लखनऊ (ब्यूरो)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों की इकाई वोसी की ओर से लखनऊ यूनिवर्सिटी के शिवाजी पार्क मैदान में विदेशी छात्र व छात्राओं के लिए दो दिवसीय खेल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में एलयू में पढ़ाई कर रहे अंतराष्ट्रीय स्टूडेंट्स के लिए अलग-अलग खेलों का आयोजन किया गया जिसमें ऑस्ट्रेलिया, रूस, श्रीलंका, बोत्सवाना, अफगानिस्तान, अफ्रीका, बांग्लादेश, तजाकिस्तान, इथियोपिया जैसे दर्जन भर देशों के स्टूडेंट्स के बीच फुटबाल, टेबल टेनिस, चेस, नेटबॉल, टग ऑफ वार जैसे खेलों की प्रतियोगिता हुई। प्रतियोगिता में बतौर मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय और विशिष्ट अतिथि एलयू के अंतराष्ट्रीय स्टूडेंट्स के इंचार्ज प्रो। आरपी सिंह रहे।

ट्रॉफी व मेडल देकर सम्मानित

लखनऊ यूनिवर्सिटी एथलेटिक एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो। रूपेश कुमार और वोसी प्रदेश संयोजक शिवांकन बाजपाई ने सभी विजताओं को ट्रॉफी व मेडल देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम आयोजक शिवांकन बाजपाई ने बताया कि वोसी नियमित रूप से ऐसे कार्यक्रम करवाता रहता है। प्रतियोगिताओं से हमारे साथ रह रहे विदेशी छात्रों का संपर्क बढ़ता है। नेटबॉल प्रतियोगिता में अफ्रीकन क्वींस की टीम विजेता रही। चेस में श्रीलंका की शानिका ने बाजी मारी और बांग्लादेश के अर्णब चक्रवर्ती रनर अप रहे। टेबल टेनिस में इथियोपिया के एंड्यूलम गेजाहेन प्रथम व अफगानिस्तान के रोहला नसेरी रनर अप रहे। फुटबाल का फाइनल मुकाबला रैंपेज और जेलो की टीमों के बीच खेला गया, जिसमे जेलो ने रोमांचक मुकाबले में 2-1 से रैंपेज को हरा दिया। इस मौके पर नंदिनी जूमूक चैप्टर उपाध्यक्ष, सीईसी मेंबर रोहुल्ला और सोशल मीडिया साहियोजक अधीश श्रीवास्वत भी मौजूद रहे।

अपशिष्ट जल शोधन पर शोध करेंगी डॉ। प्रतिभा और डॉ। सीमा

लखनऊ यूनिवर्सिटी के रसायन विज्ञान विभाग की डॉ। प्रतिभा बंसल और डॉ। सीमा मिश्रा को विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (सीएसटी), यूपी से शोध के लिए 15.36 लाख का अनुदान मिला है। प्रोजेक्ट का शीर्षक 'औद्योगिक अपशिष्ट जल शोधन के लिए सक्रिय कार्बन के साथ मिश्रित धातु नैनोकणों का निर्माण और उपयोग' है। इस प्रोजेक्ट में वे जल शुद्धिकरण के लिए सक्रिय कार्बन के साथ मिश्रित नवीन धातु नैनोकणों के निर्माण पर काम करेंगे। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग उद्योगों से लिए गए अपशिष्ट जल के नमूनों के शुद्धिकरण के लिए फैब्रिकेटेड नैनोकणों और सूर्य के प्रकाश का उपयोग किया जाएगा। इससे उद्योगों को अलग-अलग जल निकायों में छोड़ने से पहले औद्योगिक अपशिष्ट जल का उपचार करने में मदद मिलेगी। हाल ही में डॉ। प्रतिभा बंसल और डॉ। सीमा मिश्रा को स्टेट यूनिवर्सिटी रिसर्च एक्सीलेंस (एसयूआरई) योजना के तहत साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) से 30 लाख रुपये का शोध अनुदान भी मिला।