लखनऊ (ब्यूरो)। प्राग नारायण रोड पर नजूल की जमीन पर बने यजदान अपार्टमेंट को ध्वस्त करने की कार्रवाई सोमवार से शुरू कर दी गई है। पहले दिन छठे फ्लोर से अपार्टमेंट को गिराने संबंधी कार्रवाई की जा रही है। इसके बाद पोकलैैंड मशीन से अपार्टमेंट को ध्वस्त किया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ, ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू होते ही बायर्स के चेहरे मायूस दिखे। कई बायर्स राहत के लिए मंडलायुक्त कार्यालय भी पहुंचे। हालांकि, शाम को कोर्ट ने एलडीए से यजदान अपार्टमेंट को गिराने को लेकर जवाब मांगा है। इस पर अब मंगलवार सुबह एलडीए कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा। कोर्ट में सुनवाई के दौरान तक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक रहेगी।

यूपी रेरा से प्रोजेक्ट स्वीकृत

यजदान बिल्डर्स ने नजूल की जमीन पर पहले पांच मंजिला अपार्टमेंट बनाने का मानचित्र एलडीए से पास कराया। इसके बाद वर्ष 2017 में अपने इस प्रोजेक्ट को यूपी रेरा में पंजीकृत करा लिया। रेरा में पंजीकरण होने के बाद अपार्टमेंट पांच की जगह छह मंजिला बन गया। इसके 48 फ्लैटों को 40 से 46 लाख रुपये में बेचा गया। नजूल भूमि की एनओसी प्राप्त किए बिना ही वर्ष 2015 में यजदान अपार्टमेंट का निर्माण शुरू कर दिया गया था। वर्ष 2016 में एलडीए ने नोटिस भेजकर इस अपार्टमेंट को सील करा दिया।

75 लाख रुपये जमा कराए

बिल्डर ने जब 2017 में प्रोजेक्ट को रेरा में पंजीकृत कराया, उसी समय एलडीए ने शमन मानचित्र के 75 लाख रुपये जमा करवा लिए। वर्ष 2019 में यजदान अपार्टमेंट को गिराने के आदेश दिए गए। आदेश के बावजूद तत्कालीन एलडीए अधिकारियों की मिलीभगत से रात दिन निर्माण होता रहा। बिल्डर ने 38 लोगों से पूरा पैसा जमा कराकर उनकी रजिस्ट्री भी कर दी। इसी साल 30 मार्च को एलडीए ने अपार्टमेंट के कुछ हिस्से को गिरा दिया था।

विभागीय जांच चल रही

जिस समयावधि में अपार्टमेंट बनकर तैयार हुआ, उस दौरान जो भी अधिकारी-कर्मचारी तैनात रहे, उनकी भूमिका की जांच शुरू करा दी गई है। कुछ फाइलें भी नहीं मिल रही हैैं, जिनकी तलाश कराई जा रही है। फाइलें सामने आने के बाद दोषियों के चेहरे सामने आ सकते हैैं। इस संबंध में एक रिपोर्ट शासन के पास भी भेजी गई है।

हर तरफ भटके बायर्स

जिस सपने के आशियाने को खरीदने के लिए 38 लोगों ने अपनी जीवन भर की पूंजी लगा दी, उनके सामने जब हथौड़ा चला तो आंखें नम हो गईं। इस अपार्टमेंट में फैजल ने भी 90 लाख रुपये लगाकर दो फ्लैट खरीदे थे। उनके साथ अन्य आवंटी एलडीए वीसी से मिलने पहुंचे। उन्होंने कहा कि यूपी रेरा पर भरोसा कर उन्होंने फ्लैट खरीदा था। एलडीए के दोषी अफसरों और इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई ही नहीं हुई।

'पहले आओ पहले पाओ' का ऑफर

वीसी ने खरीदारों के सामने यूपी रेरा के सचिव को फोन कर बिल्डर से उनकी जमा पूंजी वापस दिलाने को कहा। वहीं, वीसी ने कहा कि उनकी 'पहले आओ पहले पाओ' योजना के खाली फ्लैटों को वे पसंद कर लें। जब बिल्डर से उनका रुपया मिल जाएगा तो वे एलडीए को जमा कर फ्लैट प्राप्त कर सकते हैं। अभी पांच साल में इन फ्लैटों की अदायगी करनी होती है। यजदान के खरीदारों के लिए यह समय सीमा भी बढ़ायी जा सकती है।

ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। प्राधिकरण बायर्स के साथ है। बायर्स को प्राधिकरण की 'पहले आओ पहले पाओ' योजना में खाली फ्लैट्स लेने को कहा गया है।

-डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए