- टेंडर पॉम अस्पताल का मामला

- हॉस्पिटल प्रशासन बोला, तीन से चार मिनट का हुआ था ब्रेकडाउन, ऑक्सीजन नहीं, अन्य कारणों से हुई तीनों की मौत

रुष्टयहृह्रङ्ख: शहीदपथ स्थित टेंडर पाम अस्पताल में बुधवार रात तीन से चार मिनट तक मरीजों को ऑक्सीजन की सप्लाई न मिलने (ब्रेक डाउन होने के कारण) से यहां भर्ती कोविड समेत अन्य मरीजों की सांसों पर ब्रेक लग गया। इससे करीब पांच मरीजों की जान चली गई। इसके बाद मरीजों के तीमारदारों ने अस्पताल प्रशासन से लेकर सरकारी व्यवस्थाओं तक पर सवाल खड़े करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। देर रात तक हंगामा चलता रहा। इसके बाद जब ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू हुई तो तीमारदार शांत हुए। वहीं, अस्पताल के बिजनेस हेड ने तीन मरीजों की मौत तो स्वीकारी है, लेकिन उनका दावा है कि मरीजों की मौतों का कारण आक्सीजन सप्लाई बाधित होना नहीं है। उनकी अन्य कारणों से मौत हुई है।

बुधवार शाम करीब छह बजे आक्सीजन न होने पर अस्पताल के कर्मचारियों ने अस्पताल में भर्ती करीब सौ मरीजों के तीमारदारों को फोन कर कहा कि कहा कि आक्सीजन समाप्त हो गई है। वह अपने-अपने मरीज को ले जाएं। इसके बाद तीमारदारों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच आक्सीजन की सप्लाई बाधित होने से इंद्रनारायण, रेखा सिंह और शंकर गुप्ता समेत एक के बाद एक पांच मरीजों की जान चली गई। अस्पताल के बिजनेस हेड विनय शर्मा ने बताया कि इंद्र नारायण पिछले कई दिनों से ब्रेन डेड थे। उनकी और जो दो अन्य की मौत हुई है, उनकी मौत का कारण आक्सीजन की कमी नहीं है।

अस्पताल के बिजनेस हेड ने बताया कि अस्पताल में सारी सुविधाएं हैं। मरीज हमारी पहली प्राथमिकता हैं। मरीजों का हर संभव अच्छा इलाज किया जाता है। अस्पताल की संचालिका एक प्रभावशाली नेता की बेटी का हैं।

डीएम को भेजी सूचना तो देर शाम पहुंचे सि¨लडर

अस्पताल के बिजनेस हेड विनय शर्मा ने बताया कि अस्पताल के आक्सीजन सि¨लडर भरवाने के लिए वह और उनके कर्मचारी सुबह से ही मुरारी, परिहार और केपी समेत अन्य प्लांटों पर लाइन में लगे थे। देर शाम तक उन्हें गैस नहीं मिली। शाम को जब उनके पास ढाई घंटे का बैकअप बचा तो उन्होंने मरीजों के तीमारदारों को फोन करना शुरू किया कि यहां से या तो पेशेंट ले जाएं अथवा गैस की व्यवस्था खुद करें। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश को भी इस बारे में लिखित भेजा गया। उसके बाद देर शाम जिलाधिकारी ने पहले 20 सि¨लडर, फिर 17 और उसके बाद पुलिस ने 29 सि¨लडर भिजवाए। मरीजों को तीन से चार मिनट का ब्रेक डाउन हुआ था। उसके बाद आक्सीजन की सप्लाई सभी मरीजों को मिलने लगी थी। जिस युवती ने हंगामा किया, उसका कोई भी मरीज यहां भर्ती नहीं था। उसने साजिश रचकर कई तीमारदारों को भड़काने की कोशिश की थी। इस कारण कुछ लोगों ने विरोध किया था। उसके बाद सब शांत हो गए।