लखनऊ (ब्यूरो)। डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) ने अपने स्टूडेंट्स की अकैडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) आईडी बनाना शुरू कर दिया है। इस व्यवस्था के तहत स्टूडेंट्स को लैटरल एंट्री और लैटरल एग्जिट में आसानी होगी। एकेटीयू अधिकारियों के मुताबिक, संस्थान से संबद्ध 750 कॉलेजों के करीब ढाई लाख स्टूडेंट्स हैं। इनमें से एक लाख 75 हजार स्टूडेंट्स की एबीसी आईडी बना ली गई है। यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में स्टूडेंट्स की एबीसी आईडी बनाने को कहा है। ऐसे में एकेटीयू ने एबीसी में रजिस्ट्रेशन करवा लिया है।

रहेगा वर्चुअल रेकॉर्ड, एंट्री एग्जिट में होगी आसानी

एकेटीयू के परीक्षा नियंत्रक प्रो। राजीव कुमार ने बताया कि मौजूदा समय में संस्थान एबीसी आईडी बनाने का काम कर रहा है। इस व्यवस्था में स्टूडेंट्स के क्रेडिट्स और वर्चुअल डेटा रिकार्ड रहेगा। एबीसी आईटी सभी स्टूडेंट्स के लिए आवश्यक है। अब परीक्षा फॉर्म भरते समय एबीसी आईडी भी भरना होगा। एबीसी में सिर्फ रजिस्टर्ड संस्थान ही स्टूडेंट्स के अकाउंट्स में क्रेडिट अपलोड कर सकते हैं। नई शिक्षा नीति में कई बदलाव किए गए हैं। इसमें इस बात पर फोकस किया गया है कि अगर स्टूडेंट पढ़ाई छोड़ता है तो उसकी मेहनत खराब न हो। ऐसे में एक साल पर पढ़ाई छोड़ने पर सर्टिफिकेट, दो साल पर एडवांस डिप्लोमा, तीन साल पर ग्रैजुएट और चार साल पर रिसर्च संग ग्रैजुएशन की डिग्री दी जाएगी। इसके साथ क्रेडिट सिस्टम भी बनाया गया है, ताकि स्टूडेंट आसानी से लैटरल एंट्री और लैटरल एग्जिट कर सकें। दूसरा संस्थान पुराने संस्थान के क्रेडिट जोड़ लेगा। इससे कोई स्टूडेंट किसी कोर्स में अगले साल की पढ़ाई के लिए दूसरे संस्थान में प्रवेश ले सकेगा। इसी तरह पढ़ाई छोड़ चुके स्टूडेंट को दोबारा प्रवेश लेने में आसानी होगी।

डिजिटल टैब्यूलेशन चार्ट से आसान होगा एग्जाम का प्रॉसेस

एकेटीयू अपने संबद्ध कॉलेजों को राहत देने के लिए उन्हें डिजिटल टैब्यूलेशन चार्ट देने की योजना बना रहा है। इस व्यवस्था के तहत कॉलेजों को स्टूडेंट्स के एग्जाम रिजल्ट से संबंधित जानकारी होगी। इसके तहत एकेटीयू की ओर से रिजल्ट में होने वाले अपग्रेडेशन पर कॉलेज के पास भी ऑनलाइन डेटा अपडेट होगा। एकेटीयू के अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा समय में एकेटीयू से जो भी एग्जाम फॉर्म भरे जाते हैं उनका डेटा सिर्फ विवि के पास ही रहता है। ऐसे में कोई भी समस्या होने पर कॉलेजों को एकेटीयू को सूचित करना पड़ता है। इस व्यवस्था के जरिए कॉलेज को भी स्टूडेंट्स का पूरा रेकॉर्ड रहेगा।