- एंबुलेंस के ड्राइवर गाड़ी छोड़ फरार, चौक पुलिस ने एमबी एक्ट में की गाड़ी सीज

- मोटे कमीशन के चलते लंबे समय से चल रहा है पूरा खेल

LUCKNOW :

ट्रॉमा सेंटर के बाहर मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल में शिफ्ट करने का खेल लंबे समय से चल रहा है। गेट के बाहर प्राइवेट एंबुलेंस का काफिला लगा रहता है। एसीपी चौक ने इस नेक्सेज को तोड़ने के लिए शुक्रवार को चौक पुलिस के साथ अभियान चलाया। पुलिस टीम को देख प्राइवेट एंबुलेंस के ड्राइवर मौके से भाग खड़े हुए। पुलिस ने 14 एंबुलेंस को जब्त कर उन्हें सीज कर दिया।

बन जाती हैं ट्रैफिक बैरियर

इंस्पेक्टर चौक विश्वजीत सिंह के अनुसार एंबुलेंस के ड्राइवर के पास कोई मेडिकल स्टॉफ नहीं रहता है और वह रोड पर ट्रैफिक के लिए बाधा बनने के साथ-साथ हॉस्पिटल में आने जाने वालों लोगों के लिए भी समस्या बनती हैं। जिसके चलते उन्हें वहां से हटने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद भी गाडि़यां न हटने पर शुक्रवार को उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए 14 एंबुलेंस को जब्त कर सीज कर दिया गया।

गाड़ी छोड़ भागे ड्राइवर

इंस्पेक्टर चौक विश्वजीत सिंह ने बताया कि शुक्रवार को जब पुलिस टीम के साथ चेकिंग की गई तो वहां खड़ी सभी एंबुलेंस के ड्राइवर मौके से भाग निकले। 14 एंबुलेंस को जब्त कर उन्हें एमवी एक्ट में सीज कर दिया गया।

मोटे कमीशन का खेल

राजधानी के सरकारी अस्पतालों के बाहर से दलाल मरीजों को बहला-फुसलाकर प्राइवेट अस्पताल ले जाते हैं। इसके बदले उन्हें प्राइवेट अस्पताल मोटा कमीशन देते हैं। ट्रॉमा सेंटर के बाहर इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।

ऐसे होता है खेल

ट्रॉमा में नेपाल, बलरामपुर, बहराइच, रायबरेली समेत अन्य प्रदेशों से भी मरीज आते हैं। प्राइवेट एंबुलेंस संचालक इन्हें अपना शिकार बनाते हैं और बताते हैं कि प्राइवेट अस्पताल में आपको बेहतर इलाज मिलेगा। जैसे ही तीमारदार प्राइवेट अस्पताल जाने को राजी होते हैं, एंबुलेंस चालक उस अस्पताल को फोन कर मरीज के बारे में बताता है और कमीशन की सेटिंग करता है। प्राइवेट अस्पतालों में इन मरीजों से काफी पैसा वसूला जाता है।

कई बार की गई शिकायत

केजीएमयू व ट्रॉमा सेंटर के बाहर दर्जनों प्राइवेट एंबुलेंस गाडि़या घंटों खड़ी रहती हैं। कई बार मरीजों को अंदर तक से ले जाने की शिकायतें आई हैं। जिसमें कई बार संस्थान के ही कर्मचारियों का नाम सामने आ चुका है। जिसके बाद केजीएमयू प्रशासन द्वारा कई बार पुलिस से लेकर सीएमओ तक में इसकी शिकायत भी की जा चुकी है लेकिन यह खेल बंद नहीं हो सका है।