- मेयो अस्पताल का खेल फिर उजागर, कोरोना पेशेंट की मौत के बाद थमाया बिल

-भुगतान न करने पर अस्पताल ने करीब 15 घंटे नहीं दिया शव

-पुलिस व प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर शांत कराया मामला

LUCKNOW: गोमतीनगर स्थित मेयो हॉस्पिटल में भर्ती एक कोरोना मरीज की बुधवार को देर रात मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल ने करीब तीन लाख रुपये का बिल थमा दिया। इससे परिवारीजन भड़क उठे। उन्होंने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही व अधिक बिल वसूलने का आरोप लगाते हुए देर तक हंगामा किया। बिल का भुगतान नहीं करने पर अस्पताल ने मृतक के शव को करीब 15 घंटे तक रोके रखा। पुलिस व प्रशासन के हस्तक्षेप पर शव परिवारीजन के हवाले किया गया।

तीमारदारों का आरोप है कि अस्पताल ने मरीज को एल-2 में रखा जो कि बिल में भी दर्ज है, लेकिन बिल एल-3 का बनाया। इलाज में भी लापरवाही बरती। बिना पूरा पैसा जमा किए शव भी देने से इनकार कर दिया। इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार रात में ही सीएमओ ऑफिस को सूचना दे दी गई थी। बगैर सरकारी एंबुलेंस आए सीधे शव नहीं सौंपा जा सकता था। परिवार ने सिर्फ 80 हजार रुपये ही दिए हैं। पानदरीबा निवासी रमेश कुमार सिंह (45) कोरोना वायरस की चपेट में आए गए थे। लोकबंधु अस्पताल में हालत गंभीर होने पर उन्हें तीन सितंबर को मेयो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। मरीज को बाईपैप पर रखना पड़ा। दामाद अनुराग चौहान का आरोप है कि भर्ती के वक्त मरीज की हालत ठीक थी। लगातार वीडियो कॉल से बात हो रही थी। वाट्सएप चैट से भी समय-समय पर तबीयत के बारे में सूचना ले रहे थे। समुचित इलाज नहीं मिलने से हालत गंभीर हुई और उनकी मौत हो गई। मौत के बाद मनमाना शुल्क मांगा जाने लगा जबकि इलाज लेवल-2 का उपलब्ध कराया गया। बिल पर भी उसका जिक्र है।

वहीं अस्पताल की डायरेक्टर डॉ। मधुलिका सिंह ने कहाकि मरीज गंभीर था। इसलिए वेंटिलेटर पर रखा गया था। तीमारदारों से लगातार पैसे जमा करने को कहा गया। उन्होंने शुरू में सिर्फ 80 हजार रुपये दिए थे। तीमारदारों ने डॉक्टर व कर्मचारियों से मारपीट भी की। इसके बावजूद बिना भुगतान उन्हें शव सौंपा गया है। मैं इस मामले में एफआइआर करूंगी। इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गई है।

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-मेयो अस्पताल के खिलाफ लगातार शिकायत मिल रही है। तीमारदारों की शिकायत के आधार पर जांच कराई जाएगी। दोषी मिलने पर सख्त कार्रवाई होगी।

डॉ। एमके सिंह, कार्यवाहक सीएमओ, लखनऊ