यहां नौजवान लड़के लड़कियों की जमात करिश्मा का इंतज़ार कर रही है, रंग, कूची और ख़ाली कैनवासों के साथ। बीस साल की दुबली पतली गुंथे हुए बालों और काजल से भरी आंखों वाली करिश्मा इस विभाग और विश्वविद्यालय की एकमात्र न्यूड मॉडल या नग्न मॉडल हैं। वे इस पेशे को पूरे परिवार औऱ समाज से छुपा कर करती है इसीलिए हमसे आग्रह किया कि उसका असली नाम न लिया जाए

चित्रकला की कक्षाओं में मानव देह संरचना की पढाई न्यूड मॉडल्स की मदद से ही करवाई जाती है।

सामाजिक तिरस्कार

चारों तरफ़ से पूरी तरह बंद कमरे में परदे के पीछे करिश्मा कपड़े उतारकर अब कमरे के बीच में खड़ी हैं, नौजवान कलाकार जिनमें लड़के लड़कियां सब शामिल हैं, उन्हें एक पोज़ के साथ खड़े होने के लिए कहतें हैं और फिर सबके ख़ाली पन्नों पर करिश्मा की देह की रेखाएं उभरने लगती हैंमाथा, मुंह, वक्ष, पेट, पीठ, हाथ- पांव यानि अंगो के हर घुमाव और कटाव को बारीकी से पढ़ने का सिलसिला शुरू।

छात्र कहते हैं कि इस तरह की क्लास उनके कला प्रशिक्षण के लिए बेहद अहम है। लेकिन अब सभी कला विभागों के लिए न्यूड मॉडल्स ढूंढना बेहद मुश्किल काम बनता जा रहा है। और शायद आने वाले सालों में इस कक्षा को कला के पाठ्यक्रम से हटाने की नौबत आ जाए। इसकी वजह न केवल इन मॉडलों की बेहद कम पगार है बल्कि समाज भी इन्हें हेय और तिरस्कार की दृष्टि से देखता है।

गुजरात में ललित कला विभाग प्रमुख वासुदेवन अकिथम कहते हैं कि हालांकि इस देह रचना के सीखने की परंपरा कला प्रशिक्षण मे काफी पुरानी है लेकिन अब इसको लेकर समाज में कठमुल्लापन बढा है। इन मॉडलों को समाज वेश्या की तर्ज़ पर देखता है। और इसीलिए ये मॉडल्स भी अपने काम को इज़्ज़त नही दे पाती समाज के डर से।

ख़ौफ़ के साए में

मेरे लिए भी ये अनुभव बहुत अलग था। लोगों के सामने कपड़े उतारकर घंटो पोज़ देना कैसा लगता होगाबहुत मुश्किल क्लास के बाद करिश्मा से मैंने सबसे पहले यही सवाल किया

करिश्मा—पहली बार तो बहुत अजीब लगा आज से पांच साल पहले मैने काम शुरू किया। सबके सामने कपड़े उतारकर पोज़ देना बहुत मुश्किल है पर फिर मैने शर्माना छोड़ दिया जब काम करना है तो शर्माना कैसा घर में बहुत पैसे की तंगी थी, इसीलिए ये काम करती हूं। मजबूरी नहीं होगी तो कौन करेगा ये कामफिर टीचरों ने कहा मैं इन स्टूडेंट्स को मदद कर सकती हूं कला सीखने में तो मुझे लगा चलो इस काम में कुछ इज़्ज़त तो है।

सवाल—न्यूड मॉडल बनने का फ़ैसला मुश्किल था

करिश्मा—हां बहुत—मेरे परिवार में किसी को इसके बारे में मालूम नहीं है। किसी को मालूम हो जाए तो आसमान फट जाएगा मेरे सर पर पता नहीं क्या होगा फिर तो कोई शादी भी नहीं करेगा मुझसेमैं सोच भी नहीं पा रही क्या क्या हो सकता है।

सवाल—जब तुम कपड़े उतारकर सबसे सामने खड़ी होती हो तो तुम्हारे दिमाग में क्या चलता है।

करिश्मा—मैं बहुत तनाव में आ जाती हूं। ये आसान नहीं है। शारिरिक रूप से भी मुश्किल है क्योकि आप पोज़ में हो फिर बिल्कुल मूर्ति बन जाना पड़ता हैशरीर में दर्द होने लगता है इसीलिए तो कई औरतों ने छोड़ दिया ये काम।

सवाल- सबसे मुश्किल क्या है

मुझे ये काम अच्छा नहीं लगता है फिर भी करती हूं ये सबसे मुश्किल है लेकिन ये भी सच है कि जब मै देखती हूं ये नए स्टूडेंट्स मेरी वजह से कुछ नई चीजें सीख रहे है तो अच्छा लगता है। मुझे भी तस्वीरें बनाना अच्छा लगता है।

सवाल—क्या तुम्हें लगता है कि तुम इनके कलाकार बनने में कुछ योगदान कर रही हो

करिश्मा- बिल्कुल , सभी लोग मेरे को थैंक यू थैंक यू कहते रहते हैं।

सवाल—तुम्हें कितनी पगार मिलती है

करिश्मा—अभी एक दिन का सौ देते हैं पर उसके अलावा कुछ नही कोई मेडिकल मदद भी नहींमहीने में 1500 कमा लेती हूं। पर इससे क्या होगा इतना बड़ा मेरा परिवार है और मंहगाई इतनी है पर कोई सुनवाई नहीं है। इसीलिए मेरा मन नहीं करता अब काम करने का अगर ज़्यादा पैसा देंगे तो काम करती रह सकती हूं।

सवाल—ज़िंदगी मुश्किल है

करिश्मा—बहुत—मैं हमेशा डर डर कर जीती हूं। फिर पैसे भी इतने कम हैंअगर किसी को पता चल जाए इस काम के बारे में तो मैं जीते जी मर जाउंगी। पर मुझे पता है कि मै ये काम अपने परिवार को चलाने के लिए कर रही हूं। जब शादी हो जाएगी तो छोड़ दूंगी।

करिश्मा के द्वंद को समझना मुश्किल नहीं था मेरे लिए – दुनिया के कई मुल्कों में करिश्मा का पेशा इज़्ज़त का पेशा है लेकिन यहां तमाम तरक्कियों के बावजूद सामाजिक संकीर्णता की पैठ से कोई इंकार कर सकता है

इस बातचीत के बाद करिश्मा ने अपने घर आने का न्यौता दिया सायकिल पर फुर्र करती हमारी गाड़ी को रास्ता दिखला रही थी वो भीड़ में गुम होतीलगा चीख कर कहना चाह रही थी- उसे खुले दिल से स्वीकार किया जाए-- जैसी वो हैं—एक नौजवान अकेली लड़की जो इज़्ज़त से अपनी रोज़ी रोटी कमा रही है।

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