लखनऊ (ब्यूरो)। सड़क हादसों पर अंकुश लगाना ट्रैफिक पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द है। इसको लेकर कई एक्शन प्लान भी बनाए, लेकिन सड़क हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। आए दिन राजधानी में हादसों की वजह से मौतें हो रही हैं। हालांकि, ट्रैफिक पुलिस ने शहर की विभिन्न जगहों पर ब्लैक स्पॉट भी चिन्हित किए हैं, लेकिन ऐसे और भी खतरनाक प्वाइंट्स सामने आ रहे हैं, जो जानलेवा बनते जा रहे हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर कब तक लोगों की जान ऐसे ही जाती रहेगी, इसपर क्यों ठोस कदम नहीं उठाया जाता है? पढ़ें दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की खास रिपोर्ट

28 खतरनाक प्वाइंट्स

सड़क हादसों को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस ने शहर के अलग-अलग एरिया में ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए हैं। इनमें 1090 चौराहा, अहिमामऊ, स्कूटर इंडिया चौराहा, बीकेटी नंदना मोड़, बीकेटी तहसील मोड़, अर्जुनपुर समेत कुल 28 स्पॉट शामिल हैं। इन जगहों पर अक्सर एक्सीडेंट होते रहते हैं। हालांकि, इससे निपटने केलिए ट्रैफिक पुलिस से लेकर संबंधित विभाग एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी समेत आदि इन स्पॉट को खत्म करने के लिए काम कर रहा है।

इन प्वाइंट्स में ज्यादा स्पीड

पिछले कई दिनों से ऐसे कुछ केसेज सामने आए हैं, जिनमें देखा जा रहा है कि शहर के ऐसे कई प्वाइंट्स हैं, जहां पर गाड़ियां 100 की स्पीड से भी ऊपर की रफ्तार भर रही हैं। इनमें लोहिया चौराहे से जनेश्वर मिश्र पार्क जाने वाला मार्ग, जी-20 तिराहे से शहीद पथ, जी-20 तिराहा से जेनेश्वर मिश्र पार्क, दुबग्गा से अवध चौराहा, अवध से तेलीबाग चौराहा, लोहिया पथ पॉलीटेक्निक रोड समेत ऐसे कई रूट शामिल हैं, जहां पर गाड़ियां तेज रफ्तार से दौड़ रही हैं।

इन जगहों से ध्यान से निकलें

बीबीडी कटिंग, हाईकोर्ट चौराहा, छठमील चौराहा, बिठौली चुंगी तिराहा, हरिकंश गढ़ी कनकहा मोड़, अहिमामऊ, स्कूटर इंडिया चौराहा, बंथरा कस्बा, बीकेटी नंदना मोड़, बीकेटी तहसील मोड़, अर्जुनपुर, इंटौजा नेवादा, मादापुर टोज प्लाजा, बंथरा, इटौंजा कुम्हरवां, नजर नगर, समिट बिल्डिंग, खजौली, अटलरोड शहीद पथ, आगरा एक्सप्रेस-वे, बिजनौर चौराहा, 1090 चौराहा, चान्द्रिकन देवी मोड़ और माला थाना क्षेत्र के मसीदा हमीर शामिल है। ट्रैफिक डीसीपी हृदेश कुमार का कहना है कि ब्लॉक स्पॉट कम करने पर लगातार काम किया जा रहा है।

ये भी समझिये

शार्ट टर्म- शार्ट टर्म में खत्म होने वाले ब्लैक स्पॉट में संकेतक लगाना, जेब्रा क्रासिंग बनाना, मार्किंग रोड, साइड रोड पर ब्रेकर, सफेद पट्टी खींचना, सोलर लाइट और हाईमास्ट लाइट लगाना होता है, जिससे ब्लैक स्पॉट खत्म हो जाता है।

लांग टर्म-इसमें स्टडी करने के बाद सर्विस रोड, मेजर जंक्शन, पेडेस्ट्रियन अंडरपास, व्हीकल अंडरपास, फ्लाईओवर, फुटओवर ब्रिज का निर्माण किया जाता है। इस वजह से ऐसे ब्लैक स्पॉट को खत्म करने में समय लगता है।

तीन साल तक मॉनीटर- स्पॉट पर किए गए निर्माण कार्य या बदलाव करने के बाद अगले 3 साल तक मॉनीटर किया जाता है कि वहां पर हादसों की संख्या जीरो हुई या फिर कम हुई है। अगर ऐसा होता है तो उस ब्लैक स्पॉट को खत्म मान लिया जाता है। इसके लिए पुलिस आंकड़ों से मिलान करती है।

कुछ दिन के बाद सुस्ती

एक्सीडेंट के बाद पुलिस एक्टिव हो जाती है। स्पॉट वाली जगह का निरीक्षण कर देखती है कि आखिर हादसे की वजह क्या रही हैै। एक ही जगह पर बार-बार हादसा होने पर उसे ब्लॉक स्पॉट घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद संबंधित विभागों को लेटर भेजकर इसे ठीक कराया जाता है, लेकिन अधिकतर केसों में देखा गया है कि अधिकारी शुरुआती तौर पर काम करते हैं, लेकिन बाद मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

इन स्पॉट पर डराते हैं आंकड़े

जगह मौत

मादापुर टोल प्लाजा 85

अहिमामऊ 53

समिट बिल्डिंग के पास 31

आगरा एक्सप्रेस-वे 28

बीबीडी कटिंग 27

हाईकोर्ट के पास 18

स्कूटर इंडिया चौराहा 16

अर्जुनपुर 13

बंथरा कस्बा 16

छठमील चौराहा 12

ये हैं हादसों की बड़ी वजहें

-तेज रफ्तार

-रांग साइड गाड़ी चलाना

-ब्लाइंड मोड़

-अवैध कट

-सड़कों पर अंधेरा होना

-पुलिस बेरिकेडिंग न होना

-गाड़ियों का लोड अधिक होना