लखनऊ (ब्यूरो)। एक मरीज सरकारी अस्पताल में इस उम्मीद के साथ आता है कि उसे वहां पूरा इलाज मिलेगा, लेकिन अधूरी दवाओं के साथ उसके इलाज पर असर पड़ रहा है। जिससे मरीज की परेशानी और बढ़ रही है। बलरामपुर अस्पताल के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं। अस्पताल प्रशासन तमाम दावे करता है कि मरीजों को पूरी दवाएं दी जा रही हैं, लेकिन हकीकत यह है कि एंटासिड सिरप और एंटीबायटिक जैसी सामान्य दवाएं तक मुश्किल से मिल रही हैं। नतीजतन, मरीजों को बाहर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं

केस 1: 45 वर्षीय गुड़िया हड्डी रोग विभाग में दिखाने पहुंचीं। डॉक्टर ने देखने के बाद कई दवाएं लिख दीं, पर दवा काउंटर पर उनको पूरी दवाएं नहीं मिलीं। इसमें मिथाइल कोबालमिन, जो विटामिन बी12 है, भी नहीं मिली।

केस 2: 50 वर्षीय रुकैया दर्द की समस्या लेकर दिखाने पहुंचती हैं। डॉक्टर ने जांच के बाद कई दवाएं लिख दीं, लेकिन दवा काउंटर पर एक दवा नहीं है कहकर बाहर से लेने को कह दिया गया।

केस 3: 55 वर्षीय रामभजन पेशाब की समस्या को लेकर दिखाने पहुंचे थे। डॉक्टर ने पर्चे पर दवा लिखने के अलावा एक अलग पर्ची पर प्रोस्टेट की दवा बाहर से लेने को कह दिया।

आते हैं हजारों मरीज

बलरामपुर अस्पताल में रोजाना 4 हजार से अधिक मरीज आते हैं। इसमें आसपास के जिलों के भी मरीज होते हैं। यह प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है, जहां 700 से अधिक बेडों की व्यवस्था है। पर इसके बावजूद यहां पर मरीजों को पूरा इलाज नहीं मिल पा रहा है। आलम यह है कि मरीजों को बाहर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं, जिससे उनपर आर्थिक बोझ भी बढ़ जाता है।

कार्पोरेशन से आती हैं दवाएं

बलरामपुर अस्पताल में मेडिकल कार्पोरेशन से दवाएं सप्लाई की जाती हैं। इसके लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा दवाओं की डिमांड भेजी जाती है। अधिकारियों के मुताबिक, दवाओं की जो डिमांड भेजी जाती है उसमें से करीब 90 फीसदी ही दवाएं मिलती हैं। कई बार दवाएं कम भी भेजी जाती हैं, जिसके चलते मरीजों को कम दिनों के लिए दवा देकर वापस आने के लिए कहा जाता है। फिर मरीजों को बार-बार दवा के लिए अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं। ऐसे उनका दर्द और बढ़ जाता है।

बाहर की लिख रहे दवाएं

सरकार का सख्त आदेश है कि कोई भी सरकारी डॉक्टर मरीज को बाहर की दवा नहीं लिखेगा। इसके बावजूद मरीजों को बाहर की दवा लिखी जा रही हैं मरीजों को अलग पर्ची काटकर उसपर दवा लिखकर दी जा रही हैं। खासतौर पर आर्थो, न्यूरो, कोर्डियो, सर्जरी, नेफ्रो आदि की कई दवाएं बाहर की लिखी जा रही हैं। इतना ही नहीं, चश्मा बनवाने तक के लिए विशेष दुकान पर भेजा जाता है।

इन दवाईयों की खपत अधिक

बलरामपुर अस्पताल में मरीजों को डायबिटीज, थायराइड, एंटीबायटिक, पैरासिटामॉल, मल्टी विटामिन आदि की दवाईयां अधिक लिखी जाती हैं। इनकी खपत भी अन्य के मुकाबले ज्यादा है।

नहीं मिल रहीं ये दवाएं

यहां पर कई आम और जरूरी दवाइयों की कमी है। कई तो बड़ी मुश्किल से मिल रही हैं। पेट की समस्या के लिए लेक्टोलोज सिरप, एंटाएसिड सिरप, एंटीबायटिक में सिफाक्सन 200 एमजी, बच्चों में दिमागी समस्या के लिए फेनीटोइन 100 एमजी और बड़ों में दिमागी बीमारी के लिए कार्बामिजापिन 200 एमजी भी नहीं मिल रही है। साइकियाट्री की अधिकतर दवाएं जैसे सर्टालिन, ओलांजापाइन आदि नहीं मिल रही हैं। साइकियाट्री की अधिकतर दवाएं मरीजों को बाहर से ही खरीदनी पड़ती हैं।

पोर्टल पर लिखी हर दवा मौजूद है। अस्पताल लोकल परचेज का भी काम करता है। कई दवाएं आ चुकी हैं। जो कम है उनको मंगवाने का काम किया जाएगा।

-डॉ। अतुल मेहरोत्रा, सीएमएस, बलरामपुर अस्पताल