लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में 300 से अधिक ऐसे प्वाइंट्स सामने आए हैैं, जहां मैनहोल की व्यवस्था तो दी गई है, लेकिन अब वहां मैनहोल नजर नहीं आते। इसकी वजह है जल्दबाजी में किया गया सड़क निर्माण। दरअसल, सड़क बनाने के दौरान ज्यादातर प्वाइंट्स पर मैनहोल ही पाट दिए गए हैैं। ऐसे में खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर सीवर ब्लॉकेज की समस्या सामने आएगी तो उसे दूर करना कितनी बड़ी मुसीबत बन सकता है।

नहीं दिया गया ध्यान

नगर निगम या पीडब्ल्यूडी की ओर से ज्यादातर रोड्स का निर्माण कराया जाता है। कई बार देखने में आता है कि सड़क निर्माण के दौरान मैनहोल को ही कवर कर दिया जाता है। ऐसे में जब उस एरिया में सीवरेज से रिलेटेड कोई समस्या सामने आती है तो कार्यदायी संस्था सुएज के कर्मचारियों को समस्या ढूंढने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, पहले तो मैनहोल ढूंढने में ही लंबा वक्त लग जाता है। इस दौरान उस एरिया की पब्लिक को सीवरेज की समस्या से जूझना पड़ता है।

अभी तक करीब 300

सीवरेज मेंटीनेंस की जिम्मेदारी संभालने वाली कंपनी सुएज इंडिया के पदाधिकारियों की माने तो अभी तक पूरे शहर में करीब 300 ऐसे प्वाइंट्स चिन्हित किए गए हैैं, जहां पर मैनहोल सिस्टम तो हैं, लेकिन पूर्व या वर्तमान में हुए सड़क निर्माण के दौरान इन्हें पाट दिया गया है। इसका मतलब यह है कि इन मैनहोल के ऊपर से ही सड़क निर्माण करा दिया गया है। जिसकी वजह से अब मैनहोल को ढूंढना खासी चुनौती भरा काम है।

20 से 30 मीटर की दूरी होती है

हर एरिया में सीवरेज ट्रंक लाइन होती है और इसकी सफाई के लिए मैनहोल सेटअप किए जाते हैैं। इनके कवर रोड के ऊपरी सतह पर होते हैैं, जिसके माध्यम से सीवरेज सफाई का कार्य कराया जाता है। इसके माध्यम से ही क्षतिग्रस्त सीवरेज लाइन को भी दुरुस्त कराया जाता है। ऐसे में खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि मैनहोल का रोल कितना महत्वपूर्ण है। दो मैनहोल के बीच की दूरी 20 से 30 मीटर के बीच रखी जाती है। इन मैनहोल में उतरकर ही कर्मचारी समस्या दूर करते हैैं।

गोखले मार्ग में मैनहोल ही नहीं मिले

इसी महीने हजरतगंज एरिया में स्थित गोखले मार्ग में सीवरेज की समस्या सामने आई थी। जब कार्यदायी कंपनी की टीम समस्या दूर करने पहुंची तो वहां पर मैनहोल ही नहीं मिले। सूचना मिलते ही नगर आयुक्त भी मौके पर पहुंच गए थे और उन्होंने भी पाया कि रोड निर्माण के दौरान मैनहोल ही कवर हो गए हैैं। जिसके बाद कार्यदायी कंपनी की टीम के कर्मचारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद पहले तो मैनहोल ढूंंढें, फिर सीवरेज समस्या दूर की। इसमें खासा वक्त लग गया।

पुराने लखनऊ में समस्या ज्यादा

नगर निगम के जोन तीन और जोन छह में मैनहोल लापता होने संबंधित समस्या ज्यादा सामने आती है। इसकी वजह यह है कि जोन छह में पुराने वार्ड हैैं और यहां पर मैनहोल से रिलेटेड कोई मैप ही नहीं है, वहीं अन्य जोन में ज्यादातर प्वाइंट्स में सड़क निर्माण के दौरान मैनहोल पाट दिए गए हैैं। इसकी वजह से सीवरेज समस्या दूर होने में समय लग जाता है।

गोखले मार्ग समेत 300 से अधिक ऐसे प्वाइंट्स हैैं, जहां पर रोड निर्माण के दौरान मैनहोल ही पाट दिए गए हैैं। इसकी वजह से सीवरेज की समस्या दूर करने में खासी परेशानी होती है। टीम को पहले मैनहोल ढूंढना पड़ता है, फिर समस्या दूर की जाती है, जिसमें काफी समय लग जाता है।

-राजेश मठपाल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, सुएज इंडिया, लखनऊ

मामला संज्ञान में आया है और इस विषय को गंभीरता से लिया गया है। इसे ध्यान में रखते हुए अब सभी एरिया में ट्रंक लाइन से रिलेटेड मैप तैयार कराया जा रहा है। मैपिंग होने के बाद आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि मैनहोल किस प्वाइंट पर स्थित है।

-इंद्रजीत सिंह, नगर आयुक्त