तहजीब ही नहीं संवेदनाओं का शहर है लखनऊ

-आई नेक्स्ट में फूलचंद्र यादव की बेबसी को पढ़कर मदद के लिये आगे आए सैकड़ों लोग

-शहर के हर इलाके से कॉल कर मासूम को गोद लेने की जताईच्इच्छा

LUCKNOW (17 Jan): अपनी तहजीब, नजाकत और नफासत के लिये जाना जाने वाला शहर लखनऊ किस कदर संवेदनशील है, इसका जीता जागता उदाहरण मंगलवार को फिर दिखा। असल में मंगलवार को आई नेक्स्ट में एक बेबस पिता फूलचंद्र यादव द्वारा अपने तीन साल के मासूम को गोद देने की गुहार वाली खबर पढ़ने के बाद सैकड़ों लोगों ने उसकी मदद के लिये पेशकश की। इतना ही नहीं इनमें से अधिकांश ने मासूम को गोद लेने की भीच्इच्छा जताई है।

ज्यादातर मां से खफा

आई नेक्स्ट में फूलचंद्र की बेबसी पढ़ने के बाद सैकड़ों संवेदनशील पाठकों ने खबर में दिये गए नंबर पर कॉल किया। कॉल करने वाले ज्यादातर लोगों ने फूलचंद्र की इस हालत के लिये उसे छोड़कर गई पत्‍‌नी को ही जिम्मेदार ठहराया। अधिकांश लोगों का कहना था कि अगर जन्म देने के बादच्बच्चे की देखभाल नहीं करनी थी तो उस मां नेच्बच्चे को जन्म ही क्यों दिया। कॉल करने वाले सभी लोगों ने फूलचंद्र के लिये मदद की पेशकश की। इतना ही नहीं, करीब पांच दर्जन से ज्यादा लोग तो वंश को अपनाने को भी राजी थे।

आई नेक्स्ट ने इस संवेदनशील खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया इसके लिये धन्यवाद। आयोग की ओर से प्रोफेशनल काउंसलर्स को भेजकर फूलचंद्र की काउंसिलिंग कराई जाएगी। हमारी पहली कोशिश होगी कि वह बेटे का पालन-पोषण खुद ही करे। बावजूद इसके अगर वह बेटे को साथ रख पाने में मजबूरी बताएगा तोच्बच्चे को शिशुगृह में रखा जाएगा और उसके बाद कानूनी प्रावधान का निर्वहन करने के किसी पात्र दंपति को सौंप दिया जाएगा।

जूही सिंह, अध्यक्ष,

उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग

बोले शहरी

मां का दर्जा ईश्वर के बराबर का माना जाता है, लेकिन, वंश की मां ने जो करतूत की है और उसे छोड़कर चली गई वह बेहद निंदनीय है।

कविता सिंह

फूलचंद्र की दास्तां पढ़कर बेहद दुख हुआ है। अगर वह अपना बेटा मुझे गोद देना चाहे तो मैं इसके लिये तैयार हूं।

प्रतिमा द्विवेदी

वंश की मां ने मां के नाम को ही कलंकित कर दिया है। मेरी फूलचंद्र से गुजारिश है कि वह बेटे च्ी अच्छे से परवरिश करे। अगर इसके लिये कोई जरूरत होगी तो मैं उसे पूरा करने को तैयार हूं।

संजय अग्रवाल

अगर जन्म देने के बाद यही करना था तो वंश को जन्म ही क्यों दिया। फूलचंद्र की बेबसी और उसकी परेशानी की जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ उसकी पत्‍‌नी है।

अफशां अली

बेहद अफसोस हुआ। सुनकर हैरत होती है कि ऐसी महिलाएं हैं जो गैरों को तो छोडि़ये अपनी औलाद से भी प्यार नहीं करतीं।

रितेश भट्ट

वंश की मां ने जो हरकत की है इसके लिये उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिये और उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिये।

शैली बहुगुणा

जानवर भी अच्ने बच्चों से बेपनाह मोहब्बत करते हैं। लेकिन, वंश की मां ने जो हरकत की है, उस पर उसका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिये।

रामू सान्याल

इस मामले में जितना वंश की मां दोषी है उतना ही पिता फूलचंद्र। लोग अपनी औलाद की देखभाल के लिये अपना सबकुछ न्योछावर कर देते हैं। फिर फूलचंद्र उसे किसी को गोद देकर पीछा क्यों छुड़ाना चाहता है।

राहुल

जहां तक वंश को गोद लेने की बात है तो मैं उसके लिये तैयार हूं। लेकिन, फूलचंद्र को समझना होगा कि उसकी पत्‍‌नी तो बेटे को छोड़कर चली गई लेकिन, वह पिता के प्यार से वंश को क्यों महरूम करना चाहता है।

मणिकांत

बहुत अफसोसजनक है। अब अगर मां-बेटे व पिता-पुत्र के बीच भी प्यार नहीं होगा तो फिर कोई रिश्तों की दुहाई कैसे देगा।

जफर हसन

फूलचंद्र की बेबसी जानकर बेहद दुखी हूं। औलाद न होने का दुख कोई बेऔलाद से पूछे। वंश को मैं गोद लेने को तैयार हूं, सुखी जीवन के लिये जो भी जरूरत होगी उसे मैं पूरा करूंगा।

-हिमांशु