लखनऊ (ब्यूरो)। सूर्य उपासना का महापर्व छठ का व्रत रखने वाली महिलाएं नहाय-खाय के साथ गोमा के तटों पर जाकर छठ पूजा करने की तैयारी कर चुकी हैं। शनिवार को व्रती महिलाओं द्वारा खरना किया गया। इसमें उपवास रखकर शाम को पूजा करने के बाद नैवेद्य और प्रसाद ग्रहण करने के साथ करीब 36 घंटा का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। व्रती महिलाएं गोमा के तटों पर जाकर छठ मइया के गीत गाकर उनकी आराधना कर परिवार की खुशहाली और संपन्नता की मनोकामना करेंगी।

घरों में कर रहे तैयारी

इसबार लोगों में व्रत को लेकर जबरदस्त उत्साह है। नदी तट से लेकर घरों तक में सुशोभिता बनाई गई है। वहीं खरना को लेकर महिलाएं दिनभर तैयारियों में लगी रहीं। खरना प्रसाद में गन्ने के रस से बने चावल की खीर के साथ दूध-चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक व चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। यह प्रसाद बेहद सात्विकता, श्रद्धा व साफ-सफाई के साथ बनाया जाता है। दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को महिलाओं ने खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद महापर्व छठ का व्रत शुरू किया, जो सोमवार सुबह सूर्योदय के साथ पूरा होगा।

अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जायेगा अर्ध्य

छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाओं द्वारा अघ्र्य के साथ मुख्य पर्व की शुरुआत होगी। इस दिन व्रती महिलाएं पास की नदी व तालाब जाकर पानी में खड़ी होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देती हैं। इस दौरान व्रती महिलाएं छठ मइया के गीत गाती हैं। वहीं घाट पर बने छठ मइया के प्रतीक सुशोभिता के पास बैठकर पूजन करती हैं। वहीं, 31 अक्टूबर को उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देने के बाद प्रसाद वितरण के साथ व्रत का पारण किया जाएगा।

महिलाएं भरती हैं कोसी

व्रती महिला व पुरुष माटी की कोसी पर षष्ठी देवी की पूजा करते हैं। व्रती शाम को पहले अघ्र्य अर्पण के बाद जब घाट से वापस घर को आती हैं तो आंगन में रंगोली बना माटी के हाथीनुमा कोसी की पूजा अर्चना करती हैं, जिसके ऊपर ईख का चनना बनाकर पूजा की जाती है, जिसे महिलाएं कोसी भरना भी कहती हैं।

सीएम होंगे चीफ गेस्ट

गोमती नदी तट स्थित लक्ष्मण मेला मैदान में बने छठ स्थल पर अखिल भारतीय भोजपुरी समाज द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा, जिसमें 150 से अधिक कलाकारों द्वारा गीत, नृत्य व गायन व वादन की प्रस्तुतियां शामिल रहेंगी। अध्यक्ष प्रभुनाथ राय के मुताबिक, कार्यक्रम का शुभारंभ दोपहर तीन बजे से सांस्कृतिक मंच से होगा। वहीं बतौर मुख्य अतिथि सीएम योगी आदित्यनाथ शामिल हो सकते है। उनके अलावा कई अन्य कैबिनेट मंत्री समेत अन्य मंत्री आदि मौजूद रहेंगे।

सूर्याष्ठी व्रत रविवार को

ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय के अनुसार, कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यह व्रत मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियां धन-धान्य, पति-पुत्र व सुख-समृद्धी से परिपूर्ण व संतुष्ट रहती हैं। शनिवार को खरना से व्रत शुरू होता है और रात में खीर खाकर फिर 36 फंटे का कठिन निर्जला व्रत रखा जाता है। खरना के दिन सूर्य षष्ठी पूजा के लिए प्रसाद बनाया जाता है। वहीं, रविवार को षष्ठी व्रत रहते हुए सायं काल अस्त होते हुए सूर्य को सूर्यार्घ पूजन के बाद अघ्र्य देती है। जबकि, सोमवार को सुबह उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देने के बाद पारणा किया जाता है। इस व्रत को करने से समस्त कष्ट दूर होकर घर में सुख शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत व पूजन को करने से अभीष्ट की प्राप्ति होती है।

तिरंगा रंग में सुसुभिता बनाया

वहीं, भोजपुरी छठ पूजा समिति द्वारा अखंड भारत की कामना और सुख समृद्धि के लिए तिरंगा रंग में सुसुभिता बनाया गया है, जिसे छठ मईया को समर्पित किया गया है।