लखनऊ (ब्यूरो)। Chandra Grahan 2023: आश्विन शुक्ल पूर्णिमा शनिवार को खंडग्रास चंद्रग्रहण लग रहा है। यह संपूर्ण भारत में खंड चंद्र ग्रहण के रूप में दिखाई देगा। यह साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी है। भारतीय मानक समय के अनुसार, ग्रहण का स्पर्श मध्य रात्रि 1:05 पर व मोक्ष 2:23 मिनट पर होगा। यह खंडग्रास चंद्रग्रहण अश्विनी नक्षत्र व मेष राशि पर लग रहा है। संपूर्ण जनमानस को चाहिए कि भगवान शिव व शक्ति की आराधना निष्ठा पूर्वक करें। यह जानकारी ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय ने दी।

चंद्रग्रहण में 9 घंटे पूर्व ही सूतक प्रारंभ

पं। राकेश पांडेय ने बताया कि बाल, वृद्ध व रोगी को छोड़कर ग्रहण से 9 घंटे पूर्व आहार वर्जित है। गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि अपने शरीर के बराबर काला धागा नापकर दीवार में कील के सहारे लटका दें। ग्रहण काल में शयन न करें। भोजन न करें व प्रसन्न चित्त रहते हुए अपने आराध्य देव से गर्भ शिशु के लिए कल्याण की कामना करें। ग्रहण काल में किया हुआ जप-तप सिद्धप्रद होता है। यह चंद्रग्रहण मेष राशि व अश्विनी नक्षत्र पर लग रहा है। ऐसे में विशेष करके मेष राशि के लोगों को और अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोगों को यह ग्रहण नहीं देखना चाहिए।

राशियों पर होगा अलग-अलग असर

मेष-मानसिक कष्ट, कार्य क्षेत्र में बाधा

वृष-जीविका में अवरोध व मानसिक पीड़ा

मिथुन-व्यवसाय में लाभ परंतु अचानक मानसिक तनाव हो सकता है

कर्क-सुख की वृद्धि

सिंह-प्रतिष्ठा की हानि व व्यवसाय में बाधा

कन्या-अकस्मात धन का नुकसान व शारीरिक कष्ट

तुला-शत्रु भय व व्यवसाय में अवरोध

वृश्चिक-व्यवसाय में वृद्धि परंतु अचानक मानसिक कष्ट

धनु-अकस्मात धन लाभ परंतु मानसिक तनाव

मकर-अचानक मानसिक तनाव परंतु रुके हुये कार्य में सफलता

कुंभ-धन लाभ व यश की वृद्धि

मीन-अपव्यय परंतु कार्यों में सफलता मिलेगी

तुलसी की पत्ती रखें

चंद्र ग्रहण में सूतक लगने से पहले सभी खाद्य भंडार में तुलसी का पत्ता अवश्य रखें। इससे अन्न आदि अशुद्ध नहीं होगा। ऐसा नहीं करने पर अन्न अशुद्ध होने के कारण खाने के योग्य नहीं रहता है, इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें।

मंदिरों के कपाट रहेंगे बंद

चंद्रग्रहण के चलते मंदिरों के कपाट भी बंद रहेंगे। राजधानी के मनकामेश्वर मंदिर, हनुमान सेतु, नया हनुमान मंदिर, संदोहन देवी मंदिर, मां पूर्वी देवी मंदिर समेत अन्य सभी बड़े-छोटे मंदिरों के कपाट 4 बजे से पहले बंद हो जाएंगे। अगले दिन शुद्धिकरण के साथ मंदिरों के कपाट भक्तों के लिए खुल जाएंगे।

सूतक से पहले खीर बना उसमें रखें तुलती और दूर्वा

अश्विन शुक्ल पूर्णिमा के अवसर पर व्रत व पूजन करना चाहिए। शनिवार को पूरे दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी। मध्य रात्रि 2:02 तक पूर्णिमा तिथि रहेगी व खंडग्रास चंद्र ग्रहण भी लगेगा। निर्णयसिंधु के मतानुसार अश्विन शुक्ल पूर्णिमा जिस दिन पूरे दिन पूर्णिमा तिथि दिन व रात्रि में मिलती है उसी दिन रात्रि में कोजागरी व शरद पूर्णिमा का पूजन व खुले आसमान में खीर बनाकर रखना चाहिए। यह जानकारी पं। राकेश पांडेय ने दी।

खीर में तुलसी व दूर्वा डालें

खंडग्रास चंद्र ग्रहण लगने के कारण सूतक नौ घंटे पहले ही लग जाएगा। शाम 4:05 मिनट से सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा। ऐसे में सूतक के पूर्व ही खीर बनाकर उसमें तुलसी पत्र या कुश डालकर रख दें। जिससे ग्रहण का दुष्प्रभाव उस बनीं हुई खीर पर नहीं पड़ेगा।

भगवान को भोग लगाएं

इस दिन आकाश की तरफ भगवान कृष्ण का ध्यान करते हुए आवाहन करें। उनका षोडशोपचार पूजन करके गोदुग्ध में मेवा आदि डालकर पायस का निर्माण करें उसमे भगवान का भोग लगाएं। उस पात्र को किसी जालीदार कपड़े से ढक कर रख दें, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा के शीतल रश्मियों से अमृत की वर्षा होती है।

भगवान विष्णु का ध्यान करें

वहीं, रविवार को सूर्योदय के बाद स्नानादि क्रिया से निवृति होकर भगवान विष्णु का ध्यान कर उस पायस रूपी प्रसाद को स्वयं ग्रहण करें व अपने मित्रों को वितरण कर उन्हें भी अमृत रूपी प्रसाद से लाभांवित करें।