भारत में फांसी की सज़ा पिछले कई वर्षों से नहीं दी गई है और आखिरी बार फांसी पश्चिम बंगाल में 2004 में हुई थी जब धनंजय चटर्जी को बलात्कार और हत्या के मामले में फांसी दी गई थी। धनंजय चटर्जी को फांसी देने वाले थे नाटा मलिक जिनकी कुछ वर्षों बाद मौत हो गई।

यानी कि भारत में इस समय जल्लाद हैं ही नहीं जो फांसी दे सकें। कुछ महीनों पहले पंजाब में बलवंत सिंह राजोआना को इसलिए फांसी नहीं दी जा सकी थी क्योंकि पंजाब में कोई जल्लाद था ही नहीं। हालांकि बाद में ये मामला राजनीतिक हो गया था। राजोआना को चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में फांसी की सज़ा सुनाई गई।

आगे क्या होगा ?

लेकिन अगर जल्लाद नहीं हों तो क्या फांसी नहीं दी जा सकती है? महाराष्ट्र के जेल महानिदेशक ने कुछ महीनों पहले बीबीसी से बातचीत में कहा था कि जेल मैनुअल के अनुसार कोई पुलिस अधिकारी भी ट्रेनिंग के बाद फांसी दे सकता है। यानी कि कसाब को फांसी देने के लिए मुंबई के किसी पुलिस अधिकारी को तैयार किया जा सकता है।

ये ट्रेनिंग कैसे होती है इसका ज़िक्र मैनुअल में भी किया गया है कि कैसे किसी अधिकारी को फांसी देने के लिए या जल्लाद बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जा सकती है।

'मैं दूंगा फांसी'

उधर पश्चिम बंगाल के एक जल्लाद महादेव मल्लिक ने दो वर्ष पहले अपील की थी कि वो कसाब को फांसी पर चढ़ाने के लिए तैयार हैं। वर्ष 2010 में जब कसाब को हाई कोर्ट से फांसी की सज़ा सुनाई गई थी उस दौरान बीबीसी से बातचीत करते हुए महादेव मल्लिक ने कहा था कि वो फांसी देने को तैयार हैं लेकिन उनकी कुछ मांगें हैं।

हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने महादेव मल्लिक के प्रस्ताव के बारे में कोई जानकारी होने से इंकार किया था। महादेव मल्लिक पश्चिम बंगाल में आखिरी बार फांसी देने वाले जल्लाद नाटा मल्लिक के बेटे हैं और वो पश्चिम बंगाल की जेल में काम करते हैं।

नाटा मल्लिक ने अपने जीवन में 25 लोगों को फांसी दी थी जबकि नाटा मल्लिक के पिताजी और महादेव मल्लिक के दादाजी ने अपने जीवन में 600 फांसी दी थीं।

महादेव कहते हैं, ‘‘फांसी देना हमारे खून में शामिल हैं। मैं ये काम अच्छे से जानता हूं। मैं फांसी दे सकता हूं। लेकिन मेरी कुछ मांगें हैं.’’

हालांकि सबसे मज़ेदार बात ये है कि महादेव मल्लिक ने अभी तक एक भी फांसी नहीं दी है यानी उन्हें अनुभव नहीं है। वो फिलहाल सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करते हैं और जब फांसी देनी होती है तो उसकी मदद ली जाती है।

अब देखना ये है कि कसाब को फांसी देने के लिए महाराष्ट्र में कोई अधिकारी तैयार किया जाता है या फिर महादेव मल्लिक या किसी और की मदद ली जाती है।

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