लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां अपार्टमेंट्स में लिफ्ट व्यवस्था पर आए दिन सवाल उठते रहते हैैं, वहीं दूसरी तरफ सरकारी कार्यालयों में लिफ्ट व्यवस्था फिलहाल बेहतर है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने कुछ सरकारी कार्यालयों में जाकर लिफ्ट व्यवस्था को देखा और उनका यूज भी किया। यहां लिफ्ट ऑपरेट करने में कोई समस्या सामने नहीं आई। हां, इतना जरूर रहा कि कहीं भी लिफ्ट अटेंडेंट नजर नहीं आया। लिफ्ट अटेंडेंट न होने की वजह से कई बार पब्लिक को परेशानी भी होती है।

मॉडर्न फंक्शन सिस्टम

ज्यादातर सरकारी कार्यालयों में जो लिफ्ट लगी हुई हैैं, उनमें मॉडर्न फंक्शन सिस्टम है। जो लोग नियमित रूप से उन कार्यालयों में जाते हैैं, उन्हें तो कोई कंफ्यूजन नहीं रहता, लेकिन पहली बार आए या कम जानकार लोगों को कई बार कंफ्यूजन का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से यहां लिफ्ट अटेंडेंट की खासी जरूरत है, ताकि पब्लिक को किसी भी प्रकार की समस्या न हो।

रेगुलर मेंटीनेंस होता है

नगर निगम, एलडीए, पासपोर्ट ऑफिस, इंदिरा भवन, जवाहर भवन और शक्ति भवन में प्रॉपर लिफ्ट व्यवस्था है। दो से तीन साल पहले जरूर नगर निगम और एलडीए की लिफ्ट में लोगों को फंसने की समस्या जरूर सामने आई थी, लेकिन अब अन्य सरकारी कार्यालयों की तरह इन विभागों में भी लिफ्ट व्यवस्था फिलहाल ठीक है। इन विभागों में आने वाले ज्यादातर सीनियर सिटीजन और महिलाएं ही लिफ्ट का अधिक यूज करती हैं। हालांकि, यहां भी कोई प्रॉपर अटेंडेंट नहीं है।

लिफ्ट ऑपरेट करने की दें जानकारी

जहां कहीं भी लिफ्ट व्यवस्था है, चाहे वो सरकारी कार्यालय हों या रेजिडेंशियल अपार्टमेंट्स। अगर कोई व्यक्ति लिफ्ट में जा रहा है तो उसे यह जरूर बताया जाना चाहिए कि लिफ्ट को कैसे ऑपरेट करना है और अगर वो लिफ्ट में फंस जाता है तो उसे क्या करना है और क्या नहीं। लिफ्ट अटेंडेंट न होने की वजह से लोगों को इस बाबत जानकारी नहीं मिल पाती है। लिफ्ट के अंदर जरूरी सेफ्टी रिलेटेड प्वाइंटर्स की लिस्ट चस्पा होती है, लेकिन ज्यादातर लोग इस तरफ ध्यान ही नहीं देते हैैं। कई अपार्टमेंट्स में तो लिफ्ट के अंदर जरूरी गाइडलाइंस तक नहीं लिखी हुई हैैं।

ये व्यवस्था होनी चाहिए लिफ्ट में

1- अटेंडेंट की मौजूदगी

2- लिफ्ट के अंदर कैमरे की व्यवस्था

3- लिफ्ट का रेगुलर मेंटीनेंस

4- लिफ्ट में इमरजेंसी फोन नंबर लिखे हों

5- लिफ्ट के अंदर प्रॉपर लाइटिंग

अस्पतालों में स्थिति बेहतर

अब अगर राजधानी के प्रमुख अस्पतालों की बात की जाए तो सभी बड़े अस्पतालों में लिफ्ट की व्यवस्था फिलहाल बेहतर है। लोहिया, सिविल, केजीएमयू और बलरामपुर अस्पताल में लिफ्ट की कंडीशन ठीक हैैं और उनका प्रॉपर मेंटीनेंस भी कराया जाता है। दरअसल, अस्पतालों में लगी लिफ्ट का यूज ज्यादातर मरीज ही करते हैैं, इस वजह से अस्पताल प्रबंधन का पूरा फोकस लिफ्ट मेंटीनेंस पर रहता है, ताकि कोई मरीज लिफ्ट में न फंसे। ट्रामा सेंटर में लिफ्ट अटेंडेंट की भी सुविधा है। सिविल, लोहिया में भी लिफ्ट अटेंडेंट नजर आते हैैं। बलरामपुर अस्पताल की बात की जाए तो यहां जल्द ही नई लिफ्ट्स लगनेे जा रही हैैं। जिसका सीधा फायदा बलरामपुर अस्पताल आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को मिलेगा। हालांकि, यहां पर जो पहले से लिफ्ट्स लगी हुई थीं, उनको लेकर भी कोई कंपलेन सामने नहीं आई है।

कब होगा सुधार

यह तो सभी जानते हैैं कि अपार्टमेंट्स में लिफ्ट व्यवस्था बेहद खराब है। ऐसे में आवंटियों को इंतजार है कि कब लिफ्ट संबंधी समस्या हमेशा के लिए दूर होगी। आवंटियों की ओर से कई बार एलडीए प्रशासन से लिफ्ट व्यवस्था में सुधार संबंधी मांग की जा चुकी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है। आवंटियों की मांग है कि लिफ्ट्स का प्रॉपर और रेगुलर मेंटीनेंस कराया जाए, ताकि वे लोग लिफ्ट में न फंसें।