- आयुष को मंत्रालय का दर्जा मिलने के बाद राजधानी में हुआ पहला आयुष महासम्मलेन

- सेंट्रल गवर्नमेंट ने आयुष डॉक्टरों के विकास के लिए जारी किया 1208 करोड़ रुपए

- स्टेट गवर्नमेंट की हिस्सेदारी बढ़ाकर किया 42 फीसदी

LUCKNOW: आने वाले दिनों में पूरे देश में आयुष डॉक्टरों को अपनी अलग पहचान दिलाई जाएगी। हजारों साल पुरानी इस चिकित्सा की विधा को ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए प्रधानमंत्री ने भी काफी प्रयास किया है। इसी क्रम में सेंट्रल गवर्नमेंट ने आयुष को मंत्रालय का दर्जा दिया है। ये बातें केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद नाइक ने कहीं। उन्होंने आयुष की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि एलोपैथ के डॉक्टरों के समान इन्हें भी सैलरी और सुविधाएं दी जाएंगी। आयुष को मंत्रालय का दर्जा दिए जाने के बाद शुक्रवार को राजधानी में पहले आयुष महासम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपाद नाइक ने किया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में आयुष चिकित्सकों को अलग पहचान दिलाई जाएगी। इस अवसर पर राज्य होम्योपैथी के निदेशक डॉ। विक्रमा प्रसाद और राज्य महिला आयोग की सदस्य अर्चना राठौर भी मौजूद रहीं।

छह मंथ पहले हुआ मंत्रालय का गठन

केंद्रीय आयुष मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों के चलते छह मंथ पहले आयुष मंत्रालय का गठन किया गया। उन्होंने आशा जताई है कि जल्दी ही आयुषों के भी अच्छे दिन आएंगे। उन्होंने बताया कि आयुष को वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में जाना जाता है। एलोपैथ के डॉक्टर जिन गांवों में जाना नहीं चाहते, वहां आयुष चिकित्सक अपना फर्ज निभा रहे हैं। पहले ब्रिटिश काल में और फिर आजादी के बाद इसे कई सरकारों ने दबाने का प्रयास किया। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पहले यह मंत्रालय में एक छोटा सा विभाग हुआ करता था। पीएम ने इस छोटे विभाग को मंत्रालय में तब्दील कर नया आयाम दिया है। मंत्रालय की कोशिश है कि आने वाले दिनों में हर गांव, सीएचसी, पीएचसी और जिला हॉस्पिटल में आयुष डॉक्टरों की तैनाती की जाए।

भारत सरकार के दूसरे डिपार्टमेंट में भी होगी तैनाती

आयुष चिकित्सकों की मांगों के समर्थन में श्रीपाद यशो नाइक ने कहा कि जहां तक एलोपैथ डॉक्टरों के समकक्ष वेतन देने का मामला है तो भारत सरकार राज्य सरकारों को फंड मुहैया कराती है। उसी फंड के आधार पर राज्य सरकार सैलरी देती है। हालांकि, मंत्रालय कोशिश कर रहा है कि आयुष डॉक्टरों को समान सुविधाएं मिले। उन्होने कहा कि भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों जैसे रेलवे, डिफेंस, मानव संसाधन विकास और ऐसे मंत्रालय जहां पर डॉक्टर रखे जाते हैं, उन सभी विभागों में आयुष डॉक्टरों की तैनाती को लेकर बातचीत की जा रही है। इस दिशा में आयुष विभाग को अन्य मंत्रालयों की तरफ से आश्वासन भी दिया गया है।

टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर होगा विस्तार

केंद्रीय आयुष मंत्री ने कहा कि आयुष चिकित्सक कैसे गांव-गांव पहुंचे, इसके लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। जिससे सीएचसीए पीएचसी और जिला हॉस्पिटल में अस्थाई की जगह पर स्थाई नियुक्ति के रूप में डॉक्टरों की तैनाती की जा सके। उन्होंने बताया कि मंत्रालय के कुल 1208 करोड़ के बजट में आयुष मंत्रालय को 350 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। आयुष के तहत यूपी सरकार को 62 करोड़ रुपए दिए गए हैं। पहले राज्यों का शेयर 32 फीसदी था, जिसे मंत्रालय ने बढ़ाकर 42 फीसदी कर दिया है। हर जिले में आयुष के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा एमबीबीएस के समकक्ष बीएमएस कोर्स को लाने की दिशा में सेंट्रल सरकार कदम उठाने जा रही है। वही समारोह में आयुष डॉक्टरों की तरफ से कई मांगें रखी गई थीं। इनमें मुख्य रूप से यूपीएससी और यूपीएचएससी कोर्स में आयुष को शामिल करने की बात कही गई।