया में कम से कम 35 अवैध बेस किचन संचालित हो रहे है। जहां से समोसा, अड्डा बिरयानी, वेज बिरयानी, पैक्ड भोजन की थाली समेत अन्य सामग्री स्टेशन के दो दर्जन से अधिक फूड स्टॉलों में सप्लाई हो रहा है। पैसेंजर्स को परोसा जाने वाला खाना कहां, किस तरह और कैसे बनाया जाता है। इसकी जानकारी खाद्य सामग्री के गोरखधंधा करने वालों के अलावा किसी को भी नहीं पता है। यहीं कारण है कि यह बेस किचन सकरी गलियों को खोले गए है। जिससे पकड़े जाने का खतरा न के बराबर रहे।

यह है नियम

सेंट्रल स्टेशन पर संचालित फूड स्टॉल संचालक नियमानुसार पैक्ड आइटम रेलवे के अप्रूवल दी गई कंपनी के प्रोडक्ट की बिक्री कर सकते हैं। वहीं खाद्य सामग्री &पका हुआ खाना&य आईआरसीटीसी के रिफ्रेश रूम &आरआर&य से ले सकते हैं। इसके अलावा अगर वह खुद भोजन पका कर स्टेशन पर बिक्री कर रहे है तो इसकी जानकारी रेलवे के चीफ कैटरिंग इंस्पेक्टर को देनी होगी। साथ ही रजिस्टर्ड बेच किचन के डाक्यूमेंट भी लगाने होंगे।

स्टेशन पर समय-समय पर की जाती सैम्पलिंग

सेंट्रल स्टेशन के एसीएम संतोष त्रिपाठी ने बताया कि फूड स्टॉलों में खाने की सप्लाई कहां से होती है। इसकी जानकारी फूड कैटरिंग इंस्पेक्टर को होती है। पैसेंजर्स की सुरक्षा को देखते हुए स्टेशन पर स्टॉलों में बिकने वाले खाने की क्वालिटी की जांच के लिए सैम्पलिंग होती है। जोकि जांच के लिए प्रयागराज रेलवे के लैब में भेजा जाता है। क्वालिटी में कमी मिलने पर फूड स्टॉल ओनर पर हैवी जुर्माना लगाया जाता है।

ई-कैटरिंग काफी हद तक सेफ

सेंट्रल स्टेशन या फिर ट्रेन में जर्नी कने वाले पैसेंजर्स क्वालिटी युक्त भोजन खाने के लिए ई-कैटरिंग की सुविधा उठा सकते हैं। क्योंकि यह काफी हद तक सेफ है। ई-कैटरिंग के ऑडर किए गए खाने में पैसेंजर्स को पता होता है कि खाना कहां और कौन सप्लाई करते हैं।

स्वच्छ जन आहार अभियान के चलते दो दिन में दो अवैध बेस किचन में छापा मारा गया है। जांच रिपोर्ट लोको हॉस्पिटल के सीएमएस व प्रयागराज अधिकारियों को सौंप दी है। सोर्सेस से जानकारी मिली है कि इस तरह के और अवैध बेस किचन स्टेशन के आसपास चल रहे है। जिन पर भी कार्रवाई करने की योजना बनाई गई है।

जितेंद्र कुमार, सीएचआई, रेलवे लोको नार्थ कालोनी